दिलायरी : २३/०१/२०२५ || Dilaayari : 23/01/2025 ||

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आज से फिर से एकबार नियत समयानुसार ऑफिस पहुँचाना शुरू हो चूका है। सुबह सवा नव पर ऑफिस पहुँच गया था। कुछ काम नहीं था, ऐसा तो नहीं कह सकता, लेकिन पांचेक घंटे तो काम किया होगा। बाकी आराम था, रील्स वगैरह देखि, और जियो टीवी में फ्रीडम ऍट मिडनाइट देख रहा था, लेकिन पता नहीं अचानक से एप ने काम करना बंद कर दिया। डेढ़ एपिसोड्स ही देखे थे। वैसे गुजराती में तो पूरी बुक पढ़ चूका हूँ मैं, लेकिन एक्टिंग देखने की इच्छा थी। फर्स्ट एपिसोड 'डायरेक्ट एक्शन' तो अच्छा था। वही लीग तथा सोहरवर्दी वाला डायरेक्ट एक्शन डे..! अच्छा, मतलब स्टोरीलाइन अच्छी है, काम तो गलत ही था डायरेक्ट एक्शन का..



दोपहर को आज नाश्ते में अच्छा खेला हुआ। ऑफिस से हँसी-मजाक में तय किया था की दाबेली खाएंगे.. लेकिन रास्ते में तय किया की दाबेलीवाले के पीछे वडापांव वाला है, उसे आजमाते है आज। वहां पहुंचे, वडापांव वाला बंद था। हमने दाबेली वाले की और देखा.. मनोमन सोचा, आज तो कुछ और ही खाएंगे..! हाइवे की दूसरी तरफ राजस्थानी कचौरी वाला है, वहां पहुंचे, तो उसकी कढ़ाई चढ़ी हुई थी, बोला आधा घंटा लगेगा..! मैंने गजा की और आँख मारते हुए कहा, 'दाबेली वाले की बद्दुआ लगी है..' उस राजस्थानी के पिछली साइड एक और राजस्थानी है, उसकी कचौड़ी भी अच्छी है लेकिन एक दिन उसने ठंडी पकड़ा दी थी, तब से उसके पास नहीं जाते थे, आज उसी के पास पहुंचे.. दूकान में कोई नहीं..! कचौड़ी भी नहीं थी.. फिर से एक बार गजे की और देखा मैंने.. तो वह बोला 'आज तो आसमान उत्तर आए तब भी दाबेली तो नहीं ही खानी है..!' ठीक है, उससे आगे एक और नाश्ते वाला है, नया दिख रहा था, उसके पास पहुंचे। वही सेकंड कचौड़ी वाला था यह तो, दो जगह दुकाने कर चूका है। इन पर तो सेल्स टेक्स वाले भी नहीं आते... दबाके कमाते है। दो कचौड़ी आर्डर की। कचौड़ी में दही के उपरांत चटनी के साथ उसने आचार भी डाला..! अजीब लगा.. दही कचौड़ी में आचार कौन डालता है भाई? खाते खाते फिर से गजे की और देखते कहा मैंने.. 'पक्का उस दाबेली वाले की बद्दुआ लगी है आज तो..' लेकिन फिर भी खा ली हमने.. दूसरे ऑर्डर में उसे समझाया की चटनी भले डाल लेकिन आचार मत डालना, अगले ने बताया, चटनी में ही आचार डाला हुआ है। फिर मैंने सिर्फ दही के साथ टेस्ट की.. उतना स्वाद नहीं लगा.. लेकिन खेर, नया ट्राय करने के नाम पर बिलकुल ही नया हुआ आज..!


तीन से सात तो ऑफिस में बिलिंग और बैंकिंग में लगा रहा..! अभी यह लिखने बैठा हूँ, बज रहे है सवा आठ.. और अभी घर जाकर एक शादी में डांडियारास में जाना है। चलिए फिर.. कल मिलेंगे..!


शुभरात्रि..!

(२३/०१/२०२५, २०:१७)

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