बाइक सर्विसिंग और खर्च का झटका
सवेरे सवेरे मूड खराब कर दिया आज तो प्रियंवदा ! यह मोटरसाइकिल कम्पनी वाले भी बड़े ठग है। लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ते। सवेरे आज तो जल्दी जाग कर मैदान में सारी कसरतें पूरी नियत से की है। उसके बाद कुँवरुभा कोई एक इंजेक्शन लगवा आया। और फिर ऑफिस आते हुए रस्ते में ख्याल आया कि बाइक की सर्विस ओवरड्यू हो रही है। समय समय पर सर्विसिंग करवानी जरुरी है। ताकि बाइक की आयु बढ़े..! तो पहुँच गया सर्विस स्टेशन। यामाहा का अच्छा शोरूम है। लेकिन सर्विस बड़ी महंगी है। अभी कुछ देर पहले ही यामाहा से फोन आया, कि लगभग साढ़े सात हजार की सर्विसिंग कॉस्ट बैठेगी।
मेरा दिमाग हिल गया। कुछ समय पहले मैंने अपनी कार की जनरल सर्विस और अंडरबॉडी कोटिंग करवाई थी। उसका बिल बना था उनसठसौ..! और इस दुपहिया के यह लोग साढ़े सात हजार रूपये मांग रहे है। इनसे अच्छा तो कोई ठेले जैसा सर्विस सेंटर खोलकर बैठा होगा, वो भी बढ़िया काम कर देगा। डेढ़ साल हुआ है बाइक को। चैन-चक्कर, इंजन आयल, एक्सेलेटर वायर, ब्रेक शूज, और सर्विस कोस्ट मिलाकर साढ़े सात हजार का चुना लगाना चाह रहे है। अब गलती का अहसास हो रहा है मुझे। कहीं मैंने यह बाइक लेकर गलती तो नहीं कर दी? साढ़े सात हजार कोई छोटी रकम तो नहीं होती।
आम आदमी और अन्याय का बोझ
क्या करे प्रियंवदा ! जनरल केटेगरी वाले लोग के लिए तो बस "खादा-पीता लाहे दा, बाकी अहमद शाहे दा.." वाला हाल है। कमाकर जितना खा लिया, उतना ही अपना है, बाकी हर कोई लूट लेता है अपने यहाँ। कल गुजरात पुलिस कॉन्स्टेबल के रिजल्ट्स आए। गजबे फ्रॉड चल रहा है, वहां भी। जनरल केटेगरी का कटऑफ आया 120, वहीँ SC-ST का 80..! देख रही हो प्रियंवदा, कैसे खुले आम अन्याय हो रहा है। लेकिन कौन इस झमेले में पड़े? समय किसके पास है? क्योंकि हम तो बने ही, खादा-पीता लाहे दा, बाकी अहमद शाहे दा.. के लिए है। हररोज कहीं न कहीं हम खुली लूट का शिकार होते है। लेकिन विकल्प तलाशने की आलस में, और कुछ सामाजिक दिखावे के चलते, उसी सड़ी सिस्टम को ७८ वर्षों से ढो रहे है। आगे भी ढोएंगे।
किस्मत के अनोखे संयोग
फिर हम लोग एक यह फंडा भी तो स्वीकार लेते है, कि किस्मत में होगा तो कहीं नहीं जाएगा। अब यह योगानुयोग होता है, कोई अलभ्य संयोग हो जाता है, या पता नहीं क्या होता है, लेकिन कुछ तो ऐसा होता है, जिसे नसीब की श्रेणी हम मान लेते है। अभी कुछ देर पूर्व ही पत्ते का फोन आया था, वही बता रहा था, कि एक बार वह पेट्रोल भरवाने पंप पर गया। पेट्रोल पंप पर काम करते लड़के ने पेट्रोल भरते भरते अपना मोबाइल पत्ते की कार के रूफ पर रख दिया। पत्ता तो पेट्रोल भरवाकर निकल पड़ा। फोन कार की छत पर ही साथ साथ घूमता रहा। अजीब बात है, इतने बम्प्स आते है, रोड में गड्ढे होते है, कहीं अचानक से स्पीड बढ़ानी पड़ती है। फिर भी वह फोन गिरा नहीं छत पर से। उसने कहीं कार रोकी तो उसका ध्यान गया की कार की छत पर कुछ है। देखा तो मोबाइल.. वह भी परेशां... कि कार की छत पर फोन किसका होगा! तभी फोन की घंटी बजी। उसने उठाया तो पता चला, पेट्रोल भर रहे लड़के का फोन था।
खर्च, लोन और जीवन की उलझनें
नसीब ही कहना चाहिए, कि उस लड़के का फोन कहीं गिरा भी नहीं, और इतना घूम कर वापिस भी लौट आया। खेर, आज जब दोपहर को बाइक सर्विसिंग के नाम पर कईं सारे लेबर चार्जेज चुकाए है मैंने, तो मुझे वह रील याद आयी। PAYTM के ओनर ने कपिल शर्मा के शो में कहा कि 'आपकी लाइफ इतने लोवेस्ट खर्चे पर व्यतीत होनी चाहिए, कि जब सब कुछ ख़त्म भी हो जाए, तब भी आप बेस्ट सर्वाइवल मोड में हो।' बताओ.. वो करोडो की संपत्ति का मालिक होकर दिखावे में नहीं मानता.. और यहाँ मैं आमदनी से ज्यादा उड़ा देने के बाद मुँह फुलाए बैठ जाता हूँ। सच में, कभी कभी मुझे भी अहसास तो होता है, कि कब महीना खत्म होगा, और कब लक्ष्मीजी के दर्शन होंगे..!
एक दिन भी इधर उधर हो जाए, दुनिया इधर उधर हो जाती है। आदमी डेबिट कार्ड छोडकर क्रेडिट कार्ड पर चलने लगा है। पहले लोन उठाया करती थी बड़ी बड़ी कंपनियां.. और आज.. आम आदमी भी कर्जे में डूबा हुआ है। कुछ नहीं तो अंत में फोन की तो EMI होगी ही होगी..! यह लोन वाली भी एक बड़ी विचित्र इंडस्ट्री है। लोन बांटने वाला तो किसी भी एहरे-गहरे को लोन बाँट देता है। मैंने तो इन लोन वालों को कगरते देखा है, कि साहब लोन ले लो प्लीज..! क्योंकि इन्हे लोन देनी होती है, वसूलने वाले लोग अलग होते है। उनका दौर-दमाम, रुतबा अलग ही होता है। उनके बात करने का अंदाज भी अलग होता है। मेरे काफी मित्र यह लोन वसूली का काम करते है। कायदे से अपने को दया आ जाए उस पर जिसने लोन लिया है, इस तरह से बात करते है।
शाम ढलने लगी है। दोपहर तक जो सूर्य ने तापमान में उष्णता को बढ़ा रहा था, वह अब क्षितिज के उस पार जा रहा है। शीतलता से लिप्त वायु वातावरण में कलशोर कर रहा है। वर्षा ऋतु की खासियत ही यही है प्रियंवदा, यह संधि करवाती है, सूर्य की शीतलता के साथ। धीरे धीरे मानवनिर्मित रोशनी का पहरा बढ़ रहा है।
प्रियंवदा !
कठिन है,
कईं बार बहुत कुछ तोडना भी,
और मुँह मोड़ना भी,
अपने आप को, अपने आप से।
कुछ लोग
बैठ जाते है आँखों में,
और दिखा जाते है
दूसरी दुनिया,
रंगीन दुनिया के अलबेले स्वप्न,
महसूस होते है
पर मिलते नहीं,
वही आँखें किसी दिन
छीन ली जाती है,
उन्ही के द्वारा, जिन्होंने दी थी।
क्यों?
क्योंकि उन्हें फिर दूसरी आँखों में,
ख़्वाब बुनने जाना था।
या चले जाना पड़ा था...!- अनंत
शुभरात्रि।
२८/०८/२०२५
|| अस्तु ||
प्रिय पाठक !
“अगर आपने भी कभी बाइक सर्विसिंग या किसी अनचाही लूट का अनुभव किया है, तो कॉमेंट में बताइए। आपकी बातें भी इस ‘दिलायरी’ का हिस्सा बनेंगी।”
Dilayari पढ़ते रहिए, नए पत्र सीधे आपके Inbox में आएंगे:
Subscribe via Email »
मेरे लिखे भावनात्मक ई-बुक्स पढ़ना चाहें तो यहाँ देखिए:
Read my eBooks on Dilawarsinh.com »
और Instagram पर जुड़िए उन पलों से जो पोस्ट में नहीं आते:
@manmojiiii
आपसे साझा करने को बहुत कुछ है…!!!
और भी पढ़ें
#BikeService #Dilayari #LifeStruggles #KismatKiBaat #CommonManIssues #DailyDiary #IndianLife #MotorcycleService #PersonalDiary #BlogWriting


