भारत की जीत, एक आम दर्शक की नज़र से
जीत गया भारत.. ICC WORLDCUP 2025..! मैंने कभी भी क्रिकेट देखी नही.. ना ही मुझे कभी भी क्रिकेट से कोई लगाव रहा है। हाँ, कभी कभार ही देखता हूँ, सालो में एकाध बार। लेकिन जीत तो जीत होती है.. चाहे मैच देखी हो या नही.. मुझे गिने चुने नाम आते है क्रिकेटर्स के जहां तक याद है, लिख ही देता हूँ।
सचिन, सहवाग, धोनी, जाडेजा, अश्विन, कोहली, रोहित, राहुल, हार्दिक, गिल, शमी.. और हाँ बुमरा, क्योंकि यह शायद ज्यादा फेमश है, इनकी रिल्स कभी कभी फीड में आ जाती है। एक वो अफ़ग़ानिस्तानी प्लेयर भी सही लगता है जिसका नाम भूल जाता हूं लेकिन वो गुजरात टाइटंस की आईपीएल टीम में था..! आईपीएल भी कभी कभार देखी है, क्योंकि उसमे आर या पर होती है, या तो आउट या बाउंडरी..!
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World cup Jeetne se Khus Dilawarsinh.. |
बचपन मे भी बहुत कम खेला हूँ क्रिकेट। मुझे चेस टाइप गेम्स या वीडियोगेम ज्यादा पसंद थे। लेकिन क्रिकेट खेलता और पैसे वाली शर्त की मैच होती तो जो टीम मुझे चुनती उनको पहले से पता होता था कि या तो इसको डाली गई बोल बाउंडरी पर जाएगी, या फिर सीधे स्टंप पर.. मुझे नही याद मैंने कभी लंबी गेम खेली हो, एक ही ओवर में आरपार कर देता..! इस लिए मुझे अपनी टीम में खिलाने में भी दोस्त झिझकते।
माताजी की प्रसादी और ऑफिस की राजनीति
सुबह से शुरू करते है, दिलायरी आज अलग तरीके से शुरू हो गयी है ना? माताजी के सकुशल यात्रा की प्रसादी आज बांटनी थी, तो सुबह सुबह दसेक घर घूम कर बांट दी, और वहीं से ऑफिस के लिए निकल गया। साढ़े दस बजे पहुंच गया था ऑफिस लेकिन रविवार को सरदार बहुत लेट आता है। बारह बजे के बाद आया.. सारे काम अटक जाते है उसकी गैरहाजरी में। तब तक मैंने एक आइडिया लगाया, दूसरे के कंधों पर बंदूक लगा दी.. चार-पांच जनों को चढ़ाया, कि सरदार को बोलो रविवार को सुबह नौ बजे आ जाय करे, ताकि ग्यारह बजे तक सब फ्री हो जाए और रविवार की छुट्टी एन्जॉय कर सके। लेकिन उनमें से सिर्फ एक ही बंदुक फूटी बाकी की सारी फुस्स गयी..!
लगभग साढ़े तीन तक ऑफिस का काम चला.. और घर पहुंचा तब चार बजे रहे थे। एक तो झुकाम ठीक हुआ नही है ऊपर से सवेरे सवेरे हुकुम खमण ले आये थे, तो मैंने ठीक से नाश्ता भी नही किया था। दोपहर को भूख भी लगी थी लेकिन चार बज गए। फिर दाल चावल मात्र से काम चलाया.. शाम को भी कुछ पहचान वालो के यहां यह प्रसाद बांटना था। तो वहां चले गए। सात बजे तक घर लौटे। अब सात बजे न तो कोई दोस्तो के साथ बैठकी हो सकती थी, न ही कुछ और प्लान बन सके। तो मोबाइल चलाते सोफे पर पसर गया। तभी मोबाइल में नोटिफिकेश दिखी क्रिकेट की.. याद आया, दोपहर को सरदार ने भी TV पर न्यूज़ीलैंड की पारी चढ़ाई थी, लेकिन मुझे फुर्सत कहाँ थी यह देखने की..!
तो अब फ्री ही था, चढ़ाई DD SPORTS..! रोहित और गिल की जोड़ी लगी हुई थी मैदान में। गिल ने बल्ला घुमाया और न्यूज़ीलैंड के एक प्लेयर ने बिल्ली के चिड़ीमार दांव जैसा कैच पकड़ लिया..! प्रीतम में फोन आ रहे थे, बाहर बैठने के लिए, लेकिन मैं बहाने मारता कि घर पर काम है, यह है वो है, मैच देखने के लिए। हालांकि आश्चर्य इस बात का था कि मैं कभी मैच देखता नही हूँ, उल्टा पत्ता देख रहा हो तो उसे डिस्टर्ब करता हूँ क्या यह सब सट्टाड़िये खेल देखता है.. लेकिन इस बार उल्टा था। आखिरकार साढ़े नौ को फिर से उसका फोन आया, आजा भाई बैठते है। फिर मैं भी बैठने चला गया बाहर..!
पटाखे, पेप्सी और पत्ते: विजय की रात
दुकान पर पहुंचा, तो पूरे रास्ते मे यही खोजता रहा कि लाइव मैच फोन में कैसे देखते है? क्योंकि बहुत दिनों बाद मुझे किसी क्रिकेट मैच में इंटरेस्ट जगा था.. तो एप्प भी पता नही। फिर दुकान पर पहुंचा तो वो दुकान वाले को भी पता चला कि आज मैच है। वो भी अपना धंधा छोड़ गूगल करने लगा लाइव स्कोरबोर्ड..! एकाध धूम्रदण्डिका खींची ही थी कि पत्ता पीछे से कॉमेंट्री चलाता हुआ आया। उसी के बताया, इतनी झंझट क्यों पालो, जियोहॉटस्टार डाउनलोड करो और देखो.. ताबड़तोड़ डाउनलोड किया, लेकिन जब पत्ते के नए नवेले s24 में चल ही रहा था मैच फिर दूसरे फ़ोन में करने की क्या जरूरत..
घर पर टीवी में पंड्या खेलने उतरा तब तो मुझे यकीन सा हो गया था कि अब भारत नही हारेगा, फिर दुकान पर पंड्या की विकेट गिरी तो पत्ता और दुकानवाला के चेहरे गिर गए। तब मैंने उन्हें कहा कि अब टेंसन मत लो जाडेजा बाकी है.. पत्ता मेरी और चोंकते हुए देख रहा था कि इसको मैच में इतना कैसे पता चलने लगे गया? पता नही मुझे भी नही पता। लेकिन शायद एक विश्वास था.. जो सच भी हुआ। सर जाडेजा ने आखरी बॉल पर चौक्का मारा और चारो और पटाखों का शोर शुरू हो गया..
हर तरफ आसमान में रंगबिरंगे स्काईशॉट्स फूटने लगे.. सुतली बम के धमाकों से दिशाएं गूंजने लगी। हर कोई अपने घर से बाहर निकलने लगे.. जब मैं दुकान की और जा रहा था तो मैंने नोटिस किया था, हर जगह सन्नाटा था। शायद सब ही क्रिकेट देख रहे थे। खुशियों का माहौल बन गया.. दुकान वाले से पत्ते में पेप्सी मंगवाई..! आधी जमीन पर गिरा दी.. मैं भी सोच में पड़ गया ऐसी कैसी खुशी है? आधी पेप्सी यूँ ही उड़ेल दी.. तभी उसने जेब से बढ़िया वाला लाल माल निकाला, और आधी बची हुई पेप्सी में मिला दिया..! फिर दोनो भाई ने वहीं बैठकी लगा ली.. सोने पर सुहागा हो गया यह तो..!
फिर काफी देर तक हम वहीं बैठे रहे। मेरे शहर के मुख्य चौक से इंस्टा पर लोग लाइव आ रहे थे। काफी भीड़ दिख रही थी, कोई कार की छत पर से ही स्काईशॉट्स चला रहे है, कोई खुशी में नाच रहे है, झूम रहे है। खुशियां तो हमारी भी अब दुगनी थी, इंडिया जीत भी गयी, और हमने बैठकी भी लगा ली। हरेक स्टेटस में इंडिया ही इंडिया था आज.. मैं कुछ गिने चुने लोगो के अलावा किसी के स्टेटस भी नही देखता। लेकिन आज वे भी देखे।
स्नेही की पोस्ट और ब्लॉग का भावजगत
एक बात और। स्नेही ने आज बहुत ही भावसभर बात लिखी थी। एक तरफ मैच भी बड़ी ही निराशाजनक स्थिति में पहुंच गया था, दो दो मैडन अवर गयी थी.. और यहां एक ब्लॉगपोस्ट भी बड़ी ही भावना को बहा रहा थी। वास्तव में पढ़ते हुए मुझे एक दुःखद भावना मेरे मन मे उपज रही थी। मुझे अनुभूति हो रही थी, संवेदनाए घेरने लगी थी। वास्तव मैं कभी कभी कोई बात लिखी नही जाती, शायद स्फुरित होती है जो पाठक को छू जाए। स्नेही के कई लेखनों में से आज की पोस्ट के प्रति मेरी तारीफ भी मेरे अंतःकरण से उद्भवित हुई थी।
क्योंकि बहुत कम ऐसा होता है कि आप किसी को पढ़ते हुए उनके भावों को भी अनुभव करो.. या तो कोई बड़े लेखकों की शैली आपके मन को झूला सकती है या फिर कोई ऐसी उत्पन्न हुई स्फुरणा ही..! कुछ बाते लिखना चाहे तब भी नही लिख सकते, क्योंकि वहां शायद मगझ अपने तरीके से शब्दों का चयन करता है और फिर उसे रसप्रद बनाने की कोशिश करता है, लेकिन कभी कभार अपने आप स्फुरित हुए शब्द, या फिर उन शब्दों में छिपा भाव इतना शक्तिशाली हो जाता है कि पाठक को भी अनुभव होता है। स्नेही को भी सादर शुभकामनाएं और सहानुभूति भी..!
समय हो चुका बारह बजकर ग्यारह मिनिट..! और आज गर्मी बहुत ज्यादा है। ए.सी. वाले दिन आ चुके है। गद्दों पर नही सोया जा सकता अब.. सीधे जमीन पर बिना कुछ बिछाए।
शुभरात्रि..!
(०९/०३/२०२५)
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माताजी के सकुशल यात्रा की प्रसादी आज बांटनी थी... यात्रा की पूरी झलक और कुछ अनकही छोटी-छोटी बातें यहाँ पढ़ें।
प्रिय पाठकगण!
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दिलायरी आजकल बड़े बोझ उठा रही है !!
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