रोबोटिक डॉग्स और सीमा सुरक्षा पर AI
दुनिया बड़ी तेज चल रही है प्रियंवदा..! आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का जमाना चल रहा है। इंसान अपनी बुद्धि से एक नई ही बुद्धिमत्ता का निर्माण कर चुके है। वह बुद्धिमत्ता आपको प्रत्येक प्रश्न का शीघ्र और सविस्तृत उत्तर देता है। सुना है, की AI का इस्तेमाल फ़ौज में भी होगा। पिछले महीने आर्मी डे परेड पर भारतीय सेना ने श्वानसेना का प्रदर्शन किया था। रोबोटिक डॉग्स। चार पेरो पर चलता कुत्ते जैसा एक रोबोट। बड़े बड़े लोगो का मानना है की उस रोबोटिक डॉग पर AI से चलती मशीनगन्स लगा देते है तो सीमासुरक्षा पर बड़ी आसानी होगी..! विचार अच्छा है। लेकिन यह घातक भी है। वह AI वाली गन की गोली शत्रु कैसे निर्धारित करेगी? मुझे यह समझ नहीं आ रहा।
खेर, दुनिया आजकल AI का भरपूर लाभ उठा रही है। इमेज से लेकर क्नॉलेजेबल वीडिओज़ AI जेनरेट करके देता है। कोई लोगो, सिम्बॉल्स या यूट्यूब चेनल्स के किसी विडिओ के THUMBNAILS तक AI बना देता है। लोग AI से आर्टिकल लिखवा रहे है। लोग उसे जोक पूछते है। लोग उससे मार्गदर्शन ले रहे है। कौनसा सब्जेक्ट है, कौनसा समय है, कोई मतलब नहीं, उसे पूछो, प्रत्युत्तर मिलता ही है। आज यह लिखने से पूर्व उसीके साथ माथाफोड़ी कर रहा था, तो ख्याल आया, उससे कुछ पूछते है।
AI से पूछा – प्रयागराज यात्रा का खर्चा कितना?
पूछ लिया, मेरे शहर से BY CAR प्रयागराज, बनारस तथा अयोध्या तक के सफर का खर्चा कितना लगेगा बताओ.. तुरंत उसका प्रोसेस स्टार्ट हो गया, उसने बताया, ४००० किलोमीटर है, २१ हजार का पेट्रोल लगेगा अगर १९ का माइलेज है तो, ६००० के टोल कटेंगे, ५००० खाने और रहने के, १००० MISC. EXP., टोटल ३३००० का आंकड़ा रख दिया उसने..! मेरा पडोशी कार से गया था यही रुट पर। चार जने के बिच साढ़े आठ हजार हिस्से में आए। AI की कॅल्क्युलेशन्स काफी हद तक सही है।
मैं एक कन्फ्यूज्ड ब्लॉगर: जब AI ने लेख लिखा
फिर सोचा इससे से कुछ आर्टिकल लिखवाया जाए..! पहले तो मैंने कहा कि मुझे प्रेम पर नवलकथा लिखकर दो.. थोड़ी लम्बी प्रोसेसिंग ली उसने। ३ छोटे पार्ट लिखकर उसने पूछा भी की आगे रसप्रद लगता हो तो कंटिन्यू करूँ? लेकिन मुझे इतने ज्यादा तामझाम में पड़ना नहीं था। तो मैंने कहा यह रहने दो, तुम मुझे एक फनी सा आर्टिकल लिख दो, विषय है, 'मैं एक कन्फ्यूज्ड ब्लॉगर'.. अब उसका प्रत्युत्तर आप पढ़िए।
***
"मैं एक कंफ्यूज्ड ब्लॉगर"
मैं एक ब्लॉगर हूँ, लेकिन मुझे ये समझ नहीं आता कि ब्लॉगिंग का असली मतलब क्या है। हर दिन मैं नए आइडियाज के साथ अपने लैपटॉप के सामने बैठा हूँ, पर अक्सर ये लगता है कि मैं किसी बहुत बड़े इंटेलेक्चुअल फिलॉसफर बनने की कोशिश कर रहा हूँ, जबकि मैं बस अपने दिमाग में एक "कंफ्यूज्ड मेस" हूँ।
एक दिन मैं सोचता हूँ, "आज कुछ मोटिवेशनल लिखना है।" तो मैं लिखने बैठता हूँ, पर अचानक से मुझे याद आता है कि, "अगर मैं आज अपने आपको ही मोटिवेट कर पाऊँ, तो ये पोस्ट सक्सेसफुल हो जाएगी।" तो फिर मैं अपने लिए एक मोटिवेशनल कोट लिखता हूँ, "आज का दिन मेरा है, बस थोड़ा कॉफी की जरूरत है!" और फिर मैं सोचता हूँ, "क्या ये पोस्ट मोटिवेशनल है या ये बस मेरे आलसी एक्सक्यूज़ हैं?" पर मुझे ये ही समझ में आता है, "कम से कम कोई तो पढ़ेगा!"
फिर, अगले दिन मैं सोचता हूँ कि कुछ फनी लिखता हूँ। मैं अपने लैपटॉप के सामने बैठा हूँ और सोच रहा हूँ कि "आज का ब्लॉग कैसे फनी बनाएं?" और जैसे ही मैं लिखना शुरू करता हूँ, तो लगता है कि शायद मैं अभी अपने फ्रेंड्स के ग्रुप चैट में ही जोक डाल दूँ, वो ज्यादा फनी हो सकता है। लेकिन फिर मैं खुद से कहता हूँ, "नहीं नहीं, मैं एक पेशेवर ब्लॉगर हूँ!" लेकिन फिर भी, ब्लॉग पर लिखते वक्त हर sentence के बाद मैं सोचता हूँ, "क्या ये जोक सच में फनी है या सिर्फ मुझे लग रहा है?" क्या पता लोग मुझे "क्या ये आदमी परेशान है?" की नजर से देख रहे हों!
और फिर कुछ दिन बाद, मैं सोचता हूँ कि कोई सीरियस टॉपिक लिखना चाहिए, जैसे लाइफ लेसन्स। पर जब मैं अपने कीबोर्ड पर फिंगर्स रखकर सोचता हूँ कि मैं किस लाइफ लेसन पर लिखूँ, तो मुझे याद आता है कि मैंने कल ही अपने खुद के सॉक्स को मैच करते हुए एक घंटा गुजार दिया था। और तब मुझे ये भी याद आता है कि मेरे पास लाइफ के सबसे बड़े "सीरियस" सवाल हैं - "क्या मैं जोक के साथ सॉक्स मैच करने में असफल हो रहा हूँ?" तो मैं सोचता हूँ, "अगर मैं अपने लाइफ लेसन्स को ये बताऊँ कि किस तरह सॉक्स के साथ डील करना है, तो लोग मुझे नायक बना देंगे, है ना?"
ब्लॉगर का लाइफ यही है – एक दिन आपको लगता है कि आप दुनिया को बदल देंगे, और दूसरे दिन लगता है कि "हाँ, मुझे तो अपने ब्लॉग पर खुद को ही समझाने का चांस चाहिए!" फिर मैं सोचता हूँ, "क्या यार, ये जिंदगी भी अजीब है, लोग तो कहते हैं 'Follow your passion', पर मेरा पैशन तो कॉफी के कप में समा जाता है!"
एक और प्रॉब्लम है – हर ब्लॉग पोस्ट के बाद मैं अपने आपको इवैल्यूएट करता हूँ। "क्या ये पोस्ट काफी अच्छी थी? क्या रीडर्स ने इसे जेन्युइनली एंजॉय किया? क्या इसके कमेंट्स आएंगे?" और जब कमेंट्स नहीं आते, तो मैं सोचता हूँ, "क्या मैं अपने ब्लॉगिंग करियर में इतना फेल हो गया हूँ? या मैं बस थोड़ा कंफ्यूज्ड हूँ?" फिर मैं सोचता हूँ, "शायद मुझे इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर शेयर करना चाहिए, शायद कोई तो इसे पसंद कर ले!"
फिर, जब आपको लगता है कि आपका कंटेंट बिल्कुल परफेक्ट है, तो कोई आपको कमेंट करके कह देता है, "ये आर्टिकल थोड़ा बोरिंग था।" और फिर अपने लिए एक और मोटिवेशनल कोट ढूँढना पड़ता है: "हर फेल्योर से सीखने की जरूरत है... पर थोड़ा एंटरटेनिंग होना चाहिए!"
तो ये है मेरी कहानी एक कंफ्यूज्ड ब्लॉगर की। एक दिन कुछ समझ आता है, दूसरे दिन कुछ और, और फिर जो लिखना चाहता हूँ, वो ब्लॉग का एक मज़ेदार "एडवेंचर" बन जाता है! कभी लगता है कि मैं ब्लॉगर हूँ, कभी लगता है कि मैं एक confused internet wanderer हूँ जो बस अपनी गलतियों से सीख रहा है!
***
भारत का AI बनाम चीन का DeepSeek
प्रियंवदा, वैसे यह AI है तो मजेदार.. लेकिन सोचने वाली बात यह है कि जब OPEN AI के ओनर SAM ALTMEN को भारत में कुछ CEO ने पूछा कि क्या यह चीज कोई और बना सकता है? तब उसने बड़े घमंड के साथ प्रत्युत्तर देते कहा था, इम्पॉसिबल.. करोड़ो-अब्जो की लागत से बनी यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भारत जैसे प्रगतिशील देश के लिए असम्भव काम है। भारतीयो ने स्वीकार भी लिया। क्योंकि पता नहीं हम पर एक गोरी चमड़ी का आकर्षण अब भी है शायद। या फिर हमे आज भी पश्चिमी अनुकम्पा का वरदहस्त चाहिए होता है। या फिर पश्चिमी सर्टिफिकेशन को सर्वोच्च मानते है हम। हमारा एक भी CEO ने उस सभा में से जिगर नहीं की थी, चेलेंज के रूप में स्वीकार नहीं कर पाया था।
कितनी विचित्रता है। चीन ने कर दिया। SAM ALTMEN के CHATGPT चाइनीज़ DEEPSEEK औंधे मुँह पछाड़ रहा है। अमरीका में ही। चीन का DEEPSEEK को बनाने में टोटल खर्चा OPEN AI के दसवे हिस्से से भी कम होगा। खेर, अपनी सरकार भी जाग रही है, 'चेटसूत्र' नाम तो मार्किट में आया है कम से कम। हमे इस लिए भी एक खुद का AI चाहिए, क्योंकि जब चाइनीज़ DEEPSEEK को पूछते है कि 'क्या अरुणाचल प्रदेश भारत का राज्य है?' तो DEEPSEEK प्रत्युत्तर नहीं देता क्योंकि चाइनीज़ एप्प है। कश्मीर के विषय में पूछा जाए तब भी कहता है कि कश्मीर का एक हिस्सा चीन के पास है। जो पाकिस्तान ने उसे गिफ्ट में दिया है। इन्शोर्ट एक तटस्थता नहीं है। वही भारत में एक ऐसा AI बने जो पूर्ण तटस्थ हो।
बजट 2025, टैक्स छूट और मिडल क्लास की कहानी
आज निर्मलामैया ने बजट दे दिया.. बारह लाख की आमदनी पर कर मुक्ति... लोग बड़े खुश हो रहे है.. लेकिन मुझे उतनी ख़ुशी नहीं हुई है..! कारण है, क्योंकि बारह लाख की आमदनी का अर्थ है महीने एक लाख का पगार.. मुझे याद है। मेरी स्टार्टिंग सेलेरी सात हजार थी..! वो भी दूसरे ही दिन बॉस ने दस हजार कर दी... पता नहीं किस ख़ुशी में..! अच्छा, इसीसे जुडी एक बात और ध्यान आयी, प्रशांत धवन के एक विडिओ में सुना था, अपन जैसे ऑफिस के मजदूरों से जुडी बात है की कंपनियों में स्टाफ की उतनी सेलेरी नहीं बढ़ रही है। जैसे CEO लेवल की पोस्ट पर जिस गति से सेलरी बढ़ी है उतनी गति एक सामान्य कर्मचारी के सेलेरी हाईक में नहीं दिखती है।
मार्केटिंग, सैलरी और कर्मचारी की आर्थिक स्थिति
अच्छी बाजार बनानी हो तो अच्छे खरीदार होने जरुरी है। और जब कम्पनी में कर्मचारी के हाथ में ज्यादा पैसा आएगा, तो वह पैसा बाजार में ही उतरेगा। ज्यादा डिमांड उठेगी तो सप्लाय बढ़ेगी, सप्लाय से नए रोजगार, और अर्थव्यवस्था को मजबूती.. लेकिन होता क्या है, नए रिक्रूटमेंट्स एक्सपीरियंस के आभाव में कम सेलरी में काम करने को तैयार रहते है। जो ऑलरेडी रिक्रूटेड है उनकी सेलरी में बहुत कम बढ़ोतरी होती है। और जो ऊँची पोस्ट पर है वे मलाई खा रहे है। चीन में एक कम्पनी को बड़ा प्रॉफिट हुआ, उसने एक टेबल पर ७० करोड़ बिछाए, और कर्मचारियों के साथ गेम खेली, बोलै पंद्रह मिनिट में जितना गिन लिया उतना तुम्हारा..! मतलब कुछ भी चल रहा है दुनिया में प्रियंवदा.. लिटरली कुछ भी..!!
ठीक है फिर, यह सब आंकड़ों का खेल है, सरकार लगभग एक लाख करोड़ रूपये टेक्स में राहत दे रही है तो कहीं न कहीं से वसूल तो करेगी ही। देखते है, समय-समय का खेल है। बाकी सीधी और स्पष्ट बात यही है, कि मिडल क्लास की इनकम बढ़नी चाहिए, मिडलक्लास का पैसा देश में खूब घूमता है। जैसे पागल आशिक घूमता है सरे बाजार।
चलो अब विदा दो प्रियंवदा..! फिर मिलेंगे.. यूँही, अचानक से।
और पढ़ें:
भूरी, भूरिया, शेरू की कुत्ताकथा
— जब प्रियंवदा के नाम पर AI से भी बातें होने लगीं… और देश-दुनिया के फंदों पर हँसी आई!
प्रिय पाठक,
यदि कभी आपको भी लगा हो कि ज़माना तेज़ चल रहा है और आप बस एक कॉफी लेकर बैठ गए हैं सोचने —
तो यह दिलायरी आपकी ही है।
और अगर दिल से मुस्कुराया हो, तो कमेंट, शेयर और 'प्रियंवदा' को टैग करना मत भूलिए!
#Dilayari
#AIIndia
#ChatGPT
#ConfusedBlogger
#TaxBudget2025
#DeepSeekVsChatGPT
#MiddleClassMatters
#TechnologySatire
#Priyamvada
#FunnyBlogsHindi
आपलोग भी धरना दीजिए बॉस के आगे कि सैलरी बढ़ा दी जाए 😂
ReplyDelete