मैं खुद से मिलने निकला हूँ..! || Day 7 || मेरे ख्यालों का शहर..

0

मैं खुद से मिलने निकला हूँ..!



Date  - 27/05/2025
Time & Mood - 19 : 35 || काम के बीच से समय चुरा रहा हूँ..

मेरे ख्यालों का शहर.. 

प्रियंवदा, जब भी पलकें बंद होती है, तो मैं अपने ख्यालो के शहर में चला जाता हूँ। 'मेरे ख्यालों का शहर', उस शहर की प्रत्येक दीवारों पर तुम्हारा नाम लिखा है। उसकी प्रत्येक गलियों में तुम्हारी हंसी की गूँज है। और मैं उसी चौराहे पर खड़ा तुम्हारा ही इंतजार कर रहा हूँ, जहाँ से हमारे रास्ते अलग हो गए थे। मेरे इस शहर का मौसम बिलकुल तुम्हारे स्वाभाव सा शांत रहता है। वहां तुम्हारी चंचल आँखों सी बारिश होती है, तो कभी तुम्हारी अपलक नजर सी धूप खिलती है। तुम्हारी हँसी जैसी ही दिल को ठंडक देने वाली सर्दियाँ है। 


तुम्हे पता है, उस शहर के बीचोबीच एक इमारत है। उस पर एक पताका लहरा रही है, उस पताका में लिखा हुआ है, 'एक प्रेमी का बसेरा..' यह शहर तुमने कभी नहीं देखा होगा..! तुम्हे यकीन भी न होगा कि कोई तुम्हारे बिना कितना कुछ महसूस करता है। मैं इस शहर का अकेला बासिन्दा हूँ। कभी आओ, तो दरवाजा खटखटाना, मैं वहीँ मिलूंगा, दिल के चौबारे में बैठा हुआ। एक चिट्ठी लिखता हुआ, तुम्हारे नाम..


एक सवाल :

मेरे उस शहर में तुम कब आकर बसोगी प्रियंवदा?


सबक :

ख्यालो की दुनिया कोई इतनी भी बुरी नहीं। 


अंतर्यात्रा :

ख्यालो के शहर में अनेक ख्यालों की भीड़ है, लेकिन प्रियंवदा का ख्याल राजा है।


स्वार्पण :

मैं चिट्ठियां फिर भी लिखता रहूंगा.. प्रियंवदा की दी हुई आदत है।


मेरे ख्यालों के शहर की तुम नींव हो,
मस्तक को संभालती तुम ग्रीव हो प्रिये !


#Day7 #30DaysWritingChallenge #MereKhyalonKaShahar #HindiLoveLetter #DilKiChitthi #Priyamvada #DilawarsinhWrites #DiaryEntry #EmotionalWriting #OneSidedLove #HindiBlogger #LoveInWords #ChitthiSeries #KhayalonKiDuniya

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)