शक्ति के आगे तो स्वयं महादेव को..
प्रियंवदा ! एक स्त्री का मनोबल पुरुष से कई ज्यादा होता है। स्त्री ने अगर कुछ निर्धारित कर लिया है तो वह होकर रहता है। पुरुष की मनोशक्ति स्त्री जितनी मजबूत नहीं होती है। और हम तो मानते आए है, और तभी तो स्त्रियों को पूजते आए है। हमने जब पुरुष को असामर्थ्यवान देखा तब स्त्री शक्ति आह्वान किया, और स्त्री शक्ति के आगे तो स्वयं महादेव को पृथ्वी पर लेटना पड़ा था..!
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Ceasefire ki soch me Dilawarsinh... |
आधी-अधूरी शान्ति की स्थापना मुबारक हो..
मेरा मन अशांत है, उद्विग्न है। और अभी तक समझ नहीं पा रहा हूँ कि, अशांत मन से यह लिखूं या नहीं? क्रोधित मन से अगर लिखूंगा, तो शंका है कि आक्रोश शब्दों में न छलक पड़े। मेरे भीतर जैसे सातो समुद्र डोल रहे है। असंख्य ज्वालामुखी भभूक उठे है। आक्रोशित मन व्याकुल हो उठा है। बधिर की भाँती अनसुना कर देना चाहता हूँ कुछ बाते..! कुछ बाते है जो समझ नहीं आयी मुझे, और जो मुझे समझ नहीं आता वह मुझे व्यग्र कर जाता है। अशांत कर देता है। सुना है पुनः एक बार बॉर्डर पर शान्ति स्थापित की गयी है। आधी-अधूरी शान्ति की स्थापना..! मुबारक हो।
आज सुबह ऑफिस आते हुए समाचार सुन रहा था, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के भीतर जाकर रावलपिंडी का नूरखां एयरबेस बर्बाद कर दिया है। भारतीय सिमा से १५० किलोमीटर दूर पड़ता है। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और रावलपिंडी एक ही तो है। चकवल के पास मुरीद बेस जो कि भारत से १७५ किलोमीटर दूर है, और भारत की सिमा से २७० किलोमीटर दूर पीर महल के पास पड़ते रफ़ीकी एयरबेस पर भारतीय वायुसेना के जहाज मंडरा रहे थे और हमला मारकर सहीसलामत वापिस लौट आए थे..! पाकिस्तानियों को 'प्रधानमंत्री अचानक दिन हो गया योजना' का भरपूर लाभ दिया था बीती रात।
मैं लगातार खबरे सुन रहा था..
और गर्व अनुभव कर रहा था भारतीय वायुसेना पर, और भारत के निर्णायक एयर डिफेन्स सिस्टम पर। मेरे घर से महज ७ किलोमीटर पर पाकिस्तानी ड्रोन के मलबे गिरने की खबर ने और उत्साह भर दिया था। अरे कल रात को तो मैं, गजा और पत्ता ग्राउंड में बैठे पाकिस्तानी एयर डिफेंस सिस्टम पर खूब ठहाके ले रहे थे। खूब मजे ले लेकर हमने पाकिस्तानियो की हँसी उड़ाई और अपनों की तारीफे की। लगभग पौने बारह बजे तक बैठे थे हम। प्रियंवदा ! यह तो बार बार घर वाले चिंता करने लगे थे, वरना हम तीनों तो बातों बातों में करांची तक तो कब्जा चुके थे। और इस्लामाबाद तो बस पलक झपकाने की दूरी भर रह गया था। लेकिन अफसोस, हम तीनों की तिकड़ी को हमारे घर वालो के प्रेशर में बिखरना पड़ा, और समझौते स्वरूप नींद लेनी पड़ी।
कांडला पोर्ट बंद कर दिया..
पत्ता आज शायद दिनभर घर पर ही था। सुबह से लेकर शाम तक मे पंद्रह बार उसने मुझे फोन किया है। कारण भी वाजिब था उसका। प्रशासन ने सम्पूर्ण बंद का एलान कर दिया था। कलेक्टर साहब का आदेश था, सारी मार्केट्स बंद करने का। कोई रोड पर बिनजरूरी निकलेगा नही, और घर पर ही रहेगा। तीन बजे तक तो कच्छ के लगभग तहसील में पुलिस ने सब कुछ बंध करवा भी दिया था, और वीडिओज़ भी आने लगे थे। पत्ता मेरे पूरे मजे लेने के मूड में था, बारबार कॉल करके यही कहता कि, 'तेरी दहाड़ी बनती हो वो मुझ से ले ले, लेकिन घर पर बैठ आज के दिन तो।' हमारी मिल चालू ही थी, क्योंकि इंडस्ट्रियल एरिया के लिए कोई बंद की गाइडलाइंस नही थी, इसी कारण से मैं भी ऑफिस पर ही था। तभी तीन बजे बड़ा समाचार आया, 'कांडला पोर्ट बंद कर दिया।'
भारत का सबसे ज्यादा व्यस्त बंदरगाह और कार्गो हैंडलिंग में पिछले कई वर्षों से पूरे देश मे सदा अपनी पहली पोज़िशन बनाए हुए कांडला पोर्ट का बंद होना एक गंभीर समाचार था। कांडला पोर्ट मात्र स्वातंत्र्य दिवस और गणतंत्र दिवस के साल के दो दिन ही बंद रहता है। कुछ बड़ा होने वाला है यह विचार दिमाग मे घूम रहा था। साथ ही साथ एक प्रश्न बारबार दिमाग मे उठ रहा था कि IMF से पाकिस्तान को मिली फंडिंग में भारत ने एब्सेंट क्यों किया होगा? 'नो' क्यों नही किया? सोच में पड़ गया कि यह कैसी बात हुई? हमसे युद्ध करने वाले कि फंडिंग पर हम कमसे कम 'नो' तो कह ही सकते थे..! एब्सेंट करने की क्या जरूरत आन पड़ी होगी?
टेरिटोरियल आर्मी..
पांच बजने को आए थे, पत्ता लगातार मजे ले रहा था, और दूसरी तरफ मेरे हिसाब में एक गड़बड़ी हो गयी, रोकड़ मिला रहा था तो एक भारी टूट दिखी.. जिसका कोई प्रत्युत्तर मेरे पास नही था। ना ही मुझे याद आ रहा था। खेर, पांच बजे तक तो मामला और गंभीर हो गया था, मैंने अपने एकॉन्ट्स ग्रुप से जाना कि शहर सारा बंद करवा दिया गया है, और इंडस्ट्रियल एरिया में भी पुलिस बन्द करवा रही है। तो हमने भी निर्णय ले लिया, मिल बन्द कर देते है। अंधेरा होने से पूर्व घर पहुंच जाने की बात तय हो गयी। लेकिन स्थितियां बदलने लगी थी। जो मुझे ज्ञात नही थी। फ्री समय मिला था, मैंने यूट्यूब पर एक वीडियो देखी, जिसमे समाचार मिला कि सरकार ने टेरिटोरियल आर्मी को एक्टिव किया है। टेरिटोरियल आर्मी माने वॉलंटियर सैन्य, 18 से 42 की आयु का कोई भी मेडिकली फिट व्यक्ति जॉइन कर सकता है। इस आर्मी का उद्देश मुख्य आर्मी को सपोर्ट करना होता है। आयल फील्ड से लेकर रेल्वेस को गार्ड्स करना इनकी जिम्मेदारी बनती है। यह सेना आपातकालीन स्थिति में निर्माण होती है। चाहे कुदरती आपत्ति हो, या फिर युद्धकालीन स्थिति।
शांति और समझदारी से दोनो देश ने शांति स्वीकार ली..
अब लगने लगा था कुछ तो हो रहा है.. कोई नई अपडेट..! या कुछ बड़ा.. बस सब कुछ बन्द करके सिस्टम शटडाउन करने की सोच ही रहा था कि इच्छा हुई एक बार खबरे देख लू। 'मिसरी साब बता रहे थे कि सीजफायर हो गया।' भारत और पाकिस्तान दोनो ही एकमत हो गए इस युद्ध विराम पर। मुझे बड़ा गुस्सा आया कि इसकी इस समय अकारण क्या जरूरत पड़ गयी? फिर समाचार मिला कि ट्रंप चच्चा ने मध्यस्थि कर के यह सीजफायर करवाया है। अभी कल परसो ही जेडी वान्स को कहते सुना था कि 'भारत-पाकिस्तान की इस जंग से अमरीका को कोई लेनादेना नही है।' और अब खुद ट्रंप चच्चा कहते पाए गए कि बड़ी शांति और समझदारी से दोनो देश ने शांति स्वीकार ली।
मुझे मन मे डाउट हुआ कि नक्की IMF से मिली लोन में ट्रंप चच्चा का योगदान होगा। और भारत को भी कोई लोलिपोप दिया गया होगा। वास्तव में मैं यही सब सोच रहा था और pd ने भी सेम बाते कही..! मुझे लगा था कि पाकिस्तान पर कोई बड़ी कार्यवाही भारत कर देगा, जिससे उभरने में पाकिस्तान को काफी समय लगेगा। क्योंकि जिस तरह से पाकिस्तान का एक भी मिसाइल, या ड्रोन भारत भूमि को मलबा होने से पूर्व छू नही पाया है, और भारत के फाइटर जेट्स इस्लामाबाद पर उड़ाने भर रहे थे, उस हिसाब से तो पाकिस्तान का सर्वनाश करने में भारत को देर नही लगती। फिर यह अकारण शांति संधि क्यों? यह जलवा तो सिर्फ वायुसेना ने दिखाया था। नौसेना और थलसेना ने तो अभी तक कुचकदम भी नही बढ़ाया था।
गजराज के बदले नागराज ?
फिर धीरे धीरे लगने लगा अपने आप कि चलो शांति हो जाए उससे बढ़िया क्या होगा? यह शांति के प्रति प्रेम मेरा इस कारण भी जागा है, क्योंकि अभी समय हो रहा है रात्रि के बारह। यह लिखने की शुरुआत साढ़े सात को की थी, तब बड़ा ही व्यग्र मन था। लेकिन जैसे जैसे समय बिता आक्रोश ठंडा पड़ता गया। घर आकर ग्राउंड में बैठने गया था, पत्ता तो आया नही, गजा आया था। मैं आधा लिखा छोड़ गजे से जहर उगलवाने में व्यस्त हो गया..! गजे की हालत अब ऐसी है कि वह सर्वज्ञ हो गया है, IMF से लेकर वायुसेना के हमले तक उसे सब ज्ञान और ध्यान होता है। कोई भी मुद्दा हो, कोई भी बात हो, गजा अपना विष उगलता ही है। मैं सोचता हूँ इसका नाम अब गजराज के बदले नागराज रख देना चाहिए।
एक और पंगा भी तो हो गया, खाना खाते समय फिर से एक बार न्यूज़ 18 पर हो हल्ला होने लगा, एक अकेला मात्र चेनल था जिसपर वे लोग बता रहे थे कि, पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन कर दिया। मैं भी सोच में पड़ गया कि अभी पांच बजे तो सीजफायर का समझौता हुआ और नौ बजे उल्लंघन.. इतनी जल्दी क्या थी इनलोगो को? मैंने चेनल चेंज की तो और किसी चेनल पर ऐसी कोई बात नही थी, तो मैं न्यूज़18 को कोसते हुए ग्राउंड में आ गया, वो तो फिर पत्ता और गजा दोनो ने बताया कि सारे न्यूज़ में यही आ रहा है कि सीजफायर का उल्लंघन हुआ है। लेकिन कुछ देर बाद dd news ने बताया कि 'सेना ने कहा है कि कोई हमला नही हुआ है पाकिस्तान की ओर से..' समझ नही आया मुझे कि दरअसल हुआ क्या..?
पाकिस्तान सोसयल मीडिया को एक साक्ष्य समझता है..
फिर यह सात तारीख से दस तारीख के बीच इतना होहल्ला हुआ, किसे क्या लाभ मिला? कौन फायदे में रहा? तो पहला फायदा पाकिस्तान का, उन्हें IMF से बड़ी लोन मिली.. उनके नागरिकों को अपने हुक्मरान को जानने का मौका मिला, कौन कितनी जल्दी पानी में बैठता है। भारत को मिला सैन्य प्रशिक्षण। सेना को अनुभव मिल गया। सबसे बड़ी बात की पाकिस्तान के भीतर फाइटर जेट ले जाने पर भी पाकिस्तानी एयर डिफेंस सिस्टम इस लिए चालू नही की जाती है कि 'कहीं भारत को उन सिस्टम्स की लोकेशन न पता लग जाए।' भारत का जो नुकसान हुआ वह बस सोसयल मीडिया पर है, पाकिस्तान के पास कोई सबूत नही.. और पाकिस्तान सोसयल मीडिया को एक साक्ष्य समझता है। भारत को एक लाभ यह हुआ कि सिंधु समझौते पर कोई नया संस्करण करने की अभी तक जरूरत उत्पन्न नही हुई, और भारत जब चाहे पानी छोड़-बन्द कर सकता है। एक और बड़ा लाभ यह भी हुआ कि भारत में अब से 'कोई भी आतंकवादी हमला एक एक्ट ऑफ वॉर' माना जाएगा, जिसके तहत भारत रिस्पॉन्स में फिर से पाकिस्तान के भीतर बमबारी कर सकता है।
हिन्दू-मुस्लिम एकता..
मुझे तो अफसोस यह हुआ कि आज ही तो बेचारे पाकिस्तानियों ने अपना 'बुनयान-उन-मारसूस' ऑपरेशन लॉन्च किया था, जिसके तहत उसने आज दिन में भी मिसाइल्स दागे थे, जो कि भारत ने पलभर में नेस्तनाबूद कर दिए थे। बेचारों का मिशन भी फुस्स हो गया.. मुझे लगता है, भारत का एक और फायदा हुआ। नागरिकों को यह जानने को मिला कि ऐसी संकटकालीन युद्ध स्थिति में एक बार तो हर कोई एकता को धारण कर चुका था। बड़ी वारफेयर की बात अलग है, लेकिन इस तनाव में सोसयल मीडिया पर हिन्दू-मुस्लिम एकता बड़ी जोरो की दिखी। खास लाभ मिला 'असदुद्दीन ओवैसी' साहब को। इनके लगातार 3 वीडियो आए जो वायरल थे, एक मे वे पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे, दूसरे में वे बांग्लादेश को लताड़ रहे थे, तीसरे में वे परेशान दिखे IMF से पाकिस्तान को मिलती फंडिंग पर। असदुद्दीन ओवैसी की फैन फॉलोइंग बहुत बड़ी है, और उनके द्वारा यह भारतीयता का प्रमाण ऐसी स्थिति में देना बहुत प्रभावशाली रहा। सोसयल मीडिया पर लोग इतने खुश थे कि बाते कर रहे थे, सब मिलकर ओवैसी को पाकिस्तान का cm बनाएंगे। खैर, यह सोसयल मीडिया या इन्फॉर्मेशन वारफेयर में हम बहुत पीछे रह गए थे पाकिस्तानियों से। पाकिस्तानीयो ने दिनभर में पचास अफवाह छोड़ी थी, भारत के कई सारे एयरबेस तबाह करने से लेकर पटना के seaport तक नष्ट कर दिया उन्होंने। भारतीयो ने भारत सरकार से गुहार लगाई कि, पटना में बंदरगाह है यह बात हमसे क्यों छिपाई गयी..? इन्फॉर्मेशन वॉर में हमने इतना कुछ किया नही, बस एक रात को देश के बड़े मीडिया चैनल्स चढ़ दौड़े थे जिसमें उन्होंने करांची में भारतीय नेवी ने मचाये तांडव की बाते की थी, पाकिस्तान भी इन खबरों से काँपा जरूर, ब्लैकआउट डिक्लेर हो गया था वहां भी.. लेकिन हकीकत में उस रात वायुसेना ने ऊपर कहे एयरबेस पर हमला किया था। खेर, शुरुआत में मैने कहा ना कि स्त्री का मनोबल पुरुष से ज्यादा होता है, जिद्द ज्यादा होती है। वह भी इसी कारण से कि एक इंदिरा ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे। आज भी भारत सरकार चाहती तो बलोचिस्तान अलग कर सकती थी, और पाकिस्तान ऑक्युपैड कश्मीर POK पुनः भारत मे मिला सकती थी..!
चीन और तुर्किये..
लेकिन यह बात भी सही है, वह 1971 था, और यह 2025.. आज भारत उस दिन के मुकाबले ज्यादा मजबूत है, हमे चीन के समकक्ष होना है, पाकिस्तान को तो चुटकी में रौंद सकने के सामर्थ्य तो जगजाहिर कर ही दिया। बस अब आगे से यह जरूर याद रखना है कि चीन और तुर्किये (टर्की) ने इस आपातकालीन स्थिति में पाकिस्तान का साथ दिया है। जब कि भारत ने ऑपरेशन दोस्त के नाम से टर्की को भी मदद की थी।
शुभरात्रि।
(१०/०५/२०२५)
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भाई आप जो लिख रहे है, सच मे प्रशंसनीय है
ReplyDelete- Detail मे
- सब बाते
पता नहीं चलता कौन सी बात पर विस्तार से कॉमेंट करू
हाँ एक दो बात कहूँगा
आप आपका खयाल रखिए
और iMF का ऐसा है ये युद्ध के पीछे बहोत सारे लोग है सब अपना अपना फायदा देखेंगे
अच्छे से जल्दी से समाप्त हो बस..
dhanywad bhai..!
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