
"प्रेम की व्याख्या और खेत का विद्वान श्वान" || love that speaks the language of the world...

द अल्केमिस्ट से शुरू हुआ प्रेम का ताना-बाना तुम्हे यह समझना चाहिए कि प्रेम कभी किसी आदमी को उसकी नियति की तलाश करन…
द अल्केमिस्ट से शुरू हुआ प्रेम का ताना-बाना तुम्हे यह समझना चाहिए कि प्रेम कभी किसी आदमी को उसकी नियति की तलाश करन…
जब पहली पसंद सिर्फ सोच में रह जाती है प्रियम्वदा ! आकर्षण के सिद्धांत के इर्दगिर्द घूमती एक कहानी पढ़ रहा हूँ.. इतन…
जब प्रेम सिर्फ विकल्प नहीं रह जाता हम लगे रहे उन्हें रोकने में, मनाने में। एक वो थे जो चले गए नए ज़माने में। "…
जब कुछ नया न दिखे, भीतर की थकान ही सामने आती है कोई भी नयी स्फुरणा नहीं हो रही, न ही कुछ लिखने के लिए, न ही कोई कव…
शादियां और सर्दियां.. यही चल रहा है। कुछ ही दिनों में हाल ऐसा हो जाता है कि फिर घर का खाना पसंद नही आता। आदमी अपने जीवन…
सुबह का उनींदा शहर और 'जागृति' की चाय पालीताणा.. सुबह के पांच बजे कुछ करवटे बदल रहा था शहर.. शायद थोड़ी देर…
Happy Sunday.. हाँ, न ही कल कुछ लिख पाया था, न ही आज दिनभर में..! फिलहाल खड़ा हूँ बस डिपो पर, ७:५० की बस अभी ८:३४ तक आई …
कोरा कागज़: जहां भावनाएं जन्म लेती हैं थोड़ा असमंजस में हूँ, हिंदी में लिखू या गुजराती में.. क्योंकि कोलेब चेलेंज है मोट…
ग्लैमराइज़ेशन का मौसम और मेरी नाक का अलार्म हां, कल कुछ लिखा नहीं इसी लिए आज कोई शिड्यूल्ड पोस्ट है ही नहीं..! पिछ…
बाबा फन्नीरुद्धाचार्य की सीधी रेखा की चेतावनी आजकल सब शांति से smoothly टाइम जा रहा है, कुछ भी उटपटांग नही हो रहा है..!…
सर्दी की ऋतु में लौटती चेतना और भूख प्रियंवदा ! सर्दिया लौट रही है, मेरी प्रिय ! अब तो सूर्य भी शीघ्र ही संध्या …
खिड़की से दिखता जीवन का एक कोलाज कच्ची सड़कों की धूल और बिजली के तारों की थकान लगातार डम्पर्स के चलने से रज में तब…