पुराने युद्ध और आज की मानसिकता..! || दिलायरी : ०७/०५/२०२५ || Operation Sindoor - Justice For Pahalgam

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पुराने युद्ध और आज की मानसिकता..!

प्रियंवदा ! रात को दो बजे मेरी आँख खुल गयी थी..! तभी पता नहीं था की बस आधे घंटे पहले ही भारतीय सेना ने एक बड़ी कार्यवाही की है। मैं वापिस से सो गया था। लगभग आठ बजे उठा..! ऑफिस जाने से पूर्व नाश्ता करते हुए अक्सर मैं समाचार देखता हूँ..! खबर मिली की रात को १ से १:३० के मध्य भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिन्दूर कर दिया..! क्या खुश हुआ हूँ मैं.. फूला नहीं समा रहा था..! कल रात को भोजन करते समय आसमान में बार-बार फाइटर जेट्स गरज रहे थे। मैंने कल की दिलायरी में इसी कारण से लिखा था कि आसमान में शेर दहाड़ रहा है।

Tiranga Sadaa Lahraega.. - Dilawarsinh

सुबह ऑफिस आते आते रस्ते भर में बहुत से न्यूज़ सुने..! लेकिन सोसियल मिडिया पर बहुत सारे ऐसे न्यूज़ भी है कि किसपर भरोसा करें किस पर नहीं यह तय नहीं हो पा रहा है। कुल नौ आतंकवादी ठिकानों पर भारत ने कार्यवाही की है..! बहावलपुर, मुरीदके, तेहरा कलान, सियालकोट, बरनाला, कोटली में दो ठिकाने, और दो ठिकाने मुज़फ़्फ़राबाद के..! बड़े मीम बना रहे थे पाकिस्तानी पिछले कई दिनों से, 'चाय पिलो.. चाय पिलो..' आज मैं प्रत्युत्तर में कहता हूँ, 'जाओ ! आग जला दी है, अब चाय बना लो..'

ऑपरेशन सिन्दूर.. 

ऑफिस आया तब से बस यही खबर दिमाग में गूँज रही है। समाचारो से खबरे सुन रहा हूँ। ऑपरेशन का नाम कितना सही रखा, 'सिन्दूर'.. सिन्दूर उजाड़ने वालो के ठिकाने उजाड़ दिए.. लगभग पचीस मिनिट के इस ऑपरेशन स्ट्राइक की सटीकता कितनी सही है, जहाँ चाहा वहीँ मारा.. न जरा इधर मिसाइल गिरी न जरा उधर..! हैरान करने वाली बात तो मुझे यह लगी की CDS मनोज नरवणे ने दसेक बजे ट्वीट किया, 'पिक्चर अभी बाकी है..' सच कहूं तो मुझे थोड़ी ज्यादा आशा थी..! मैं युद्ध का पक्षधर भी नहीं हूँ, लेकिन इस मामले में तो हूँ ही। आर्मी की और से प्रेस ब्रीफिंग करने भी दो महिला अफसर आयी..! सारी चीजे बड़ी बारीकी से हुई है। ऑपरेशन का नाम सिन्दूर, आर्मी की और से महिला अफसरों का उद्बोधन, मोदी के प्रेस रिलीज़ में इस हमले का जिक्र तक न करना..!

जैश ए महम्मद वाले मसूद अज़हर के १० से ज्यादा परिवारजन इस हमले में चींथड़े हो गए..! भारतीय सेना तुम्हारा धर्म देखकर नहीं मारती.. तुम्हारे कर्म का फल प्रदान करती है। मुझे जरा आपत्ति नहीं मालूम होती इन आतंकवादियों के शवों को चींथड़े कहने में। और भला क्यों करूँ? इनके भीतर नैतिकता ही नहीं है, तो मैं क्यों नैतिकतापूर्ण शब्दों का प्रयोग करूँ? फिर भी हमे सिखाया गया है कि हमें अपनी नैतिकता नहीं छोड़नी.. तो क्या अब इन कुत्तो को आतंकवादी जी कहकर बुलाया जाए? या इन पाकिस्तानी गधो को घोड़े कैसे मान ले कोई? 

कुछ लोग बड़ी वेदनाभरी बाते करते है.. 

स्नेही से बात हुई, उनके पास भी आज एक गंभीर मुद्दा था। कुछ कायर लोगो की पोस्ट से वे परेशान थे..! थोड़ा विस्तृत बताता हूँ। कुछ लोग बड़ी वेदनाभरी बाते करते है। शायद ज्यादा पढ़े लिखे लोग कहे जाए या फिर बुद्धिजीवी..! जो द्रढ़तापूर्ण तरिके से कहते है और फैलाते है कि युद्ध से जानहानि होती है, मासूमो के जिव जाते है। उग्र नारे उठते है, भीड़ बेकाबू होकर विध्वंश मचाती है। हमे युद्ध नहीं चाहिए, वगैरह वगैरह..! स्त्रियां है यह सब लिखने वाली। इन बुद्धिजीवियों को पढता हूँ तो मुझे ख्याल आता है, यह लोग पढाई-लिखाई में इतने मशगूल हो गए की प्रतिकार की भावना शायद इनमे जन्मी ही नहीं..!

मैंने बचपन से कहानियां सुनी है, अपने पूर्वजो की। तब मोबाइल न थे, माताजी, दादीमाँए और नानीमां से कहानियां सुनते हुए निंद्रा का आगमन होता..! कई बार सुना है कि, शिवाजी को शिवाजी बनानेवाली जीजाबाई थी, महाराणा प्रताप में नीति भरने वाली जयवंताबाई थी, जोधपुर की महारानी जसवंतदे ने अपने पति जसवंतसिंह को गढ़ में प्रवेश की अनुमति नहीं दी थी, जब उन्हें पता चला कि उनका पति युद्ध से भागकर वापिस आया है। हाड़ी रानी ने अपना सर काटकर पति को दिया था, क्योंकि पति युद्ध में जाने से कतरा रहा था..! वे स्त्रियां कहाँ गयी? आज तो मैं सुनता हूँ स्त्रियां मानवतावादी हो कर युद्ध के बजाए शांति की अपील कर रही है..!

बड़ा हास्यास्पद और शर्मनाक भी लगता है। युद्ध के प्रति उद्घोष जगानेवाली भीरूतापूर्ण बाते करने लगी है। कहानियां सुनती, पढ़ती, तो इनमे वे भाव आते.. एक युद्ध के पश्चात जब एक राजपूतानी अपने पति के शव को रणमैदान में ढूंढ रही थी और उसे कहीं न मिला तब वह वापिस घर आयी और अपनी सासु से उसने कहा कि, 'सासुमां आपका बेटा तो कायर निकला, पूरा संग्रामस्थल देख आयी मैं कहीं उसका शव नहीं।'

तब उसकी सास प्रत्युत्तर में कहती है,

वहुवर मारो बेटडो, तों सगुणी रो कंथ :
कां घोड़ा रे घुमरे, कां गेमर गजदंत.. ;

मतलब, 'मेरा बेटा, तुज जैसी सगुणा का पति कभी भी रणमैदान से भागेगा नहीं, फिर से जा, ठीक से देख, या तो वह किसी अश्वदल को काटते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ होगा या फिर किसी हाथी को मारने के लिए गजदंत पर चढ़ा होगा।' यह एक विश्वास की बात है। एक माँ का अपने पुत्र पर विश्वास। यह स्त्री ही कर सकती है। अपने पुत्र में नीति का संचार, अनीति से दूरी, वीरत्व का भाव, स्त्री का कर्तव्य है। लेकिन अब, स्त्री खुद भीरुता की ग्रसित दिखती है। प्रतिकार की भावना यदि उसमे ही नहीं होगी तो उसके गर्भ से उत्पन्न होती संतति का क्या होगा? यह वैसे एक तरफा स्त्रीद्वेषी बातें लग रही है.. है न प्रियंवदा?

पुरुष भी तो कायर होते है। उनकी कायरता तो रणक्षेत्र से लेकर शयनखंड तक की विख्यात है। उनके विषय में तो क्या कहा जाए? ज्यादातर जिनके पास संपत्ति होती है, वे ही शांति की कामना करते है। क्योंकि उन्हें पता है, युद्ध से आर्थिक हानि भी तो होनी है.. वैसे यह सब मानसिकता पर और बाल्यावस्था से सिंचित संस्कारो पर निर्भर करता है। क्योंकि महाभारत का विजेता अर्जुन यादवास्थली के बाद हारा था। पौरुष कब कहाँ कर्ण की शक्तियों की तरह विस्मृत हो जाए, कुछ निश्चित नहीं। 

लोग युद्ध को मजाक में ले रहे है.. 

हाँ ! यह बात भी सही है कि बहुत से लोग युद्ध को एक मजाक में ले रहे है। उन्हें पता नहीं है, क्योंकि कभी भी नजदीक से युद्ध देखा नहीं है। मैंने भी नहीं देखा है, लेकिन मैंने जिन्होंने देखा है उनसे सुना है, कैसे पाकिस्तानी जेट्सने कच्छ पर बॉम्ब्स गिराए थे, कैसे लोग जमीन पर लेट जाते, कैसे अंधारपट छा जाता, कैसे कुछ महिलाओं ने बमबारी के बिच रनवे बनाया, कैसे भारतीय हवाई सैन्य ने प्रतिकार किया..! महिलाओं ने रनवे बनाया था.. 'महिलाओने'.. वे चाहती तो भीरुता धारण कर लेती..! युद्ध के कारण महंगाई से लेकर रोजमर्रा का जीवन तक बदल जाता है, सारी सुविधाएं तत्काल ख़त्म हो जाती है। हमे इसके लिए तैयार रहना चाहिए, न कि युद्ध के बदले शांति की मांग रखनी चाहिए। प्रियंवदा ! युद्ध से एक लम्बे समय की शान्ति मिलती है। सहकार बढ़ता है। नजदीकियां बढ़ती है क्योंकि आवश्यकता उत्पन्न होती है। 

एक बात मैंने गौर की है, तमाम सोसियल मिडिया पर पाकिस्तानी फेक न्यूज़ बड़ी तीव्रता से फैलती है। सुबह से लेकर अभी तक लगातार पाकिस्तानी यही मानकर चल रहे है की उन्होंने भारत का राफेल, ड्रोन, और एकाध और फाइटर जेट मार गिराए है। वे मानते है तो भले माने, लेकिन यह फेक न्यूज़ लगातार वे लोग फैला भी रहे है। भारतीय सेना की और से दोनों महिला अधिकारियो ने पूर्ण ऑपरेशन की समस्त गतिविधियां मिडिया के सामने प्रस्तुत की है। लेकिन लगे पड़े है पाकिस्तानी लोग ख्याली पुलाव को चबाने में। लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-महम्मद और हिज़्बुल मुजाहिद्दीन यह तीनो माटी में सर डालकर रो रहे है फ़िलहाल तो।

मौसम और मैं.. 

पिछले दो दिनों से तो मौसम भी गजब का बदला है प्रियंवदा ! दिन में दस बार सरकारी मेसेज आते है, 'आपके क्षेत्र में संभवित तूफ़ान की आशंका है। पवन की गति ६०-८० प्रति की.मि. रहेगी।' और वाकई दो दिनों से बारिश भी हो रही है, कल दोपहर को मार्किट से ऑफिस आते हुए भीग भी गए थे। अभी लगभग चार-पांच बजे करीब सुबह दिखा सूर्य काले घने बादलो में छिप गया। हवा के तेज झौंके ऑफिस के बहार लगे नीम को मूल तक हिला देते है। गर्मी का प्रभाव यथावत है। कुछ कुछ देर में ac चालू-बंद करता रहता हूँ मैं। यह मौसम जरूर से बीमारियां लाएगा। अभी अभी कच्छ के कांडला में मॉकड्रिल के दौरान ओले गिरे..! सुबह से गर्मी थी, और अब ठन्डे पवन चल रहे है। शायद यह पवन भी पहलगाम हमले का बदला पूर्ण होने पर शीतलता अनुभव कर रहा हो।

दोपहर बाद आज तो कुछ भी काम था ही नहीं, बस रील्स, शॉर्ट्स, और यह लेख बिच बिच में अपडेट करता रहा हूँ। समय हो चूका है साढ़े छह। मैं इस मिसाइल स्ट्राइक्स से खुश भी हूँ और असन्तोषी भी.. पता नहीं क्यों, लेकिन आज यह 'दिल मांगे मोर'..! देखते है, मनोज साहब ने तो कहा ही है, 'पिक्चर अभी बाकी है..' तुम्हे संतोष है प्रियंवदा?

शुभरात्रि। जय हिन्द। जय हिन्द की सेना। 

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  1. पता नहीं सही पोस्ट पर कॉमेंट हो रहा है या नहीं... पर.... यहा इतने विस्तार से सब बातों को लिखा, पढ़कर भी अच्छा लगा और सोचने वाली बात है........

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    1. Bilkul Sahi post pr ho aap bhaai..! Dhanyawd Padhne ke liye...!

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