आज बहुत बकैती कर दी... Talked a lot today...

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कभी कभी सच लगता है, सरकार कहीं इस लिए तो हेलमेट नहीं पहनवा रही कि उससे हेलमेट बनाने वाली कंपनियों को काम मिले, लोग टिफ़िन लेकर वहां काम करने जाए, हेलमेट खरीदने वाले GST भरे, सरकार की आय हो, अगर हेलमेट नहीं पहना तो सरकार के बाशिंदे रोड पर दंड वसूले.. अच्छी स्किम है, हेलमेट लो तो सरकार को टैक्स के रूप में पैसा मिला, न लो तो दंड के रूप में। इन्शोर्ट पैसा आपका, जीवन आपका, इच्छा आपकी, लेकिन सरकार फिर भी CUT मार सकती है। मस्त ज्ञान की बात मारी है ना...



ऐसी बहुत सी बाते है जो हम पर थोप दी जाती है कि यह करो..! बच्चे हो तो खाना खाओ, थोड़े बड़े हुए पढ़ने जाओ, पढ़ लिया, नौकरी करो, नौकरी मिल गई, शादी करो, शादी हो गई तो बच्चे करो, बच्चे हो गए तो अब पालो उन्हें, वे बड़े हो गए तो अब शांति रखो, अब उनकी चलेगी, तुम्हारा दौर जा चूका.. अबे था कब? दौर आया ही कहाँ? समय के साथ भागने में ही बहुत सी और चीजे पीछे छूट गई। और लोग कहते है हमे यह चाहिए, वो चाहिए.. पगार से ज्यादा खर्चे पाल लेते है लोग, फिर कहते है घूमने जाना नसीब में नहीं है। अबे था नसीब में, तूने दूसरे-तीसरे कामो में अपने हाथ फंसा रखे है।


कुछ और भी लोग होते है, जो हंमेशा पांच बार बजते स्पीकर्स जैसे चिल्लाते रहते है प्रेम नहीं होता, प्रेम नहीं होता। अबे तू यूँ बोल कि तूने नहीं देखा.. या तूने अनुभव नहीं किया। तेरी मोटी चमड़ी में मच्छर अपनी चोंच नहीं फंसा पाता, प्रेम कहाँ से घुस पाएगा तेरे भीतर? लेकिन बस वही अहम् भाव कि मैंने कह दिया मतलब सच है। और लोग जो कह रहे है कि होता है वे भ्रम में है..! क्यों भाई? तू खुद भ्रम में हो यह नहीं सम्भवता? या तू अपना प्रसंग कहीं स्थापित नहीं कर पाया इस लिए तू खुद भ्रम में है ऐसा नहीं कहा जा सकता? फिर कहेगा दुनिया मतलबी है। तो तू भी बन.. तू क्यों किसी के पीछे मोहान्ध हुआ पड़ा है? यह तो वही बात हो गई कि खुद दिन के ढाईसौ सिगरेट्स गुटखा में उड़ाने वाला दुसरो को पैसे बचाने की सलाह देता फिरे। या फिर उल्टा कर के कहूं तो किसी को दिन के ढाईसौ उडाता देख मैं भी तीनसौ उड़ाऊंगा, लेकिन वह भूल जाऊंगा कि वो दिन के पंद्रहसौ कमा भी रहा है। अजीब रिवाज है, कभी कभी लगता है कि चल क्या रहा है यहाँ? 


काम कैसे करना है वो कोई नाइ से सीखे.. वो बाते करता जाता है, काम भी करता जाता है, तुम्हारा माल भी रख लेता है, ऊपर से पैसे भी लेता है, त्यौहार की बक्शीश भी। दो प्रोफेसन ऐसे है कि जहाँ कांपते हाथ वाले काम नहीं कर सकते, एक हो गया डॉक्टर, दूसरा नाइ। पहला बहुत सिर्फ सुनता है, दूसरा सिर्फ सुनाता है। नाइ को कभी भी आपके प्रत्युत्तर की अपेक्षा ही नहीं है। आपको बस मुंह बंद रखके "हम्म्म" बोलना है, वो भी तब जब आपके गले पर तेज उस्तरा हो। ईश्वर के बाद वही है जिसकी हर कही सर झुका के मान लेनी है। उसको मसाज के नाम पर कायदे से हमे मारने के पैसे चुकाते है हम। वरना मजाल है कोई सर पर टपली मारे? ज्ञान की देवी का सर्वाधिक कृपापात्र वही है शायद, क्योंकि ट्रम्प से लेकर रोहित शर्मा के बल्ले तक का उसे ज्ञान है, उसके पास सलाह भी है, कि मोदी को कब क्या करना चाहिए। बस उससे कोई पूछता नहीं है, फिर वो उस ज्ञान की उल्टियां करता है, सब पर थोड़े थोड़े छींटे उड़ते है। किसी को भी घिन्न नहीं आती। उसके पास फिटकड़ी नाम की संजीवनी भी है। नाइ छडे चौक कह भी सकता है कि, "कोई अगर कहे कि बाल बांका नहीं कर सकता उसका, मैं कहता हूँ एक मौका दो।"


ठीक है, आज बहुत बकैती कर दी।


|| अस्तु ||


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