"वसंत, रील्स और समोसे : एक सुस्त दिन की दिलायरी" || दिलायरी : १३/०२/२०२५ || Dilaayari : 13/02/2025

0

जब ऑफिस में कुछ काम न हो तो रील्स ही सही..

    सुबह ऑफिस पहुंचा, काम कुछ ही न था..! दिनभर बस रील्स देखि है। और क्या करे? न कोई गाड़ियां लगी थी, न कोई बिल बनाने थे। रील्स देखते देखते दोपहर हो गई। गजा आया, बोला भूख लगी है। चलो नाश्ता करने..! आज मेरी कोई ख़ास इच्छा न थी, लेकिन वो नहीं माना, फिर नजदीक में ही बिहारी के समोसे बड़े प्रख्यात है। छोले-समोसा, एक-एक खाकर ऑफिस लौट आए।



    दोपहर बाद सरदार हिसाबकिताब ले आया.. बोला पुरे करो इन्हे। अपने पास वैसे ही कोई काम न था.. और दिनभर रील्स देखने में उतना मजा भी नहीं आता। अच्छे से तीनेक घंटे का काम आया। लेकिन साथ ही साथ एक स्नेही से स्त्री की पसंदगी पर चर्चा भी होती रही.. शाम साढ़े सात को ख्याल आया की इसी विषय पर कुछ लिख दिया जाए.. तो लिख दिया। लेकिन निराकरण है ही नहीं कुछ भी उस विषय का।


    शाम को घर, और निंद्रा जिंदाबाद.. वैसे मौसम अब गर्म हो चूका है। रात्रि को अब कंबल ओढ़ने की जरुरत नहीं। पंखा फुल और एक पतली चादर बहुत है। दिनभर पंखा चलता है। वसंत चल रहा है, यह ऋतु प्रख्यात है कामवासना के लिए, माना जाता रहा है, वसंत में ही काम और रति पृथ्वी पर उतरते है। और इसी लिए सरस्वती अर्थात ज्ञान की देवी का भी पूजन होता है, वसंतपंचमी के दिवस..! 


    ठीक है, लगभग पौने एक को सो गया था।

    (१३/०२/२०२५, १२:४६)

***

और भी पढ़ें:

 डांडिया-रास की रात, विवाह में चांदलो, और कच्छ के फॉसिल्स – दिलायरी (12/02/2025)


प्रिय पाठक!
अगर कभी आपने भी आलस में रील्स देखी है, समोसे से दिन संवारा है, या ऋतु के बदलते ताप में कुछ भावनाएं उमड़ी हैं –
तो इस पोस्ट को ज़रूर शेयर करें,
कमेंट में बताएं आपकी वसंत कैसा चल रहा है,
और हाँ – दिलायरी पढ़ते रहें..! 🌸


#दिलायरी #वसंतपंचमी #रील्स #स्त्रीचर्चा #कामदेव #समोसा #गर्मी #ऑफिसडायरी #वसंतऋतु


Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)