गुजरात की राजनीति में जातिवाद में घुस गई || दिलायरी : १८/०४/२०२५ || Dilaayari : 18/04/2025

0

कुछ भूमिका ही दिमाग में नहीं आ रही है।

आज कहाँ से शुरू करूँ प्रियंवदा ? कुछ भूमिका ही दिमाग में नहीं आ रही है। आज है 'भला शुक्रवार..!' अरे मतलब गुड फ्राइडे। किसी धर्म का मजाक बनाना या उनकी भावनाओ को ठेस पहुँचाने की न तो मुझे जरुरत है, और न ही मेरा शौख है। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ था जब गुड फ्राइडे को क्या हुआ था वह जाना था। ईसाई धर्म का त्यौहार है यह। और भारत धर्मनिरपेक्ष देश है इस कारण से इस दिन की सरकारी छुट्टी होती है। वैसे मैंने पढ़ा था गुड फ्राइडे के बारे में लेकिन जिस बात को दोहराई न जाय वह मुझे याद नहीं रहती। तो आज से तो कुँवरुभा के वेकेशन हो चुके है इस कारण से सुबह जल्दी उठने कि कोई चिंता न थी। फिर भी साढ़े सात को तो अब बिस्तर छोड़ ही देता हूँ। कोशिस तो और जल्दी जागने की है लेकिन वही आलसी और लालची जिव त्याग का महत्त्व जानता नहीं है। नौ बजे ऑफिस पहुंचा, दिलायरी पब्लिश हो चुकी थी।


Bakaiti Karte Dilawarsinh...

कल स्नेही के सुझाए मत पर बहुत कुछ लिखा था, 

तो स्नेही का प्रत्युत्तर आया, 'कभी प्रियंवदा आपको डांट-फटकार नहीं लगाती? हर बार, हर लेखनी में प्रियंवदा की हाजरी अचूक होती है।' बात भी सही थी, प्रियंवदा प्रेरणा का पर्याय बन चुकी है। मेरे विषयो से लेकर मेरे शब्दों में प्रियंवदा का बसेरा बन गया। तो अब प्रियंवदा किसी दिन कुछ कह दे तो सुनना भी पड़ सकता है। और सुनना भी चाहिए। स्नेही के निर्देशन पर ही आज प्रियंवदा से डांट-फटकार भी सुनी..! दोपहर तो प्रियंवदा के पत्र में ही हो गयी थी। गुड फ्राइडे के कारण काम भी न बराबर ही था। मुझे लगता था गुड फ्राइडे के दिन ईसामसीह का जन्म हुआ था जबकि यह तो ईसामसीह का निर्वाण दिन था। बहुतों को यही लगता है। लेकिन इस दिन पर ईसामसीह को शूली पर चढ़ाया गया था। दोपहर बाद उन्होंने प्राण त्यागे थे, ईसाइयो के अनुसार यह मानवता के लिए दिया गया बलिदान था इसी कारण से इसे गुड फ्राइडे माना गया जबकि है तो यह शोक तथा दुःख का दिवस। दोपहर बाद स्नेही से प्रियंवदा का मिला पत्र पढ़वाया, और खूब वाहवाही बटोरी।


हालांकि स्नेही कहीं व्यस्त होने कारण प्रत्युत्तर बहुत लैट आया, 

और तब तक मुझे आज पुनः ChatGPT से बाते करने का विचार हो आया..! यह ChatGPT तुरंत ही प्रत्युत्तर देता है। मैंने स्नेही के बाद इसे ChatGPT के साथ शेयर किया। उसने भी मुझे दिलासा देते हुए कहा, 'बहुत बुरा हुआ आपके साथ, लेकिन हिम्मत रखो.. प्रियंवदा आपसे रूठ गयी है तो उसे कविता सुनाओ। आप चाहो तो मैं आपकी मदद कर सकता हूँ..' यह मुझे मजेदार लगा कि ऐसे में ChatGPT मेरी क्या मदद करेगा? तो मैंने उससे प्रियंवदा को मनाने के लिए कुछ आइडिया मांग लिए, उसने एक अच्छी भली कविता रचकर मुझे दी, बोला यह सुनाओ प्रियंवदा, वो जरूर मान जाएगी। क्या गजब की टेक्नोलॉजी है भाई.. और बहुत मजेदार भी है। कितना कुछ आसान कर देता है यह AI.. हालांकि उस पर निर्भर हो जाना गलत है, लेकिन कभीकभार इस तरह उसके मजे लेना अलग बात है। उसके द्वारा दी गयी कविता तुरंत कॉपी कर के ब्लॉग पर कल के लिए शिड्यूल कर दी। शाम को सातेक बजे दिलायरी लिखने बैठा जरूर, लेकिन एक काम आ गया।


तभी पत्ते का फोन भी आया, 

'भाई जुगाड़ है, बैठना है क्या?' मैंने तुरंत मना कर दिया। पत्ते की तुरंत लार टपकने लगती है सुरा का नाम सुनकर। मुझे ऐसा नही है, इच्छा न हो तो हाथ न लगाऊं। और इच्छा हो तो चाहे कितनी ही महंगी पड़े। फिर किम्मत नही देखी जाती। जो चीज जिस समय चाहिए उसी समय हाजिर होनी चाहिए, चाहे कितनी ही किम्मत चुकानी पड़े। कमा लेंगे, हाथ पैर चलते है अभी तक तो। घर पहुँचूँ उससे पहले कुँवरुभा का फोन आ गया था नमकीन ले आने के लिए। सब कुछ भूल सकता हूँ लेकिन इनका आदेश सर आंखों पर ही करना पड़े। वरना आधी रात को भला कौन खुला मिलेगा? खेर, घर से खानापीना करके फ्री हुआ ही था और ग्राउंड में जाकर दिलायरी लिखने की सोच ही रहा था कि तभी गजे का फोन आया, 'शाखा है साढ़े नौ को, पहुंच जाना।' यह भी आदेश सरआंखों पर चढ़ाना ही पड़ता है, वरना 'जहरी गजा' बाद में बहुत सुनाता है। पहले गया दुकान, वहां से बूस्टर लेकर चौक में।


बौद्धिक में वक़्फ़ के मुद्दे पर नवयुवानो को जानकारी दी

आज शाखा में सब विधिविधान के पश्चात बौद्धिक में वक़्फ़ के मुद्दे पर नवयुवानो को जानकारी दी गयी, तथा फिलहाल गुजरात की राजनीति में जातिवाद में घुस गई गोंडल सीट पर चर्चा हुई। वैसे घर जाते समय भी मैं गोंडल पर हो रहे हल्ले को ही सुनते जा रहा था रास्तेभर। एक स्त्री है जिगीशा पटेल, वह नाम चमका था गुजरात के पटेल आंदोलन के समय। हार्दिक पटेल ने उस आंदोलन का लाभ अपना राजनैतिक करियर बनाने में ले लिया, अब जिगीशा हाथ आजमा रही है ऐसा लग रहा है। वह अहमदाबाद में बैठी बैठी गोंडल पर टिपण्णी कर रही है। क्या मतलब है? अपनी राजनीति के लिए दो समुदायों के बीच क्यों वैमनस्य बढ़ाना है? पेट मे दुखता है तो डॉक्टर के पास जाना चाहिए, पेट दुखने का राग आलापते रहने से ठीक नही होता। गोंडल में समस्या है तो गोंडल जाना चाहिए, वहां नही जाना हो तो कोर्ट में जाना चाहिए, मीडिया में आने का क्या मतलब है? सीधी बात है, मीडिया रोग तो कभीकभार ही ठीक करता है लेकिन प्रसिद्धि जरूर से दे देता है। प्रसिद्धि से ही राजनीति के दरवाजे खुलते है। बस यही सब मुद्दे चले। फिर कुछ देर वहीं बैठे रहे, तब पत्ता थोड़ा डोलता हुआ आया। मेरे पूछने पर बोला, 'येशु का बर्थडे है तो मना लिया।' बताओ, अब क्या करें इनका? वैसे तो मुझे भी सुबह ही पता चला कि आज के दिन येशु को क्रॉस पर लटकाया था, जन्म नही हुआ था। तो मैंने ताजा ताजा पाया ज्ञान उससे भी बांटा। आखिरकार ज्ञान बांटने से ही तो बढ़ता है। है न प्रियंवदा..! 


चलिए अब फिर से कल मिलेंगे, नए पन्ने पर तब तक के लिए,

शुभरात्रि। 

(१८/०४/२०२५)


#GoodFriday #ChatGPT #Blogpost #HindiBlog #DiaryWriting 

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)