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मेरी ई-बुक्स


यह पेज दिलावरसिंह की प्रकाशित कहानियों, डायरी, और कल्पनात्मक दुनिया की डिजिटल पुस्तकों का संग्रह है। हर किताब एक यात्रा है। पढ़िए, साझा कीजिए और प्रतिक्रिया देना न भूलिए।


  • न्यायालय : एक कथा

जब कहानी खुद कठघरे में हो, और लेखक, वकील, जज — सभी प्रतीक बन जाएँ; तब न्याय कैसे मिलेगा? पढ़िए एक रूपक गाथा जो भाषा, भाव और व्यंग्य को मिलाती है।


  • दिलायरी : मई की मुलाक़ातें

यह e-book मई महीने के ३१ दिनों की ३१ दिलायरी पोस्ट्स का संग्रह है। जहाँ 'प्रियंवदा' को सम्बोधित कर मैंने, अपने दिनभर में होती, अपने आसपास होती, अपने देश में होती, अपनी दुनिया में होती उन तमाम बातों को, तमाम उलझनों को शब्दों के आवरण में अंकित किया है। जहाँ ऑपरेशन सिन्दूर भी है, तो वहां मैंने अपनी पहली वेबसाइट का अनुभव भी दर्ज किया है। कहीं मैंने अपनी गलतियां स्वीकार की है, तो कहीं खुशियां भी बांटी है।

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