"गर्मियों की अमावस्या: मेरी डायरी का दिन" || दिलायरी : २६/०५/२०२५

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गर्मियों की अमावस्या और मेरी डायरी — 26 मई 2025


सुबह की शुरुआत: मंदिर, बाइक और नींद की चोरी

प्रियंवदा, शाम के सात बजकर दस मिनिट हुए है। वही, तुमसे कुछ बाते करने का समय..! आजकी तो क्या ही बताऊँ तुम्हे? अमावस्या है..! लेकिन गर्मियों ने क्या कहर बरपा है आज तो। सुबह साढ़े छह को माताजी ने जगा दिया, मंदिर जाने के लिए..! मैं उठा, निचे उतरा, बाइक शुरू की, और उन्हें मंदिर छोड़ आया। वापिस घर आकर सीधे छत पर,  सो गया.. आँखे खुली तब साढ़े सात हो गए थे। ऑफिस के लिए निकला तो सबसे पहले जगन्नाथ के मंदिर..! आज ओड़िया लोगो का कुछ तो बड़ा दिन होगा.. वरना हररोज तो बस २-३ जन होते है। आज तो नवयुगल ज्यादा दिखे..!

ऑफिस की बातें और दिलायरी का प्रकाशन

फिर वही दूकान पर अगला स्टॉप..! हररोज की शरीर को नुकसानदेह आदत का अनुसरण करके ऑफिस निकल गया. पहला काम तो था दिलायरी पब्लिश करना..! सोमवार का दिन, कोई गाडी-घोडा नहीं, और बिलकुल फ्री दिवस। दिलायरी पोस्ट करने के बाद याद आया, मेरी उस श्रृंखला का, 'मैं खुद से मिलने निकला हूँ।' कल रविवार को उसमे कुछ लिख ही नहीं पाया था। उसे प्रॉम्प्ट्स स्टाइल में लिख रहा हूँ, तो उसे कंप्यूटर पर ही लिखता हूँ। ताकि एक ही फॉर्मेट बना रहे। तो ग्यारह-बारह बजे तक वह भी लिखकर पोस्ट कर दिया। 


कमाल है प्रियंवदा, साढ़ेसात बज गए लेकिन अभी तक पूरा अँधेरा नहीं छाया है। लो अब क्या लिखूं? गजे ने चैंबर घेर ली, और रील्स देख रहा है। इसे यही रोककर बाकी घर जाकर लिखूंगा।


बज गए ग्यारह..! क्या टूर्नामेंट चल रहा है, बड़े आसान आसान से कैच छोड़े जाते है, हालांकि टीम पूरी उम्रदराज थी। यह लोग ज्यादा भागदौड़ नही करते, खड़े खड़े ही खेलते है। या तो बाउंड्री, या डॉट बॉल। खेर, आज तो क्या गर्मी रही है.. वैसे तो आसमान बार बार बादलों घिर जाता रहा, हवाएं तेज चलती थी, लेकिन गर्मी.. गजब की गर्मी। तापमान तो 38 ही था, लेकिन भयंकर ही अनुभव रहा। शाम को तो जैसे आखरी प्रहार कर रही हो.. न अंधेरा हो रहा था, न ही ठंडक। प्रियंवदा, आज दिनभर मैंने एक ही काम किया है।

ब्लॉगिंग की बारीकियाँ और सीखते कदम

ऑफिस पर तो कुछ काम न था, तो मैंने इस खाली समय का सदुपयोग अपनी पुरानी पोस्ट्स को अपडेट करने में लगाया। लगभग 30-40 पोस्ट्स को ठीकठाक एक से पैटर्न में बिठा दी। साढ़े पाँचसौ जैसी पोस्ट्स हो चुकी है। धीरे धीरे और भी चीजे सीख रहा हूँ। पर्मालिंक, मेटा डिस्क्रिप्शन, हैडिंग्स, की क्या अहमियत है, और कितना प्रभावकारी है एक पोस्ट को निखारने के लिए। मैंने आजतक कभी डिटेलिंग में ध्यान नही दिया.. स्टार्टर्स छोड़कर सीधा मैन कोर्स ही उठाने का..! 

प्रियंवदा से मन की बातें: युद्ध, मीडिया और भावनाएं

प्रियंवदा, मेरी और भारत की एक सी स्थिति है। कितना ही बड़ा काम किया हो, प्रशंसा नही मिलती। पाकिस्तान के इतने सारे एयरबेस तबाह करने के बावजूद वर्ल्ड मीडिया में इतनी चहलपहल नही है। सबको ही अपना उल्लू सीधा करना है। उस कथित सीजफायर के बीच ट्रंप चाचा को फेम चाहिए थी कि मैंने शांति समझौता करवा दिया। ऊपर से अमरीका बहादुर को तो अपना f35 बेचना है। इस कारण से राफेल गिराने की अफवाह को हवा दे रहा है। रूस भी.. उसे भी तो su57 बेचना है भारत को। बड़ी सच्ची बात है, युद्ध मात्र युद्ध नही होता.. व्यापारिक मेला होता है, हथियारों का। सबके अपने नेरेटिव है, धारणा है। 

दिन का अंत: टूर्नामेंट, गर्मी और पुराने पन्ने

कोरोना फिर से अपने पैर पसारने लगा है प्रियंवदा.. तेजी से केस बढ़ने लगे है। हालांकि अभी तक मामला गंभीर नही हुआ है। आज शाम को पुराने पोस्ट्स अपडेट करते समय 2023 वाले बिपोरजोय तूफान वाली पोस्ट पढ़ने में आयी। मैं वह अनुभव भूल चुका था। लेकिन आज वो पोस्ट पढ़ी तो जैसे सब याद आने लगा। यही तो मेरा उद्देश्य था, किसी दिन मैं अपना ही लिखा बड़ी आराम से पढूंगा..! आज वैसे कुछ खास आ नही रहा है दिमाग मे लिखने लायक। हररोज तो रिल्स, या शॉर्ट्स देखते हुए कुछ न् कुछ मुद्दे टांकने लायक मिल जाते थे। लेकिन आज पूरा दिन मोबाइल साइड पर पड़ा रहा था।


चलो फिर, बेफालतू में शब्दों को घसीटना भी सही नही। विदा दो,


शुभरात्रि।

(२६/०५/२०२५)

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