दिलायरी : २२/०२/२०२५ || Dilaayari : 22/02/2025

0

चलो फिर शुरू करते है दिलायरी..! आज तो शुरुआत हुई सुबह साढ़े चार को..! सवेरे सवेरे जल्दी इस लिए उठा दिया गया क्योंकि हुकुम को जाना था एक स्मशान यात्रा में.. हालाँकि इतनी जल्दी कभी भी स्मशानयात्रा होती नहीं है, लेकिन सुबह सुबह हड़बड़ाहट में किसी को यह विचार ही न आया। मुझे जगाया, क्योंकि उनसे मेरी बाइक ही चालु नहीं हो रही थी। मैं भी भर-निंद्रा में था, आँखे मलते हुए कुछ देर तो यही सोचा की मामला क्या है? इतनी निंद्रा में था की मुझे खुद ही समझ नहीं आ रहा था की बाइक चालु क्यों नहीं हो रही?  लेकिन कुछ ही मिनिटो में हुक्म की लताड़ सुनकर सारा होश आ गया। इंजिन-किल स्विच ही बंद थी, तो सेल्फ स्टार्ट कैसे होगी? चालु कर के वे चले गए, और मैं पुनः बिस्तर में।



लगभग साढ़े सात को फिर आँख खुली..! वे लोग अभी तक आये न थे..! नौ बजने को आए, ऑफिस जाने का समय भी हो चला था..! और बाइक हुकुम के पास.. ऊपर से वे फोन भी घर पर ही छोड़ गए थे। कॉन्टेक्ट भी कैसे करूँ? फिर कार लेकर ऑफिस चला आया। यहां ऑफिस के बाहर वो कल का फंसा ट्रक निकालने के लिए एक क्रेन तो खड़ा था लेकिन उसके अकेले के बस की थी नहीं। फिर एक लोडर को ट्रक के पीछे सपोर्ट देने को लगाया गया और क्रेन को ट्रक खींचने के लिए। कुछ ही देर में ट्रक निकल आया। लेकिन वो सीवेज टैंक बर्बाद हो चुका। ट्रक का हैंडलिंग करने वाला भी पहचान का निकल आया, अब उससे खर्चा भी क्या मांगे?


शनिवार था, सरदार तो आया नही था। गजा भी छुट्टियों पर गया था, दोपहर को फिर कार लेकर मार्किट चला गया। सोचा कार पर लगा हुआ लोगो अब बदलते है। आर्ट्स एंड डिज़ाइन वाले के पास पहुंचा तब पौने दो हो रहे थे, अगले ने एक घण्टे का काम देखकर खाना खाने जाने का बहाना मार दिया। दूसरी शॉप पर गया तो उसके पास पहले ही बोलेरो खड़ी थी यही स्टिकर्स वगेरह के लिए, उसने भी एक घंटा लगेगा कहा। फिर सोचा छोड, किसी दिन अच्छे से फुर्सत में आएंगे। फिर वही सर्कल वाले कि दाबेली दाब कर घर पहुंचा.. कार पार्क कर के बाइक लेकर ऑफिस के लिए चल दिया। शाम और रात को लंबा ट्रैफिक जाम लग जाता है, बाइक तो दो ट्रक के बीच बने गलियारे से निकल सकती है, कार नही निकल पाती। इसी लिए बाइक बढ़िया है।


शाम को एक गाड़ी आयी, पता लगवाया तो सोमवार को निकलेगी। फिर कुछ बैंकिंग वगेरह के कामो में उलझ गया। शाम हुई, अंधेरा हुआ और बोतल से प्रकटे जिन्न की माफिक सरदार अच्चानक से हाजिर हुआ.. ठीक ही हुआ कि वो आ गया। कल रविवार को वरना ज्यादा परेशानी हो जाती उसकी गैरहाजरी में। लेकिन कल काम भी मेरे पास बहुत ज्यादा है.. शाम को खबर आई कि एक और रिश्तेदार स्वर्गवासी हुए..!


अपने यहां से आज तीन बस यात्रा के लिए निकली है, कुम्भ प्रयागराज, अयोध्या, काशी, गोकुल, मथुरा, वृंदावन.. एक बात बड़ी सोचने लायक है, हम अन्य राज्य के धर्मस्थानों की यात्रा को प्राधान्य देते है। जैसे सोमनाथ द्वारका में दक्षिण भारतीय बहुत देखने मिलते है। दक्षिण भारत मे उत्तर भारत के लोग यात्रा करते है। पूर्व वाले पश्चिम में, पश्चिम वाले दक्षिण में, उत्तर वाले पूर्व में, दक्षिण वाले उत्तर में.. शायद घर की मुर्गी दाल बराबर वाला मसला है।


जो भी हो, अभी बज रहे है २३:२९, और कल ढेर सारे काम है, इस लिए शुभस्य शीघ्रम शुभरात्रि..!

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)