"जो व्यक्ति मौके पर नहीं बोलता, वह भीतर ही बहुत बोलता है – एक रविवार की दिलायरी" || दिलायरी : १३/०४/२०२५ || Dilaayari : 13/04/2025

0

मौके पर न बोल पाने की पीड़ा – और भीतर के संवाद

    तुम्हे पता है प्रियंवदा, जो व्यक्ति मौके पर कुछ नही बोल पता है वह फिर भीतर ही भीतर बहुत बार बोलता है। जिसका कोई लाभ नही होता.. जैसे पिछले रविवार मैं सरदार को कहना भूल गया था कि इस रविवार को सुबह जल्दी आ जाए और दोपहर से पूर्व ही सारा काम निपटा दिया जाए। सोचा था कल शनिवार था तो शाम को बोल दूंगा, लेकिन कल भी नही कहा। फिर क्या, मैं तो अपनी आदतन सुबह नौ बजे ही ऑफिस पहुंच गया था आज भी..


Apne bheetar batiyaate Dilawarsinh...

ऑफिस का खालीपन और लेबर की तलाश

    फिर एक घंटे तक कंप्यूटर पर ही गेम खेलता रहा। दोपहर दो बजे तक हम फ्री हो गए थे। वैसे आज इस बात की भी परेशानी रही कि गांव गयी हुई लेबर रिटर्न नही आई है। सारी मार्किट में लेबर की किम्मत में अचानक से इजाफा हुआ है। लोग मतलब व्यापारी लोग एडवांस दे देकर लेबर को अपने यहां लुभाने में लगे है। हर गर्मियों का यही हाल है। ज्यादातर यूपी बिहार की लेबर होती है, शायद वहां खेती का काम चालू होता है इस समय पर, तो यहां की सारी लेबर अपने अपने गांव..! लेकिन फिर भी यहां के व्यापारीयो में ज्यादातर व्यापारी नियत के सही है, एकदूसरे की लेबर तोड़ते नही। पैसा खर्च करके फ्लाइट में भी बुलाना पड़े तो एक बार खर्च देते है। 


    कुछ लेबर भी बड़ी चालू है। इस मौके का भरपूर लाभ उठाती है। मजदूरी की किम्मत बढ़ाती है, तथा मूंह फाड़कर एडवांस मांग लेती है। और ज्यादातर लोग एडवांस केश में दे देते है इस कारण दूसरे दिन वह लेबर गायब भी हो चुकी होती है। अभी कुछ दिनों बाद तो वो वाला हाल भी आएगा कि मिल के स्टाफ रेलवेस्टेशन के बाहर खड़े मिलेंगे, हर साल होता है ऐसा। ट्रेन आते ही लेबर जैसे ही रेलवेस्टेशन से बाहर निकलती है लोग अपनी अपनी मिलो पर ले जाने को रिक्शा वगेरह तैयार रखते है। भाईसाहब मुझे तो आश्चर्य इस बात का भी होता है कि मैं खुद ही आजतक एक बार ही फ्लाइट में बैठ पाया हूँ, जबकि लेबर कई बार बैठ चुकी है। अपने यहां फ्लाइट में बैठना अब भी बहुत लोगो का स्वप्न ही है। भले ही फ्लाइट्स के रेट अब बहुत कम हो चुके है तब भी.. 


यूपी-बिहार की लेबर और व्यापारी की ईमानदारी

    हमारे यहां भी चीख मची पड़ी है, लेबर कम हो रही है, बढ़ने के बजाए। आर्डर पड़े है लेकिन पूरे न हो पाए तो शाख कम होती है। ऑर्डर देने वाले व्यापारी की प्रायोरिटी से उतरना किसी को न पोषाए। वैसे कल एक बहुत सही लाइन सुनी मैंने। हुआ ऐसा कि एक बनिये का फोन आया, बुजुर्ग है, और पक्का बनिया है। उम्र ज्यादा है इस कारण अनुभव भी खूब है। उन्होंने मुझ से कहा कि, 'बनिये का नुकसान व्यापार में कभी नही होता बेटा, किताब में किसी दिन कोई कलम लिखनी भूल जाए वहां होता है।' कितनी सही बात है। कोई सौदा हुआ लेकिन चोपड़े में कलम नही चढ़ी तो फिर तो नुकसान ही हुआ न.. अब तो कंप्यूटर सम्भाल लेते है लेकिन वह लाइन वास्तव में बढ़िया थी। 


घर लौटना, रूबिक क्यूब और दिमाग की ऐंठन

    भोजनादि से निवृत होकर टाइम पास के लिए ही वो रूबिक क्यूब लेकर बैठ गया.. काफी देर माथाफोड़ी करने के बाद आखिरकार थक हार कर यूट्यूब पर ट्यूटोरियल देखा.. फिर भी कुछ समझ न आया। वहां उसकी रोटेशन और मेरी रोटेशन अलग हो जाती.. फिर आखिरकार थोड़ा बहुत समझ आया, और दो लेयर्स सही से हो गयी। तीसरी बाद में देखेंगे सोचकर मार्किट चला गया। बाइक वाशिंग करवाने.. आधे घंटे का काम था, हो गया। वापिस घर आकर कुछ देर दुकान गया और वापिस घर आकर फिर से खाना खाकर लग गया उस क्यूब में... इसमें एक बात तो तय है कि यादशक्ति अच्छी होनी चाहिए। क्योंकि लगातार दो गलत रोटेशन हो गए तो फिर से शुरू से शुरू करना पड़ता है। 


    दो लेयर तो अब मुँहजुबानी याद हो गए है। तीसरे लेयर का कोई फार्मूला समझ नही आ पा रहा। कईं बार मुझे गलत रोटेशन करने के बाद शुरू से शुरू करना पड़ा.. और फिर इतनी ज्यादा बार गलत हुए की अब उसे छोड़कर कुछ देर मैदान में बैठने आ गया। अभी यह दिलायरी लिखते हुए याद आया कि आज तो वो ऑफिस-पड़ोसी का काम करना था, मैं भूल ही गया। अब अगले रविवार को याद से उसका काम कर लेना पड़ेगा, वरना बाद में ca बहुत तंग करता है। अभी तक वह दस बारह बार डेटा मांग चुका है, लेकिन मेरा अभी तक अधूरा काम पड़ा है। 


    खेर, आज इतना ही सही, अब विदा दो प्रियंवदा, शुभरात्रि।

    (१३/०४/२०२५)


प्रिय पाठक,
अगर यह दिलायरी कभी आपके भीतर भी गूंजती हुई सी लगी हो…
तो
"पसंद करें, साझा करें, और अपनी एक पंक्ति टिप्पणी में छोड़ जाएं —
क्या कभी आप भी भीतर ही भीतर बोलते रहे…?"


Are haan ! aapne yeh Padha ki nhi? (Click here)


#SilentThoughts #LabourMarket #RubiksCube #DilawarsinhDiary #SundayNotes #GujaratiBlogger  #HindiBlog #InnerVoice #DiaryWriting 

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)