दिलायरी : १४/०२/२०२५ || Dilaayari : 14/02/2025

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वैसे आज का दिन मेरे लिए तो बहुत बढ़िया रहा। प्रियंवदा से बाते जो हो गयी..! सुबह ऑफिस पहुंचा, लगभग नौ बज रहे थे। तुरंत कम्यूटर ऑन किया। शिड्यूल्ड पोस्ट पब्लिश हो चुकी थी। स्नेही मित्रो को भेज दी और स्टोरी लगा दी। दिनभर कुछ भी काम न था, शाम को एक बिल बनाया बस।



दोपहर तक तो एक क्रूर विषय पर चर्चा चली। स्त्री संबंधित। स्त्री को इतना नियंत्रण में क्यो रखा जाता है, या उसे नियंत्रण के दायरे में क्यों रखा था। प्रियंवदा के तर्क, और मेरे तर्कों में तुमुल युद्ध हुआ, लेकिन दोनो ही हारे, और दोनो ही जीते। क्योंकि यह विषय ही ऐसा था जिसका कोई निष्कर्ष नही निकल सकता।


दोपहर को मैं और गजा हमेशा की तरह नाश्ता करने चले गए। रसगुल्ले दबाए खूब.. और फिर निकले ऑफिस के लिए। दोपहर बाद सरदार ने आते ही थोथे पकड़ाने चाहे, लेकिन मेरा सदनसिब कि घर भूल आया था, सारे थोथे। फिर बस वही चर्चाओं में थोड़ा बहुत छेड़छाड़ करके पोस्ट बना दी, जो कल सुबह पोस्ट करूंगा। 


बस सोने के लिए पड़ा ही था कि मित्र का फोन आया, शाखा में नही आ रहे हो? मैं सोच पड़ गया, इस समय काहेकि शाखा भाई? फिर पता चला, अब से शुक्रवार रात साढ़े नौ को शाखा का समय कर दिया है। जय जुम्मा। अभी समय हो रहा है २३:३७.. और अब कुछ देर रिल्स को न्याय देना चाहिए। आज पूरे दिन में उससे भेंट न हो पाई है। ठीक है फिर शुभरात्रि। और हाँ, हैप्पी वेलेंटाइन्स डे.. प्रियंवदा।


(१४/०२/२०२५, २३:४०)


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