कंटेनर से ट्रैफिक जाम, और समाज से सवाल || दिलायरी : ०८/०२/२०२५ || Dilaayari : 08/02/2025

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सुबह की झपकी, एक कंटेनर और ट्रैफिक की सजा

    सुबह साढ़े छह को बस ने घर से थोड़े नजदीक उतार दिया। घर पहुंचा, नाहा धोकर फ्रेश हुआ तो साढ़े आठ बज चुके थे.. ऑफिस के लिए निकला ही था कि गजे का फोन आ गया, बोला, 'रोड पर एक कंटेनर लेटा हुआ है, फुल ट्रैफिक जाम है।' मैं भी सोच में पड गया, अभी सवेरे बस से उतरा तब तक तो कोई एक्सीडेंट न था। लेकिन प्रभात का समय ही ऐसा है। अच्छे अच्छे ड्राइवर को झपकी लग जाए। 

    मैं पहुंचा तब लम्बी कतार लग चुकी थी वाहनों की.. दाएं बाएं करते हुए कंटेनर तक पहुंचा तो एक मोटरसायकल निकल जाए उतनी जगह थी। वहीँ से निकालकर ऑफिस पहुँच गया। सरदार फिर से बाहर गया है। २-३ गाड़ियां लगी हुई थी, और कल के कुछ काम गजे ने पेंडिंग छोड़ रखे थे, मेरे लिए ही तो। उसे भरोसा था की सुबह सुबह मेरे जैसा पागल ही नौकरी ज्वाइन कर लेता है।


ऑफिस में भूख, समोसे और समाज का जायका

    दिनभर वही हिसाब किताब की उलझनों में व्यस्त रहा। दोपहर को पेट से आवाजे उठने लगी.. बाहर जाते है तो बॉडी क्लॉक भी बदलता है। भूख लगने का टाइमटेबल बदलता है। दोपहर को फिर से एक बार मैं और गजा निकल पड़े। सोचा वडापांव से अभितृप्त होंगे, लेकिन किस्मत से समोसा था। ऑफिस लौटा, एक लड़का बिल लेने आया हुआ था। 

साटा-बाटा: जब विवाह बन जाता है लेन-देन

    कुछ काम था नहीं, तो उस बिल लेने आए लड़के से बातो में व्यस्त हो चला। कुछ बाते जानने को मिली। कुछ समाज / समुदाय ऐसे भी है, जहाँ लड़की को ब्याहने पर लड़के वालो की और से लड़की का पिता पैसे लेता है। वही बेचने वाली बात हो गयी। कुछ समाज है, जहाँ लड़की का पिता लड़के वालो से पैसे लेता है, और लड़की की शादी करा देता है। और यह रिवाज बन चूका है अब। मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि तुम लड़की का घर बसाने के बदले पहले ही लूट रहे हो। 

दूध का हिसाब और किसान की कमाई

    जो लड़का आया था वो बता रहा था कि उसके घर पर सब सुखी संपन्न है। ८-१० भैंस है, पंद्रह बीघा जमीन है, ट्रेक्टर है, थ्रेसर है। नहर उसकी जमीन से गुजरती है, मतलब अच्छी फसल होती है। obc को मिलते सरकारी लाभ अलग से। मैं भी गणित बिठाने लगा.. अगर दस भैंस है, तो एक भैंस एक समय पर सात लीटर दूध देती है। दिनका हुआ चौदह लीटर। दस भैंस का हुआ १४० लीटर। ५० रुपए प्रति लीटर का भाव अगर हो तो १४० x ५० यानी ७००० रूपये प्रतिदिन का दूध बिका। महीने हुआ २१०००० का दूध बिकता है। चारा वगैरह तो खुद के खेत से ही निकल आता है। खान देते है वो खरीदने का खर्च अगर आधे आधा बाद करे तब भी महीने लाख रूपये हुआ। खेती की आवक तो अलग..! 

सरकारी नौकरी का ग्लैमर और विवाह बाजार

    तब भी वो लड़का छोटी सी नौकरी कर रहा है, और साथ में सरकारी नौकरी की तयारी। क्यों ? क्योंकि रिवाज बन चूका है, सरकारी नौकरी है तो लड़की के पिता को पैसे नहीं देने पड़ेंगे.. या फिर इनमे एक और रिवाज है, जिसे साटा-बाटा कहते है। दो भाई बहन है, और सामने पक्ष में भी दो भाई-बहन होने चाहिए। ताकि यह लड़का जिस लड़की से शादी करे उस लड़की के भाई से अपनी बहन का विवाह कर देगा। एक तरह का बार्टर सिस्टम..! 

दहेज, समाज और सोच की विरासत

    समाज में बहुत सी गंभीर समस्याएं है। जैसे इस समाज में लड़की का पिता पैसे लेता है। कुछ समाज में लड़की का पिता पैसा देता है। कुछ समाज में स्वर्णाभूषण के नाम पर, तो कहीं भेंट-सौगाद के नाम पर यह लेनदेन चलता ही जा रहा है। उस बिल लेने आये लड़के को नौकरी करने की कोई जरुरत नहीं है। बस उसका रिश्ता कहीं पक्का हो जाए इसी कारण से नौकरी करता है।

    दुनिया के रिवाज बड़े ही विचित्र है। ठीक है, आज तो पूरा दिन कैसे बिता है पता न चला। अभी एक गाडी लगी हुई है जो देर तक लोड होगी, और उसके बिल के लिए मुझे रुकना पड़ेगा। अभी समय हो रहा है २०:२३.. और यही इस दिलायरी को विराम दे देते है।

    शुभरात्रि 
    (०८/०२/२०२५, २०:२४)

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