मुझे नाम याद नही रहते.. || दिलायरी : २९/०३/२०२५ || Dilaayari : 29/03/2025

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कल बाइक राइड करनी है..

लो जी, आज भी अब रात्रि के ग्यारह को दिलायरी लिखने बैठा हूँ। सुबह ऑफिस पहुंचा, एक गाड़ी खड़ी थी। काम के नाम पर कुछ तो है। सरदार तो शाम तक वापिस लौटना था ऐसा समाचार मिला। थोड़ी राहत हुई कि कम से कम हिसाब का लेनदेन हो जाएगा। वैसे तो दिनभर हिसाब वगेरह करता रहा। और मैप्स देखे, तथा गेम्स..


RoadTrip aur Shakha dono ko manage karte Dilawarsinh...

शाम को सारा हिसाब मिलाकर तैयार रखा ही था कि सरदार आ गया। आठ बजे गए थे, सारे थोथे उसे थमा दिए। अब काम एक ही बाकी था। मैं और गजा दोनो एक ही बाइक पर है तो टायर प्रेशर चेक करवा लिया, और चैन में ऑयलिंग करवा ली। घर पहुंचने से पहले ही तिकड़ी के गजे का फोन आया कि शाम को शाखा में समय से आ जाना। अच्छा याद दिला दिया इसने, वरना जब से शाखा का समय शुक्रवार रात का किया है, मुझे याद ही नही रहता। जब ग्रुप में मेसेज आता है तब पता चलता है कि आज शाखा हो गयी।


मुख्य उद्देश्य तो यही है कि..

वैसे हमारा, यानी कि मेरे और गजे का मुख्य उद्देश्य तो यही है कि हमारी पहचान के लड़के थोड़े समाज के प्रति जागरूक हो जाए, खासकर इतिहास के प्रति। झिझक न रहे उनमे। और ऐतिहासिक पात्रों पर जब कोई प्रश्न उठाये तो मुंहतोड़ जवाब दे सके। मैं और गजा तो शौकीन थे प्रान्तिक इतिहास के। हालांकि गजे की यादशक्ति अच्छी है, और मेरी थोड़ी कम है। मुझे नाम याद नही रहते, कहानी जरूर से याद होती है। तो शाखा में आने वाले लड़के हमसे लगभग दसेक साल छोटे है। हमसे अलग पीढ़ी है, थोड़ी आधुनिक है, और अलग सोचने की क्षमता वाली..! तो मुख्यतः गजा ही चाहता है कि यह लड़के कम से कम स्वयं के वंश की उत्पत्ति के विषय मे जाने। पिछली शाखा में इन लड़को को एक कार्य दिया था कि इस शाखा में वे लोग ऐसे तीन महान व्यक्तियो के बारे में बताए जिन्होंने कुछ महान कार्य, या वीरता, या कोई भी नैतिक चरित्र को देदीप्यमान किया हो। एक लड़का पढ़ने में बड़ा माहिर है, वो तो ऐसे ऐसे नाम ले आया जो मैंने ही नही सुने थे, तो मेरी और से कोई टिप्पणी बनती नही थी। दूसरे लड़के ने पहला नाम लिया, 'भाणजी दल'.. भाणजी दल शाखा के जाडेजा राजपूत थे। और उन्होंने अप्रतिम शौर्य दिखाया था जब गुजरात सल्तनत के अंतिम शाशक मुझफ्फरशाह को उखाड़ फेंकने दिल्ली से अकबर की सेना का नेतृत्व करते हुए अजीज कोकाह आया था। मुजफ्फर शाह भागा, और नवानगर (जामनगर) आकर राजा जाम सताजी की शरणागति स्वीकार की। जाम ने सेना तैयार की, युद्ध हुआ जो भूचर मोरी का युद्ध कहलाता है, और गुजरात का पानीपत भी कहलाता है। दूसरे महान व्यक्ति का नाम लिया लेकिन वो मुझे असली लगा नही। तीसरा नाम लिया 'नाकाजी सरवैया' का। जूनागढ़ के चुडासमा राजवंश से निकली शाखा सरवा गांव में बसी, और सरवैया कहलाई। उस वंश में नाकाजी हुए जो गायों की रक्षार्थ वीरगति को प्राप्त हुए थे। फिर बारी मेरी थी।


मैंने प्रथम नाम लिया, गोंडल के शाशक भगवतसिंहजी का। जिन्होंने 'भगवदगोमंडल' नामक ग्रंथ की रचना करवाई, और उन्होंने स्वयं ने भी उस ग्रंथ की रचना में सहभागिता दर्शाई थी। गुजराती भाषा का सबसे बड़ा शब्दकोष है वह ग्रंथ। दूसरा नाम लाठी के राजवी सुरसिंहजी तख्तसिंहजी गोहिल। जो लाठी के राजा थे, और गुजराती भाषा में बहुत बड़े कवि। कलापी उपनाम था उनका। और 'कलापी नो केकारव' तथा 'कश्मीरनो प्रवास' उनकी सुप्रसिद्ध रचना है। तीसरा नाम था भावनगर के वखतसिंहजी गोहिल, जो कि 'आताभाई' के नाम से अति प्रसिद्ध थे। उनके समयकाल में नवानगर का मेरु खवास, गोंडल के भा'कुंभाजी, जूनागढ़ का दीवान अमरजी, और भावनगर के आताभाई, यह चार जने ही पूरे सौराष्ट्रमण्डल में छाए हुए थे। यह चारो ने युद्ध ही किये है। आताभाई का सबसे प्रसिद्ध युद्ध चित्तल का युद्ध था।


बड़े ही रोचक पात्र है इतिहास के..

फिर गजे की बारी आई, उसने प्रथम नाम लिया नवानगर के जाम दिग्विजयसिंह जी का। दिग्विजयसिंहजी को प्रजा प्यार से 'दिग्जाम' कहकर बुलाती थी। जामसाहब ने राजपुरुषों का भविष्य देख लिया था। उन्होंने ही सौराष्ट्र की अलग राज्य की मांग रखी थी। सौराष्ट्र अलग राज्य बना था, और जामसाहब राजप्रमुख। क्षात्रहितैषी थे। दूसरा नाम मेने ही सजेस्ट किया चाँदोजी वाघेला का। जब पालनपुर, और राधनपुर जैसी बड़ी नवाबी सत्ता के ठीक बाजू में ही उन्होंने थराद राज्य की बागडौर संभाली, और राज्य को बरकरार रखा था। उसने हमीरजी गोहिल को भी याद किया। और अंत मे सबसे बढ़िया नाम मुझे लगा नायिका देवी का। क्योंकि नायिकादेवी स्त्री थी। राजपूतानी थी। उन्होंने मुहम्मद घोरी को उल्टे पांव वापिस भगाया था। नायिकादेवी के समय मे पाटण राजगद्दी का वारिस बालक था। तो नायिकादेवी ने ही राज्यतंत्र को अपने हाथों में लिया था। और अर्बुदमण्डल (आबू) क्षेत्र में मुहम्मद घोरी को घेरकर खूब मारा। आखिरकार घोरी गुजरात में दाखिल दोने से पहले ही वापिस भाग गया था। गुजरात मे और भी बहुत प्रसिद्ध राजपूतानीयाँ हुई थी। नायिकादेवी, मयणल्ला देवी (मीनल देवी), राजमाता कलाबाई, सती राणकदेवी, शक्तिदेवी, राजमाता जोमबाई, यह सब बड़े ही रोचक पात्र है इतिहास के। लेकिन कोई जानना तो चाहे इन्हें..! हमारा आशय इन लड़को को इन सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक पात्रों में रस लेते करना था। थोड़ा बहुत असरकारक हुआ भी। कमसेकम अब दो-चार नाम इन्हें याद भी है। और जानते भी है।


खेर, फिर साढ़े दस को शाखा समाप्त हुई, और मैं और गजा, तथा पत्ता भी आखिरकार आया, और हमे बैठे कुछ देर। धूम्रके बादल बनाते हुए। अब आंखे घिरने लगी है। मुझे सुबह जल्दी जागना भी है। क्योंकि कल बाइक राइड करनी है, लगभग चारसौ किलोमीटर। कल रात तीन बजे नींद आयी थी। तो अभी थोड़ा सर भी भारी चुका है।


ठीक है फिर, शुभरात्रि।

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