पूरा दिन आज तो अनुलोमविलोम में गुजरा है। आधा दिन एक तरफ की नासिका बंद रही तो बाकी आधे दिन दूसरी ओर की। एक बार क्लीनिक हो आया हूँ। और झुकाम जैसी फालतू चीजो के लिए सुबह सुबह डॉक्टर के दर्शन करने मुझे रास भी नही आते। सुबह लगभग नौ बजे ऑफिस पहुंच चुका था। काम के नाम पर सुबह थोड़ा बहुत कर लिया फिर पूरा दिन आराम ही आराम था। और आज तो हुआ भी ऐसा की एक तरफ झुकाम, एक तरफ कुछ काम भी नही, और देखने लायक कोई मूवी भी नही..
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Jhukaam se Jujhte Dilawarsinh..! |
दोपहर को गजे को कुछ काम था तो हम दोनो मार्किट चले गए। उसने अपना काम निपटाया, फिर तबियत गयी तेल लेने, नाश्ता कैसे चूक सकते है? नाश्ता करके मेडिकल से मैंने तो विक्स एक्शन 500 ले ली.. एक निगल ली, लेकिन इतनी कोई राहत अनुभव हुई नही। दोपहर बाद सरदार भी नही आया, और मैं दिनभर ऑफिस में कुर्सी पर ही पसरा रहा।
बस, कल ही एक मित्र ने तारीफ की थी कि दिलायरी अब बड़ी होती जा रही है। मुझे फिक्र हो गयी, तो बस आज इतने में ही शुभरात्रि।
(१०/०३/२०२५, १०:१३)
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जहां दिल ने बल्ला थामा, और जज़्बातों ने चौके-छक्के लगाए..! Dilawarsinh की नज़रों से Cricket का सबसे अनोखा अनुभव पढ़िए।
पढ़ लिया? अब बताइए!
क्या कभी झुकाम ने आपको भी इतना फिलॉसॉफिकल बना दिया था?
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शायद कोई और भी अनुलोमविलोम जैसी ज़िंदगी जी रहा हो..
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