दिलायरी : २०/०२/२०२५ || Dilaayari : 20/02/2025

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शाम के सात बजकर सात मिनिट हुये है। और नवीनतम कुछ भी नहीं हो रहा है जीवन में। वही सुबह ऑफिस आओ, और शाम को घर लौट जाओ..! दिनभर कुछ भी काम था ही नहीं आज भी। दो-तीन छोटे काम के अलावा पूरा दिन मोबाईल चलाना है। वैसे समस्या यह है की आजकल अन्य कोई इच्छा भी तो नहीं होती, जैसे कुछ नया पढ़ना, या कुछ लिखना.. जब काम ज्यादा होता है, तब तो यह सब खूब सूझता है, और समय का अभाव हो चलता है। अभी समय ही समय है तो कोई इच्छा नहीं है। हकीकत में आज आधा दिन रील्स देखि है, और आधा दिन गूगल मैप्स। पता नहीं मुझे क्यों सेटेलाइट मेप देखने में कौन सा मजा आता है। और ख्याली पुलाव पकाने में तो माहिर हूँ शायद... ऐसे ही ख्यालो में चला गया था, कि अगर सुबह तीन बजे मैं घर से निकलूं तो दोपहर तीन बजे तक तो जयपुर पहुँच ही सकता हूँ.. वहां से शायद चारेक घंटे में आगरा.. मतलब शाम होते होते आगरा.. वहां रात रूककर अगले दिन अयोध्या.. अयोध्या से प्रयाग, फिर बनारस, और यूँ करते करते मैं झारखण्ड में देवघर तक पहुँच गया। फिर वहां से वापिस आते हुए मथुरा। और फिर चित्तोड़ होते हुए वापिस घर..! मतलब कुछ भी.. इसे शायद दिवास्वप्न की श्रेणी में रख लो.. 


सच में आदमी के पास कुछ काम तो होना चाहिए। सुबह फिट नौ बजे ऑफिस पहुँच गया था। दोपहर तक में ही काम थे वे निपटा लिए थे। और दोपहर बाद तो सरदार भी दिखा नहीं है। दोपहर को मैं और गजा मारवाड़ी की कचौड़ी खाने चले गए थे। और वापिस ऑफिस आते हुए बुरे जाम में फंसे थे। लेकिन जाम हमे वैसे फंसा नहीं सकता, यूटर्न मारकर, ऑफरोड चले गए। नदी के किनारे किनारे ऑफिस..! आज तो कोई रील भी सोचने लायक आई नहीं। सब शायद अपने आपमें व्यस्त है। न तो पत्ता का फोन आया, न प्रियंवदा से कोई चर्चा हुई, न कोई नविन मुद्दे में मन उलझा..! बस जैसे दिन शुरू हुआ, और ढल गया.. कुछ भी नयापन, या कुछ भी यादगार नहीं। अब कुछ हुआ ही नहीं आज दिनभर में तो दिलायरी में भी क्या उतारूं? 

दिनभर में कुछ तो उटपटांग होना चाहिए। जो याद रहे। जिसे फिर कभी याद करके मुस्कुराया जा सके। मोबाइल में नोटिफिकेशन भी कुछ ढंग की आ नहीं रही.. YQ वाले पब्लिशिंग के देते है। टीम स्नैपचेट वाले कुछ तो कह रहे होते है जिसे मैं खोलता नहीं। इंस्टाग्राम से किसी ने गलती से स्टोरी लाइक की हो तो एकाध नोटिफिकेशन आती है, जिसे स्वाइप कर के हटा दी जाती है।

और क्या लिखूं? चलो फिर छोडो, Thai में Funy...
(२०/०२/२०२५, १९:२६)

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