
"नवरात्रि की तैयारियाँ और आशापुरा मढ़ की पैदल यात्रा: स्मृतियों और श्रद्धा की डायरी" || NAVRATRI...

नवरात्रि, आशापुरा मढ़ और जुगाड़ू तैयारियाँ – एक लोकभावन डायरी नवरात्रि आ रही है प्रियंवदा ! मन मे नया उमंग है.. उत्स…
नवरात्रि, आशापुरा मढ़ और जुगाड़ू तैयारियाँ – एक लोकभावन डायरी नवरात्रि आ रही है प्रियंवदा ! मन मे नया उमंग है.. उत्स…
चंचल मन और स्थिरता की जुगलबंदी: एक लेखक की ध्यान-यात्रा ध्यान में भी मन कहाँ चुप बैठा है? क्यों ? क्योंकि हमे चंचल…
शायरी, विरह और अंतर्मुखी मन: मेरी मौन डायरी जब मोहब्बत राहत नहीं, दुख बन जाए – फ़ैज़ से फ़राज़ तक और भी दुख हैं ज़माने …
हर विषय में अपूर्ण निपुणता: मेरी दिमागी बंदरकूद की डायरी एक प्रश्न... प्रत्येक विषय में निपुणता इतनी आवश्यक है क्या ? …
रंग या वर्ण... गरबा या डांस ? रंग और वर्ण : सौंदर्य के सामाजिक चश्मे भारतीय उपमहाद्वीप पर वर्षो से बाहरी प्रजा आती…
लेखन, ईर्ष्या और मैत्री: प्रियंवदा को लिखी एक डायरी कभी कभी ईर्ष्या सी होती है..! कोई कुछ कर पा रहा है तो मैं क्यो…
प्रियंवदा — जब आत्मा थकने लगे प्रियंवदा ! मुझमे कई सारी खामियां है, गिनने बैठु तो सुबह हो जाए.. पर अब उन खामियों क…
डायरी, पंचात और व्यसन किसी की डायरी पढ़ने में मजा तो बहुत आता है.. गुजराती में 'पंचात' भी कह सकते ऐसी क्रिय…
जब बातें खत्म हो जाती हैं... ऐसा भी होता है की कभी कोई बिलकुल तुम जैसा ही मिल जाए तब एक ही बार में ढेर सारी चर्चा …
प्रियंवदा: कल्पनाश्व पर सवार संवाद क्या हो जब तुम्हारे शब्द तुम्हारा साथ छोड़ दे.. मैं कुछ दिनों से प्रियंवदा …