प्रियंवदा ! आज फिर से एक खालीपन है विचारो का, शब्दों का।
आज की दिलायरी में फिर से एक बार दिनचर्या के सिवा शायद कुछ नहीं होगा। कारन इतना ही है कि आज दिनभर बस ऑफिस में रील्स देखि है, और ट्विटर पर पहलगाम की अपडेट..! कितना भारी इम्पेक्ट किया है न हमने पाकिस्तान पर.. पानी रोक दिया उसका, न्यूज़ चेनल्स वाले गला फाड़-फाड़कर वाटर स्ट्राइक बोल रहे है इसे..! वैसे कल रात को भोजन करते समय ही न्यूज़ पर विक्रम मिसरी को सुना था। यह एक लॉन्ग टर्म प्लान है। इसका फायदा कुछ सालो बाद दिखेगा.. तत्काल में नहीं। क्योंकि सिंधु समझौते को सस्पेंड करने से तत्काल प्रभाव से कुछ फर्क नहीं पड़ेगा, मजबूत बाँध चाहिए जो यह पानी को अपने देश की ओर मोड़ पाए। अब यहाँ नया बाँध बनना शुरू होगा। सरकारी बांधकाम तो हम जानते ही है। बड़े लेट लतीफ रहते है सरकारी बाबू आज भी.. पता नहीं कब तक बाँध बनेगा। खेर, गुजराती में कहावत है, 'न मामा करता काणो मामो सारो' मतलब की मामा ही न हो उससे अच्छा अँधा मामा हो तो भी चलेगा.. फ़िलहाल के लिए आक्रोशित देश के रोष को नियंत्रित करने के लिए इतने उपाय भी काफी है।
सवेरे ऑफिस पहुंचा,
काम तो कोई ख़ास है नहीं आजकल, जबतक लेबर की समस्या बनी हुई है। एक रील में तो देखा था की एक शेठ खुद माल लोड कर रहा है ट्रक में.. लेबर के आभाव में ही तो। दोपहर तक छोटेमोटे काम आते रहे जाते रहे.. दोपहर को मैं और गजा मार्किट चले गए। बैंक का काम भी था, और नाश्ता भी करना था। गरीबो की बेली दाबेली..! ऑफिस रिटर्न आते हुए एक विचार आ रहा था, हम लोग वैसे कितने ज्यादा सेंसिटिव है। हुआ ऐसा था की बैंक के बाहर छाँव में एक कुत्ता सो रहा था, जहाँ सो रहा था वहां बाइक पार्क करने की जगह थी। लगातार एक बाइक आती, दूसरी जाती, फिर कोई वहां बाइक लगाता, कोई निकालता, लेकिन हर कोई उस सोये कुत्ते को डिस्टर्ब किए बिना पास में बाइक लगाते है, और निकाल लेते.. किसी ने भी उसे वहां से हटाया नहीं, बल्कि अपनी बाइक धूप में खड़ी करते लोग दिख जाते..! यह मानवता है, और एक वे आए थे पहलगाम में।
दोपहर बाद कुछ और बिल्लिंग्स थी, निपटा दी। कुछ देर मैप्स में टहलता रहा। रील्स चलती रही, शॉर्ट्स और गेम्स.. कब आठ बज गए पता न चला...!
ठीक है प्रियंवदा, इति श्री दिलायरी कथायै जम्बूद्वीपे भरतखण्डे कच्छ मध्ये एकदिवसीय अध्याय सम्पूर्णम..!!
शुभरात्रि।
(२४/०४/२०२५)
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