Buy Me a Coffee

प्रिय पाठक !

वर्ष २०२२ में जब यह ब्लॉग शुरू किया था, तब मुझे एक अंदाज तो था, कि मैं यहाँ लम्बे समय तक लिखता रहूँगा। अपने अनुभव, अपने दिल की परतें यहाँ रखता जाऊंगा। लेकिन यह अंदाज या यह सोच भी नहीं थी, कि यहाँ तीन वर्ष समाहित हो गए मेरे। मई २०२२ में शुरू किया था, और यह भाव-प्रपात अभी तक बह ही रहा है। पिछले तीन वर्षों में बहुत कुछ बदलाव हुए है, मुझ में, मेरी लेखनी में भी..!

इस ब्लॉग की शुरुआत तो मैंने अपने लिए ही की थी, एक डिजिटल डायरी के रूप में। 
कभी गजा के साथ विषैले संवाद हुए,
कभी मैंने कोई फिल्मों पर टिप्पणियां की,
कभी मैंने विदेशनीति में भी विचरण किया,
कभी मधुमालती की महक भी दिलायरी में उतारी,
और प्रियंवदा को सम्बोधित करती मेरी कलम बेरोक चलती रही।

हाँ ! बहुत दिन ऐसे आए, जब पूरा पूरा दिन विचारशून्य रहा। उन दिनों में भी मैंने खालीपन को ही दिलायरी में उतारा है। अब यह लेखनी एक साधना हो गयी है, नित्यक्रम हो चुकी है। इस लेखन यात्रा में अगर आप एक साथी बनकर साथ चलना चाहें,
तो आप मेरी लेखनी को एक प्याली कॉफ़ी के ज़रिए सहारा दे सकते हैं।


आपकी एक छोटी सी कॉफ़ी —
मुझे और लिखने, और जीने, और आपसे जुड़ने की ताक़त देती है।

धन्यवाद!
आप पढ़ते हैं, यही सबसे बड़ी बात है।


- दिलावरसिंह

‘दिलायरी’ की हर बात दिल से निकलती है... और उम्मीद है, किसी दिल तक पहुँचती भी होगी।


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