दिलायरी : ०९/०२/२०२५ || Dilaayari : 09/02/2025

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कोई जल्दी न थी आज सवेरे जागने की। साढ़े आठ को जगा, ऑफिस के लिए निकला तब पौने दस बज रहे थे। शहर में कई जगहों पर एक साथ सरकारी चेकिंग चल रही है। स्पष्टता से नही लिख सकता हूँ। क्योंकि लगभग व्यापारियों में एक भय का माहौल है। मार्च आते आते यह हर साल का है। कुछ इनपुट्स होते है सरकारी अधिकारियो के पास। अन्यथा व्यापारियों के घर पर raid नही पड़ा करती। सरदार ऑफिस पर आया नही, लाइट भी न थी आज तो। ऑफिस पर वही रविवारीय कार्यक्रम.. हमेश की तरह। तीन बजे तक सब निपटा लिया। सरदार को फोन मिलाया, हिसाब किताब तो बाकी ही पड़े थे। लेकिन तीन बजे रहे है, रविवार है, छुट्टी नाम की भी कोई चीज होनी चाहिए।



साढ़े तीन को घर पहुंचा। भयंकर आराम किया है आज.. अभी कुछ देर बाहर बैठने निकला हूँ, दुकान पर। गजा शाखाओं में गया है, पत्ता तो नए नए विवाह के लड्डू खा रहा होगा। 


ठीक है फिर, आजकी कहानी इतनी ही है..!

(०९/०२/२०२५, २१:१९)


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