दिलायरी : १०/०२/२०२५ || Dilaayari : 10/02/2025

0

आज सुबह सुबह याद आया, मोटरसायकल की सर्विस डेट जा चुकी है। सर्विस में देनी पड़ेगी। गजे को फ़ोन करके सीधा यामाहा शोरूम पर ही बुला लिया ताकि मेरी मोटरसायकल सर्विस में दे दूं, और उसके साथ ऑफिस चला जाऊं। नौ बजे yamaha पर पहुंच गया था मैं, और साढ़े नौ को खुलना था। आधे घण्टे बाद उनका सर्विस मैनेजर आया। मैंने मोटर-सायकल जमा कराई, और सुबह सुबह मेरी उससे इस बात पर बहस हो गयी क्योंकि डेट चली जाने के कारण वह फ्री सर्विस नही देने वाला था। वो अपनी बात पर अड़ा रहा कि पेड सर्विस होगी। 



Yamaha के साथ मेरा अनुभव कुछ अच्छा रहा नही है। बाइक देकर ऑफिस के लिए निकल लेकिन चाय की इच्छा हो आयी। लच्छु कि चाय बड़ी प्रख्यात है अपने यहां, एक एक चाय, सिगरेट के कस लेकर ऑफिस पहुंचा तो सरदार पहले से ही गुस्से में चक्कर काट रहा था, ऊपर से मैं और गजा दोनो ही लेट, दस बज गए थे। व्यापारियों पर टैक्स वालो का जबरजस्त शिकंजा कसा जा चुका है। मेरे ऑफिस पहुंचते ही सरदार ने कल के पेंडिंग हिसाब बनाने में लगा दिया। सारे बना दिये, तीन दिन की छुट्टी में ही हिसाबो का ढेर था। दोपहर तक निपटा दिया सब। सोमवार के कारण और कुछ काम नही था, कब दो बजे गए पता नही चला। तो लगे हाथ प्रियंवदा की सूचित 'मिसिज़' देख ली। शाम पौने सात बजे याद आया, दोपहर तीन बजे सर्विस सेंटर से फोन आया था कि सात बजे से पहले बाइक ले जाना। गजे को साथ मे लिया, रिक्शा वगेरह से जाता तो साढ़े सात बज जाते और सर्विस सेंटर बंध हो जाता। गजे ने थोड़ी ही देर में पहुंचा दिया। बाइक बाहर ही खड़ी थी। बारहसो का बिल बना दिया था यामाहा ने। चारसो रुपये सर्विस चार्ज लेते है, क्योंकि फ्री सर्विस ओवर्ड्यू हो गयी थी। वैसे बड़ी बेकार सिस्टम है यामाहा की। रिमाइंडर कॉल भी दिया नही था मुझे। 


यामाहा बड़ी ब्रांड है, लेकिन सर्विस कोई ढंग की नही है उतनी। मोटरसायकल को सालभर नही हुआ और हर जगह जंग लग गया है। सब जगह रस्टिंग दिखती है। दिल और दिमाग दोनो जलते है, जब आपने लगभग दो लाख लगाए हो एक मोटरसायकल पर, और एक साल होने से पहले ही जंग लग जाए। सर्विस वालो को खूब झाड़ा.. क्योंकि एक तो इन्होंने सर्विस के लिए रिमाइंडर कॉल किया नही मुझे, ऊपर से इस मोटरसायकल में जगह जगह रस्टिंग हो चुकी है, दूसरा यह लोजी प्रोसेस में समय खाते है। मैने सर्विस सेंटर में जाते ही स्कैनर से बारहसो की पेमेंट कर दी, लेकिन बिल मांगा तो इन्होंने बना ही नही रखा था। मेरे पक्का बिल मांगने पर वह बिल बनाने बैठा। इतना बड़ा शोरूम है, लेकिन बिल के लिए प्रिंटर बाबा आदम के जमाने का, दस बार उसने पेज को धक्का मारा तब प्रिंटर ने वह पेज खींचा, और बिल छापा। सब पेपरवर्क पूरा करके बाइक के पास पहुंचा तो बाइक तो चमका दी थी इन्होंने लेकिन बिल में पता नही तिनसों अस्सी किस चीज के जोड़ रखे थे, वे बताते है कि इंजिन आयल के साथ कुछ और पार्ट भी डाला है। राम जाने। वैसे यह मोटरसायकल मेरी फेवरिट है, बस यामाहा वाले बेकार लोग है। सीट के नीचे सालो की धूल और जाले वैसे ही लगे पड़े थे। सीट के नीचे मोटरसायकल का मगज होता है, इस लिए यह लोग वहां पानी नही मारते। लेकिन पानी न मारे कमसे कम कपड़ा तो मार देना चाहिए। चारसो रुपये किस चीज के लेते है फिर? उनको कहकर आया हूँ, सर्विस फीडबैक के लिए कॉल तो आएगा तुम्हारा, तब जवाब दूंगा। इस मामले में हीरो की सर्विस अच्छी है। हीरो की स्प्लेंडर भी है एक। एकबार सर्विस में दिक्कत रही तो जब सर्विस फीडबैक के लिए कॉल आया और मैंने एक स्टार ही दिया तो कुछ ही घंटों में शहर के हीरो सर्विस स्टेशन से फोन आया था कि आपकी स्प्लेंडर ले आओ, जो भी समस्या है ठीक कर देंगे। अब देखते है यामाहा को वन स्टार देने पर यह लोग क्या प्रतिक्रिया करेंगे।


खेर, घर आते आते एक और ऑफिस का काम निकल आया तो वो भी कर दिया, थोड़ा डीरूट जाना पड़ा और लगभग सात-आठ किलोमीटर ज्यादा चलना पड़ा लेकिन चलता है। ठीक है फिर शुभरात्रि।

(१०/०२/२०२५, १२:०८)


Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)