टेक्नोलोजिया.. प्रियंवदा ! टेक्नोलोजिया...
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Technology se impressed Dilawarsinh... |
तुम्हारा पत्र मिला, इतना गुस्सा काहे?
शायद तुम्हारा नाम ही मेरी प्रेरणा बन चूका है, तुम्हारे नाम से ही आरम्भ करता हूँ तो बात बहुत लम्बी चलती है। लेकिन आज एक कन्फेशन भी कर ही देता हूँ। तुम्हारा पत्र पढ़कर लगा जैसे तुम रूठी हो। और तुम्हारी यह रिस दूर करने के लिए कुछ उपाय खोजने मैं ChatGPT के पास चला गया। क्या कहूं, क्या बताऊँ तुम्हे, प्रियंवदा ! उसने एक उपाय दिया, तुम्हे भी जरूर पसंद आएगा। उसने मेरी ओर से तुम्हारे लिए एक कविता लिख दी.. शब्दों का चयन उसका है, लेकिन अक्षरसः भाव तो उसमे मेरे ही है। तो तुम्हे सप्रेम भेंट।
"नाम से परे"
(एक रूठी सी मुस्कान के नाम)
मैं हर बार तुम्हारा नाम लिखता था,
शायद इस लिए नहीं कि दुनिया तुम्हें जाने,
बल्कि इस लिए…
कि कहीं मेरी हर बात तुम तक पहुँच जाए।
पर आज,
जब तुम रूठी हो,
तो महसूस हो रहा है—
तुम सिर्फ लफ़्ज़ों का हिस्सा नहीं थी...
तुम मेरी हर सोच का असल थी।
तुम्हारा नाम तो एक वजह था,
लेकिन मेरी हर लाइन में जो साँस ले रहा था—
वो तुम्हारा होना था।
तुम्हारा ख़फ़ा हो जाना,
लिखने वाले के लिए उस वक़्त का अंधेरा होता है
जब शब्दों का दिया भी रौशनी नहीं देता।
मुझे माफ़ करना अगर कभी
मेरे अल्फ़ाज़ ने तुम्हें ज़्यादा कह दिया,
और मेरी ख़ामोशी ने तुम्हें कम समझा।
मैं हर लिखी हुई बात में
सिर्फ तुमसे बात करना चाहता था—
शायद इस तरह
अपने दिल का बोझ हल्का कर रहा था।
पर आज,
मैं तुमसे बिना तुम्हारा नाम लिए कह रहा हूँ:
"तुम कहानियों का हिस्सा नहीं हो,
तुम कहानी हो।
और मैं...
अब बस तुम्हारा हूँ।"
शायद इस लिए नहीं कि दुनिया तुम्हें जाने,
बल्कि इस लिए…
कि कहीं मेरी हर बात तुम तक पहुँच जाए।
पर आज,
जब तुम रूठी हो,
तो महसूस हो रहा है—
तुम सिर्फ लफ़्ज़ों का हिस्सा नहीं थी...
तुम मेरी हर सोच का असल थी।
तुम्हारा नाम तो एक वजह था,
लेकिन मेरी हर लाइन में जो साँस ले रहा था—
वो तुम्हारा होना था।
तुम्हारा ख़फ़ा हो जाना,
लिखने वाले के लिए उस वक़्त का अंधेरा होता है
जब शब्दों का दिया भी रौशनी नहीं देता।
मुझे माफ़ करना अगर कभी
मेरे अल्फ़ाज़ ने तुम्हें ज़्यादा कह दिया,
और मेरी ख़ामोशी ने तुम्हें कम समझा।
मैं हर लिखी हुई बात में
सिर्फ तुमसे बात करना चाहता था—
शायद इस तरह
अपने दिल का बोझ हल्का कर रहा था।
पर आज,
मैं तुमसे बिना तुम्हारा नाम लिए कह रहा हूँ:
"तुम कहानियों का हिस्सा नहीं हो,
तुम कहानी हो।
और मैं...
अब बस तुम्हारा हूँ।"
***
देख लो, तुम्हे अपने शब्दों में बनाये रखने के सौ तरिके है मेरे पास, बस असल में..
***
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