रुपये की गिरती कीमत और हमारी अर्थव्यवस्था: एक सड़क से सीख
प्रियंवदा, हिसाब-किताब कभी पीछा नहीं छोड़ते। जो भी लेनदेन हो चुकाना पड़ता है। सुबह ऑफिस पहुंचा, सरदार मुझसे पहले आकर बैठा था। दोपहर तक कुछ उलझनों में व्यस्त रहा, दोपहर को बाजार गया LIC के प्रीमियम भरने। थोड़ी भूख भी लगी थी, जहाँ प्रीमियम का खर्चा कर ही रहे है वहां थोड़ा और सही, नाश्ता किया जाए। कच्छ की 'दाबेली' बड़ी प्रख्यात है। जैसे मुंबई का वडापांव।
बस उस पाँव में वड़े की जगह आलू का मसाला होता है। खेर, खर्चा होता है, तब ख्याल भी बड़े आते है। लगभग ढाई बजे ऑफिस पहुंचा, सरदार तब भी बाहर ही खुर्सी डाले बैठा था। उसने आज शायद ऑफिस पर ही खाना मंगवा लिया होगा, पता नहीं। मेरे पहुँचते ही दो-तीन काम दे दिए मुझे। और मेने धीरे से कहा, 'लाइट कहाँ है?'
कुछ देर रील्स देखि, लेकिन तीन बजे फिर बिलिंग्स तथा हिसाबो में ऐसा उलझा की अभी पौने आठ बजे कुछ फ्री समय मिला। ना, तब भी कुछ व्यस्तता आ गई थी, अभी बज रहे है साढ़े नौ। और मुझे याद यह नही आ रहा है कि मैं क्या लिखने बैठा था। होता है, लाइट जाने के बाद कॉम्प्यूटर रिस्टार्ट होने में थोड़ा समय लेता है। दिनभर काम की उलझन हो, और शांति चाहिए होती है तब मिलती तो नही है यह निश्चित है। अभी मैदान में आग सेंकने आया तो पता चला कि कोई माचिस चुरा के ले गया है। लेकिन वैसे आज ठंडी जरा भी नही है। जैकेट में भी गर्मी सी लग रही है। यही अपने यहां की सर्दियां।
रुपये की गिरती कीमत का अर्थ क्या है?
आज दोपहर को जब मार्किट गया था तब एक ख्याल आया। विचारणीय है। LIC ऑफिस में एक व्यक्ति मेरे पास बैठा था। बड़ी सही बात बताई उसने। लगभग पंद्रह वर्ष पहले उसने एक बीमा पॉलिसी खरीदी थी। मुझे भी याद है, पंद्रह वर्ष पहले औसत पगार भी पंद्रह हजार हुआ करती थी। सवा आठ हजार का उसका प्रीमियम था। मतलब आधी पगार। और मैच्योरिटी पर कुछ साढ़े तीन लाख मिलने थे। पंद्रह वर्ष पूर्व साढ़े तीन लाख बड़ी रकम थी। आज कार भी नही आती। समझने लायक चीज है अर्थ व्यवस्था, तथा रुपये का मूल्य। सोचिए, आपने पंद्रह वर्ष तक पैसे इकट्ठे किये है, और आज उन पैसों की वैल्यू एक नई कार बराबर भी नही है। आज लगभग एक बेस मॉडल alto की कीमत 4.80 ओनरोड है।
स्वदेशी बनाम विदेशी: समाधान की ओर एक नज़र
रुपये की वैल्यू बढाने का सबसे आसान तरीका है भारत का निर्यात बढ़ाना, और आयात पर मर्यादा लगानी। आयात मर्यादित करने का तरीका भी सिम्पल है, स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग। देश का रुपया देश मे घूमने से भी रुपया मजबूत बनता है। आज औसत पगार पच्चीस हजार है। औसत पगार पच्चीस हजार जरूर है लेकिन यह पच्चीस का आंकड़ा आने के बीच गेप बहुत बड़ा है। कुछ ऐसे भी है जो महीने के तीन लाख कमाते है तो कुछ ऐसे भी है जो महीने के सात हजार। तीन वाले कम है और सात वाले ज्यादा। लेकिन मुझे हकीकत में वह बात झकझोर गयी। पंद्रह वर्ष से जिसने एक वर्ष में दो महीने तंगी झेलकर पैसे इकठ्ठे किये है आज वे पैसे उन्हें एक कार भी नही दिला सकते। उपरसे अच्छे खासे रिपोर्ट्स कहते है कि ट्रम्प चच्चा के शाशन में भारतीय रुपिया सो तक जा सकता है, अच्छी बात उन्हें यही लगती है कि सो से ऊपर नही जाएगा.. इसे कहते है बुरे में अच्छाई ढूंढना..! या फिर निराशा में आशा..।
इनफ्रास्ट्रक्चर, टैक्स और निर्मला आंटी की अर्थनीति
कभी कभी मैं निर्मला आंटी से सहमत ही रहता हूँ, कि छीन लो सारा पैसा, हर जगह छोटे छोटे टेक्स डालकर खींच सको उतना खींच लो पैसा। क्योंकि घूमकर वह पैसा लग तो भारत में ही रहा है। कहीं सफाई चल रही है, कहीं रोड बन रहे है, कहीं फ्लाईओवर। जो चीज सोची नही थी वे भी निर्माण तो हो ही रहा है। जो चीजे अच्छी हो रही है उसे नकारी नही जा सकती, चाहे कॉंग्रेस ही यह डेवलोपमेन्ट करवाती तो उसकी तारीफ भी बनती। गुजरात की बात करूं तो घोघा से दहेज की रोरो फेरी, ओखा से बेट में समंदर में बना सुदर्शन सेतु।
कच्छ का भविष्य: ब्रिज, सरोवर और संभावनाएँ
जो प्लानिंग में है उनकी बात करू तो कांडला से नवलखी के बीच समुद्र में रोड की मांग है, उससे 150 किलोमीटर की दूरी महज 30 किलोमीटर की हो जाएगी। कांडला में उतरता इम्पोर्ट्स देशभर में जाता है। कोयला मोरबी भी जाता है। 150 किलोमीटर ट्रांसपोर्ट करते ट्रक्स का कितना सारा फ्यूल और टायर बचेगा अगर यह ब्रिज बनता है तो..! कच्छ के छोटे रन (डेज़र्ट) को मीठे पानी का सरोवर बनाने की प्लानिंग भी चल रही है। यह सरोवर निर्माण होता है यदि तो भारत का सबसे बड़ा मीठे पानी का कृत्रिम सरोवर बन जाएगा।
ठीक है प्रियंवदा.. आज इतनी बाते बहुत है.. बाकी सोचने जैसी बात यही है कि रुपये की गिरती किम्मत बहुत बड़ा नुकसान है, आज भी और आने वाले भविष्य में भी.. आज लगभग 85 रुपये प्रति यूएस डॉलर।
|| अस्तु ||
प्रिय पाठक,
अगर कभी आपने भी वर्षों की बचत के बदले मिली निराशा महसूस की हो —
तो लाइक करें, शेयर करें, और कॉमेंट में बताएं —
आपका आर्थिक अनुभव कैसा रहा...?
Tax pay karna kahe khalta agar suvidha bhi usi anusar milti to..!!
ReplyDelete