प्रियंवदा ! 'धर्म नहीं सिखाता आपस में बैर रखना..'
पहलगाम में फिर से एक बार यह उक्ति गलत साबित हुई..! कल रात्रि को ग्राउंड में कंकर के टीलों पर बैठे हुए फोन चला रहा था। सिगरेट के धुंए के साथ रील्स भी तेजी से स्क्रॉल हो रही थी। तभी एक रील आयी, पहलगाम आतंकवादी हमले की.. पहले तो लगा कि यह तो रोज का हो चूका है कश्मीर में.. हर दूसरे दिन टीवी पर हैडलाइन चलती है कि, 'सेना ने की आतंकवादियों पर कार्यवाही..!' जब कोई बात हररोज की हो जाए तो लोग भी फिर आदत डाल लेते है, कुछ देर खेद व्यक्त करके आगे बढ़ जाते है। मैंने टीवी पर न्यूज़ देखि तब इतना मालुम नहीं था कि हमले में हुआ क्या है.. लेकिन जब ट्विटर पर देखने लगा तो वास्तव में यह एक भयजनक प्रसंग हुआ है। संघी गजे को तुरंत फोन मिलाया, 'कश्मीर मत जा भाई, जान लेले उससे दिक्कत नहीं है, लेकिन यह जाहिल तो चड्डी उतारकर गोली मारते है..!' जाहिलियत की भी कोई सीमा तो होनी चाहिए..? गजा कश्मीर की ट्रिप करने वाला था। मैं और स्क्रॉल करता रहा ट्विटर पर।
पब्लिक हुए वीडिओज़ दिल दहला देने वाले है, प्रियंवदा। इसे हमास द्वारा किये गए इजराइल अटेक के साथ जोड़कर देखना चाहिए। हमास के नेतृत्वकर्ता POK में इन आतंकी संगठनों से मिले थे यह समाचार सर्वविदित था। पिछले कुछ दिनों से लगातार LOC पर मुठभेड़ की खबरे चल ही रही थी। कुछ लोगो ने LOC क्रॉस करके भारत में दाखिल होने का समाचार भी सुना था, फिर भी इतनी भीड़भरे टूरिस्टिक स्पॉट पर सुरक्षा के इंतजाम क्यों नहीं थे? लोकल पुलिस कहाँ थी? कश्मीर का टूरिस्म हमेशा से डिस्टर्ब होता आया है फिर भी यह हादसा कैसे और क्यों हुआ? कश्मीर की राज्य सरकार सोइ हुई ही रहती है क्या? गृहमंत्रालय और राष्ट्रिय सुरक्षा सलाहकार क्या कर रहे है? पुष्प श्रद्धांजलि..? घायलों से मुलाकात कर रहे है साहब.. सांत्वना दे रहे है.. नहीं चाहिए ऐसी सांत्वना.. उरी, पुलवामा, अब यह पहलगाम.. यह क्या लगा रखा है थोड़े थोड़े दिनों में All Eyes on this and that.. तुम्हे क्या लगता है प्रियंवदा ?
जरूर दुःस्वप्न रहा होगा..
रात को छत पर सोने चला गया था। दिनभर कड़क धूप के चलते तपे हुए शरीर को रात्रि का पवन ठंडा कर देता है। लगभग ढाई बजे करीब मेरी आँख खुल गयी.. जरूर दुःस्वप्न रहा होगा.. पहलगाम सा.. वरना रात्रि को ज्यादातर मेरी नींद टूटती नहीं। सुबह साढ़े पांच को कंबल ओढ़ना पड़े ऐसी ठण्ड हो चुकी थी। पहलगाम पर पुरे देश के आंसू बहे है। सुबह सुबह न्यूज़ देखते हुए तैयार होकर घर से निकला हॉस्पिटल जाना था, कुंवरुभा को दिखाने के लिए। लेकिन काम हुआ नहीं, डॉक्टर कहीं और व्यस्त था। घर आकर बाइक लेकर यामाहा शोरूम पर गया। बाइक सर्विस के लिए जमा कराइ, और पैदल रिक्शा स्टेण्ड के लिए आया। सुबह अनुभव की हुई ठण्ड से बिलकुल ही विपरीत हवामान हो चूका था। साढ़े ग्यारह करीब रिक्शा स्टेण्ड पर एक रिक्शा खड़ी थी। एक चोट मैं वहीं ठहर गया। रिक्शाचालक हँसते हुए पूछ रहा था, 'बापु ! कहाँ जाना है।' और मैंने उसकी बगैर मुछ की दाढ़ी देखते हुए कोई प्रत्युत्तर ही नहीं दिया। प्रियंवदा ! समाचारो का बड़ा गंभीर असर पड़ता है जनमानस पर। मेरे प्रत्युत्तर न देने पर वह आगे आया, 'बापु ! बैठिए।' अपने यहाँ मैं कई लोगो को जानता हूँ जो इस्लाम का पालन करते हुए भी 'जय श्री कृष्ण' से अभिवादन करते है। इस बात से मैं उसकी रिक्शा में बैठ गया। और उसने मेरे ऑफिस के नजदीक हाइवे पर उतार दिया। वहां से ओफ्फिसिये गजे को बुला लिया, और बाइक पर ऑफिस पहुँच गया।
ऑफिस पहुंचकर फिर से मोबाइल चलाने लगा, मुझे जानना था पहलगाम पर और क्या अपडेट्स है..! वीडियोज़ स्क्रॉल करते हुए एक और विडिओ सामने आया। कुछ लोगो को सेफ जगह पर ले जाया जा रहा था तभी एक स्त्री भारतीय सेना को देखकर चींख पड़ी, उसे लगा कि फिर से आतंकवादी हमलावर है। कितने कायर और भीरु रहे होंगे वे आतंकवादी, सेना जैसे कपडे पहनकर हमला किया था। वह स्त्री चीख रही थी, चिल्ला रही थी, 'मुझे मार डालो, मेरे बच्चे को मार दिया..' क्या हालत रही होगी? भारतीय सेना के जवान खूब समझा रहे थे, दिलासा दे रहे थे कि 'आप अब सुरक्षित है, हम भारतीय सेना के जवान है।' लेकिन कोई माँ अपना बालक अपनी आँखों के सामने खो चुकी हो वह कितने मानसिक तनाव से गुजर रही होगी उसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता प्रियंवदा..! कोई भी कितना भी बड़ा लेखक हो, वह व्यथा व्यक्त नहीं कर पाता, कोई भी कवि कितना ही करुण लिख दे तब भी वह उस तनाव के समान अभिव्यक्ति नहीं हो सकती। एक नेवी का अफसर, इसी 16 अप्रैल को उसकी शादी हुई थी, यूरोप का वीज़ा न मिल पाने के कारण कश्मीर घूमने आया था.. हनीमून कपल थे वे। कलमा पढ़ने को कहा गया, और मना करने पर गोली मार दी..! मंजुनाथ का नाम तो लगातार टीवी पर चला है। जब मंजुनाथ को गोली मार दी फिर उनकी पत्नी ने कहा कि 'मुझे भी मार डालो' तब आतंकवादी कहता है, 'नहीं, तुम मोदी से बोलो..' AK47 जैसी रायफल के साथ वे इस प्रवासन क्षेत्र में चुनचुनकर गोली मार रहे थे। प्रवासी से उसका नाम पूछते, धर्म पूछते और हिन्दू होने पर गोली मार देते। अपने पति के शव के पास बैठी उस स्त्री की मनोदशा क्या रही होगी? उससे गृहमंत्री जी आँखे मिला लेंगे? अपने ही देश में घूमने पर जान का खतरा हो, फिर यह सरकार किस बात पर इतनी चौड़ में है? अभी एक समाचार में सुनने मिला 'सिंधु समझौते पर विचार किया जा रहा है।' हाँ करो भाई, विचार-विमर्श करने की ही आपकी उम्र है। पल पल की खबरे दे रहे है न्यूज़चैनल्स। 'अभी साहब का प्लेन लेंड हुआ है, अभी मीटिंग कर रहे है। इन इन मुद्दों पर विचार किये जा रहे है।' एक समय था जब साहब नकल करते हुए कहते थे कि हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री किसी भी आतंकवादी हमले पर भागकर अमरीका जाते है और आंसू बहाते हुए 'ओबामा-ओबामा' करते है। आपने चौबीस घंटे में विचार के अलावा क्या एक्शन लिए? मैं स्वीकारता हूँ कि कोई एक्शन प्लान हो तो उसे पहले से नहीं बताना चाहिए, लेकिन इस जनमानस के गुस्से पर तो कुछ एक्शन दिखाओ..!
यह भारत का ७ अक्टूबर है,
जैसे हमास ने इज़राइल पर ७ अक्टूबर पर हमला किया था। देश विदेश से सांत्वना की खबरे आयी है। हाँ ! प्रियंवदा, सांत्वना और दिलासा भी सुनना चाहिए। ट्रंप चाचा कह रहे है, 'यह एक डिस्टर्बिंग समाचार है, आतंकवाद के विरुद्ध अमरीका मजबूती से भारत के साथ खड़ा है।' यह वही अमरीका है जिसने बंदर के हाथ में तलवार पकड़ाई है, F16 युद्ध विमान अमरीका ने ही पाकिस्तान को दिए है। जो आज LOC के नजदीक पाकिस्तान ने खड़े कर दिए है। और उसके रखरखाव पर खर्चा भी देता है। रशियन महाशय, कहते है, 'क्रूर अपराध का कोई औचित्य नहीं है।' हाँ ! इन साहब को हमारी सहायता की अभी भी आवश्यकता है। वैश्विक राजनीती में कोई भी परममित्र नहीं होता। अपना मोटा पडोसी चीन.. मौ'शी जिनपिंग की ओर से तो कुछ समाचार मिला नहीं, बस इनके एम्बेसेडर ने गोलमोल दिलासे भरी बाते कर दी। चलेगा, केनेडा की तरह मौन तो नहीं रहा है। यूनाइटेड अरब अमीरात तथा ईरान भी, नागरिकों पर किये गए कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले पर अपनी सांत्वना जता चुके है। इजराइल ने तो अपना सपोर्ट ही जाहिर कर दिया आतंकवाद से लड़ने के मामले में, नेतन्याहु ने लिखा कि, 'मैं दुःखी हूँ पहलगाम में हुए बर्बर आतंकवादी हमले की खबर से।..' इटली से ज्योर्जिया ने भी भारी दुःख जताया है। प्लास्टिक के शोभा के फूल सी संस्था यूनाइटेड नेशंस के एंटोनियो गुतारेस ने भी लिखा है कि, 'किसी भी स्थिति में नागरिको पर हुआ अटेक गवारा नहीं है।' UK के प्रधानमंत्री किएर स्टॉर्मर ने भी निंदा करते हुए 'utterly devastating' कहा है इस हमले को। जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने भी निंदा की है, 'हम पहलगाम में पर्यटकों पर हुए जघन्य आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हैं। हमारी संवेदनाएँ पीड़ितों के परिवारों के साथ हैं, और हम सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।' इनके अलावा डेनमार्क, गुयाना, यूरोपियन कमीशन, ऑस्ट्रिलियन प्रधानमंत्री अन्थोनी अल्बानी, न्यूज़ीलैंड के विदेशमंत्री तथा यूक्रेनी एम्बेसी ने निंदा व्यक्त की और दुःख जताया। इससे इन देशो की और से मूक सम्मति भी मिलती है, अगर कल भारतीय सेना POK में कोई कार्यवाही करती है तो। लेकिन इस आपदा में भी अवसरवादी कुछ अपने ही देश में है, प्रियंवदा।
मृतक तथा घायलों की जो लिस्ट जाहिर हुई है उसमे एक नाम अनंतनाग के एक मुस्लमान का भी है, वह भी इस हमले में हतभागी हुआ। इस एक नाम के आधार पर कुछ वामपंथी कूद पड़े मैदान में, कि यह धर्म पूछकर हुआ हमला नहीं है। क्योंकि कल से लगातार यह बात कही जा रही है कि आतंकवादियों ने मारने से पहले नाम-धर्म पूछा। लेकिन कुछ मुर्ख ट्विटरिये टें-टें करते ही रहते है। प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता क्या है? वीडिओज़ में साफ़ दिख रहा है, कुछ शवों की पेण्ट उतरी हुई है। पेण्ट उतारने का क्या कारण हो सकता है यह समझाने को मैं आवश्यक नहीं समझता। 'खतना' इस एक शब्द में सब कुछ समाहित हो जाता है। कैसी विडंबना है, कल से दो-तीन वीडिओज़ और देखि है जिसमे वहां के लोकल कश्मीरी और पहलगामी लोग केन्डलमार्च कर रहे है, विरोधप्रदर्शन कर रहे है। कश्मीर का लोकल टेक्सी यूनियन रात को देर तक बैठकर मदद करने के एलान का विडिओ जाहिर करता है। इसे कैसे कोई व्यक्ति समझ पाए.. एक तरफ हमलावर मुसलमान, जो धर्म पूछकर हिन्दू की क्रूर हत्या करता है, एक तरफ यह आतंकवाद का विरोध करता मुसलमान। दो मुंहे सांप समान लगता है, एक पुचकारता है, दूसरा काटता है। मेरे जैसे आम व्यक्ति को सदा संदेह रहेगा कि किस पर भरोसा करना है, किस पर नहीं?
ONDUTY गुल्ली मारकर मार्किट गए..
यह लिखते लिखते बिच में लिंक टूट गयी, शोरूम से बाइक ले जाने के लिए फोन आया था, मैं और गजा ONDUTY गुल्ली मारकर मार्किट गए, बाइक उठायी और वापिस आ गए। यह बिच में लिंक टूटने के कारण भाव भी बदल गया। फ़िलहाल राजनाथसिंहजी ने कहा है, 'ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी है आतंकवाद के विरूद्ध' लेकिन देखना यह है कि इस एक्शन का रिएक्शन क्या होगा? भारत यदि सैन्य हमला कर देता है, तब तो इस फोकटचन्द पाकिस्तान के मजे हो जाएंगे, वह अपनी जनता को भुखमरी के मुद्दे से भटका कर भारत के हमले पर ले आएगा।
फिर से एक बार तेज मांग उठेगी प्रतिशोध की।
हमे अब आदत डाल लेनी चाहिए...
ऐसी खबरों की प्रियंवदा ! हमे आदत डाल लेनी चाहिए ऐसी चींथड़े हो चुकी लाशें देखने की, हमे आदत डाल लेनी चाहिए हिन्दुओ के हुए कत्लेआम की इन प्रत्येक ख़बरों की। हमे आदत डाल लेनी चाहिए उन तमाम चीखों की जो दहशतगर्दी भरे वीडिओज़ से गूंजती है। हमे आदत डाल लेनी चाहिए इन राजनैतिक सांत्वनाओं की। हमे आदत डाल लेनी चाहिए इन बिलखती स्त्रिओं के धधकते आंसुओ की। हमें आदत डाल लेनी चाहिए एक फौजी की विधवा के कल्पांत की। हमे आदत होनी चाहिए असुरक्षित रह पाने की। हमे आदत डाल लेनी चाहिए बगैर मूंछ की उन दाढ़ी वालो की जो हँसते है इन कल्पांतो की प्रतिक्रिया के नाम। हमे आदत डाल लेनी चाहिए इन लगातार हो रहे आतंकवाद के नाम गिरती लाशों को देखने की। या फिर उन फौजियों की प्रतिक्रिया रूप कार्यवाही को बखानने को आतुर शब्दों के प्राकट्य पर देरी की आदत डालनी चाहिए? कब तक प्रियंवदा? कब तक यूँही लाशें देखते रहनी है? यह खप्पर भरता क्यों नहीं अब? निर्दोषो के रक्त का भी खप्पर प्यासा हुआ है? भवानी प्रकट तब होगी, जब उसे कोई पुकारेगा.. जब कोई उठेगा, और कहेगा, मैं ढाल हूँ, मुझे तलवार दे भवानी..!
आज कोई अस्तु नहीं प्रियंवदा.. आज न ही कोई समापन की भूमिका है.. न ही कोई शुभरात्रि। २२ अप्रेल २०२५ को पहलगाम के निंदनीय आतंकवादी कृत्य पर अनंत फटकार..!
(२३/०४/२०२५)
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