"प्रेम की व्याख्या और खेत का विद्वान श्वान" || love that speaks the language of the world...
November 30, 2024
द अल्केमिस्ट से शुरू हुआ प्रेम का ताना-बाना तुम्हे यह समझना चाहिए कि प्रेम कभी किसी आदमी को उसकी नियति की तलाश करन…
DILAWARSINH
November 30, 2024
द अल्केमिस्ट से शुरू हुआ प्रेम का ताना-बाना तुम्हे यह समझना चाहिए कि प्रेम कभी किसी आदमी को उसकी नियति की तलाश करन…
DILAWARSINH
November 29, 2024
जब पहली पसंद सिर्फ सोच में रह जाती है प्रियम्वदा ! आकर्षण के सिद्धांत के इर्दगिर्द घूमती एक कहानी पढ़ रहा हूँ.. इतन…
DILAWARSINH
November 28, 2024
जब प्रेम सिर्फ विकल्प नहीं रह जाता हम लगे रहे उन्हें रोकने में, मनाने में। एक वो थे जो चले गए नए ज़माने में। "…
DILAWARSINH
November 27, 2024
जब कुछ नया न दिखे, भीतर की थकान ही सामने आती है कोई भी नयी स्फुरणा नहीं हो रही, न ही कुछ लिखने के लिए, न ही कोई कव…
DILAWARSINH
November 26, 2024
शादियां और सर्दियां.. यही चल रहा है। कुछ ही दिनों में हाल ऐसा हो जाता है कि फिर घर का खाना पसंद नही आता। आदमी अपने जीवन…
DILAWARSINH
November 25, 2024
सुबह का उनींदा शहर और 'जागृति' की चाय पालीताणा.. सुबह के पांच बजे कुछ करवटे बदल रहा था शहर.. शायद थोड़ी देर…
DILAWARSINH
November 24, 2024
Happy Sunday.. हाँ, न ही कल कुछ लिख पाया था, न ही आज दिनभर में..! फिलहाल खड़ा हूँ बस डिपो पर, ७:५० की बस अभी ८:३४ तक आई …
DILAWARSINH
November 23, 2024
कोरा कागज़: जहां भावनाएं जन्म लेती हैं थोड़ा असमंजस में हूँ, हिंदी में लिखू या गुजराती में.. क्योंकि कोलेब चेलेंज है मोट…
DILAWARSINH
November 22, 2024
ग्लैमराइज़ेशन का मौसम और मेरी नाक का अलार्म हां, कल कुछ लिखा नहीं इसी लिए आज कोई शिड्यूल्ड पोस्ट है ही नहीं..! पिछ…
DILAWARSINH
November 21, 2024
बाबा फन्नीरुद्धाचार्य की सीधी रेखा की चेतावनी आजकल सब शांति से smoothly टाइम जा रहा है, कुछ भी उटपटांग नही हो रहा है..!…
DILAWARSINH
November 20, 2024
सर्दी की ऋतु में लौटती चेतना और भूख प्रियंवदा ! सर्दिया लौट रही है, मेरी प्रिय ! अब तो सूर्य भी शीघ्र ही संध्या …
DILAWARSINH
November 19, 2024
खिड़की से दिखता जीवन का एक कोलाज कच्ची सड़कों की धूल और बिजली के तारों की थकान लगातार डम्पर्स के चलने से रज में तब…
31 दिनों की डायरी, 31 भावनात्मक मुलाक़ातें... यह किताब उन अनकहे एहसासों की आवाज़ है जो हर किसी के दिल में कहीं न कहीं दबे होते हैं। अगर आपने कभी अकेले में अपने आप से बात की हो, तो ये किताब आपके बहुत क़रीब लगेगी।
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