मेरा उत्साह, मेरी योजनाओं को निगल जाता है.. || दिलायरी : 04/10/2025

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    प्रियम्वदा !
    मैं इसी कारण से किसी बात के लिए उत्साहित नहीं रहता हूँ। क्योंकि अक्सर मेरा उत्साह, मेरी योजनाओं को निगल जाता है। आज यही हुआ। मेरी उस रोडट्रिप का प्लान अब ठन्डे बक्शे में जा चूका है। हताशा से भरा मन क्रोधित भी नहीं हो पा रहा है। दो दिनों से वातावरण को शीतल कर देने वाली यह ठण्ड मेरे शरीर को आज तपा चुकी है। सवेरे से हाथ, कंधे, पैरो में दर्द है। पूरा शरीर टूट रहा है। यह सब नवरात्री की भागदौड़ से शरीर को हुई थकान का परिणाम है। 


    हाँ ! तो बात यह थी, कि एक-दो दिन पहले मैंने कही वह रोडट्रिप पर कैंसिल ही है। बड़ा मन था मेरा। और हमेशा से यही होता है मेरे साथ। यहाँ फिर मैं हमेशा की तरह भाग्य पर दोषारोपण करूँगा। अकेला भी चला जाऊं, लेकिन वहां ट्रैन सारी फुल पड़ी है। कार लेकर अकेले जाने में सौ समस्या है। कितनी सारी तैयारियां कर रखी थी मैंने। सब कुछ ही फ्लॉप..!

    फ़िलहाल शाम के चार बज रहे है। काफी नींद ली है मैंने। थोड़ी सी राहत तो हुई। कईं बार एक साथ बहुत कुछ इकठ्ठा हो जाता है। आज तबियत लूस है, लेकिन फिर भी रात को ग्यारह बजे कहीं जाना पड़ेगा। अनिवार्य है। अभी तो और भी कईं काम बाकी है। शनिवार है। वैसे छुट्टी मार सकता हूँ, लेकिन मेरे साथ और बड़ी समस्या है। घर जाके पड़ जाऊंगा तो और तबियत बिगड़ेगी। शरीर को इसी कारण ऑफिस में परेशां कर रहा हूँ। 

    कभी गर्मी तो कभी ठण्ड.. मौसम का भी बुरा हाल है। दो दिनों से ठण्ड थी। आज कड़क धूप निकली है। आज के दिन में काफी उथलपुथल रही, कभी ट्रिप ऑन है, कभी नहीं.. देखते, जो होगा वह देखा जाएगा। 

    फ़िलहाल तो सारा शरीर दर्द कर रहा है। और आगे जरा भी लिखने की इच्छा नहीं है। 
    शुभरात्रि। 
    ०४/१०/२०२५
    

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