दिलायरी : १२/०१/२०२५, || Dilaayari : 12/01/2025

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रविवार.. नाम का रविवार है मेरे लिए तो। कल साबरमती रिपोर्ट देखते देखते साढ़े बारह हो चुके थे, आधी ही देखी.. और महादेवी निंद्रा ने अपनी बांहो में भर लिया। सोया देर से था तो सुबह जगा भी देर से.. नव बजे घरवालों ने कूटना शुरू किया होगा शायद.. आंखे खुली, मोबाइल देखा नौ बज रहे थे। ऑफिस के लिए रेडी होते होते लगभग दस। जगन्नाथ तब भी दर्शन तो देते है। ऑफिस पहुंचा तो साढ़े दस हुए, पोस्ट्स पब्लिश की। स्नेही से संवाद, बारह होने को आये। सरदार नही आया। पौने एक को सरदार आया। फिर वही साप्ताहिक लक्ष्मी वितरण कार्यक्रम सफलतापूर्वक निपटा। लेकिन साढ़े तीन बजे गए थे। घर पहुंचा तो न आराम करने लायक समय था, न भोजन का.. चाय नाश्ता जिंदाबाद और क्या..!



कभी कभी घरवालों के साथ भी समय बिताना चाहिए। शाम को मंदिर ले गया सबको। फिर बाजार, कुछ खरीदारी, और घर। समय लगभग साढ़े सात। कितनो दिनों से शास्त्रार्थ करने की उच्चतम उत्कंठा हो आई थी। चला गया नाई के पास। वह बैठाते बोला, 'जागीर ! वही स्टायल?' और अपन प्रत्युत्तर में कहते है, 'हाँ भाई, मिल्ट्री मार दे, ऊपर खाली मोर की कलंगी की माफिक खड़े न रहे वह ध्यान रखना.." और लगा.. मोदी, भाजपा, गुजरात की एकमात्र कॉंग्रेसी सांसद, लोकल करेंट अफेयर्स, शहरी समस्या, खाने की आइटम, सफेद बाल, डाई करना चाहिए, हरी सब्जी खानी चाहिए, डेंड्रफ, निम के पत्तो से माथा धोना, कौनसा ज्ञान नही है उसके पास?


उस परमज्ञान से परितृप्त होकर घर को लौटा, खा-पीकर कुछ देर आग सेंकी। और अब साबरमती रिपोर्ट पूरी करनी है। न कुछ नया लिखा, न कुछ सोचा है.. यह दिलायरी भी थोड़ी जबरजस्ती ही लिखी है।


'शुभरात्रि'

(१२/०१/२०२५, २३:०१)

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