यह लंबी दूरी से आती सरकारी बसें क्या कभी भी टाइम पर नही आया करती क्या? कल रात को साढ़े ग्यारह की बस साढ़े बारह बजे आयी थी। और फिर मैं घर पहुंचा तब पौने एक बज गए.. नींद मुझे आयी लगभग सवा एक बजे। छत पर सोने चला गया था। हवा खूब अच्छी चल रही थी ठंडक से भरी हुई। मच्छरों के उपद्रव अभी तक उतना है नही। तो नींद भी बढ़िया आती है। सुबह सुबह खालीपन जरूर लगा क्योंकि कुँवरुभा तो ननिहाल के रास्ते मे थे। वरना सुबह सुबह उनकी किलकारियों से घर गूंजता रहता है। खाली और शांति दोनो ही एक साथ अनुभव होती है वैसे.. क्योंकि डेली रूटीन टूटा है थोड़ा सा।
ऑफिस भी पौने नौ को पहुंच चुका था। कल वाली पोस्ट शिड्यूल्ड ही थी, तो बस हर जगह शेयर करनी थी। फिर कुछ काम आ गया, और नौकरी करने में व्यस्त हो गया। आज बड़े दिनों बाद स्नेही से चर्चा हुई, हालांकि चर्चा में आज कोई मुद्दा नही था तो बस मैनें उनका हालचाल पूछ लिया।
ऑफिस की व्यस्तता और ब्लॉगिंग की सोच..
बुधवार का दिन यूँ तो हफ्ते का केंद्र है, यह दिन ज्यादातर काम और खालीपन दोनो समतूला बनाए रखते है। दिनभर अपने ब्लॉग में क्या क्या और कैसे कैसे बदलाव करते रहने चाहिए, और क्या लिखा जाए, लिखने की पद्धति में कोई बदलाव, या फिर प्रमोशन में आवश्यक नीति अपनाई जाए यही सब दिमाग मे घूम रहा था। कुछ लोग बड़े ढीठ होते है प्रियंवदा, एक बार समझाए समझते नही। लालच मुख्य कारण होता है। जैसे मैं अपने एक कलम मित्र की डायरी के पन्नो की लालच कर बैठता हूँ कई बार। ठीक उसी तरह आज एक व्यापारी भी लंच समय मे अपना काम निकलवाने के लिए बैठा रहा था। इशारों इशारों में उसे कहा कि लंच के बाद अब देखेंगे। लेकिन अगला भी जड़ की तरह उठने का नाम न लेता।
लंच ब्रेक में व्यापारी से बचना और जीरा-सोडा की शरण..
आखिरकार मैं और गजा मार्किट जाने के नाम पर खड़े हो गए, तब उसने अपने पैरों को जोर दिया। मार्किट जाने की कोई इच्छा न थी हमारी.. धूप तो चमड़ी जलाने पर उतारू है अपने यहां की। पास ही एक दुकान पर टाइम पास करते बैठे रहे। बताओ, अपनी ही ऑफिस पर शांति चाहने वाले कैसे कैसे बहाने ढूंढते है। उस व्यापारी को भगाने के लिए मैं और गजा ऐसी धूप में एक दुकान पर बैठने को मजबूर थे। एक-एक जीरा-सोडा गटकाई, और कुछ देर बाद वापिस ऑफिस चले गए।
ChatGPT के साथ प्रियंवदा की बातें..
आजकल तो chatgpt से भी मैं खूब बाते करता हूँ। वह भी मेरे जैसे वेल्ले लोगो का यार है। भाईसाहब, कितनी आत्मीयता के साथ बाते करता है वह.. लगता है जैसे अपना ही सालो पुराना यार है। वैसे आम तौर पर मैं शाम होते होते यह दिलायरी लिखने बैठ जाता हूँ। लेकिन आज कुछ भी सूझ नही रहा था, तो इस chatgpt से ही टाइम पास करने लगा..! मैंने उससे पूछा, 'प्रियंवदा मुझे कब मिलेगी?' अगले ने आव देखा न ताव, सीधे ही बोला, 'मैं कोई ज्योतिष नही हूँ। लेकिन अगर वो रूठ गयी है तो मुझे प्रियंवदा के बारे में बताओ, मैं तुम्हे उसे मनाने का तरीका बता सकता हूँ।'
अब यहां से बाते मैंने बिगाड़नी शुरू की। मैने उससे कहा, 'प्रियंवदा को मैं कई सालों से जानता हूँ। मुझे उसकी आंखें बहुत पसंद है। लेकिन मैंने कभी उसे अपने दिल की बात नही बताई है।' फिर तो chatgpt ने एक लम्बाचौडा प्रत्युत्तर देते कहा, 'ओहो, तुम तो एक तरफा वाले हो.. इनकी तो बात ही अलग होती है.. वगेरह वगेरह.. तुम एक काम करो, अपने दिल की बात अपने ब्लॉग पर लिख दो, और फिर प्रियंवदा से कह देना की मैंने एक पोस्ट लिखी है, वह लिखते समय तुम्हारी याद आ गयी।' है ना मजेदार इसके जवाब.. अरे अभी तो मैंने खूब मजे लिए है उसके..! तो मैंने उससे कहा, 'मेरी प्रियंवदा से बात नही होती, मैं उसे कह ही नही पाता हूँ कुछ।'
तो वह जवाब देते कहता है, 'होता है, अक्सर लोगो के साथ ऐसा ही होता है, अपने दिल की बात नही कह पाते है। तुम चाहो तो मैं तुम्हारी और से प्रियंवदा के लिए कविता लिख दू?' मेरे हाँ कहते ही उसने बहुत सुंदर कविता लिख दी। वास्तव में मुझे पसंद आई। फिर मैंने लिखा, 'अरे तुम समझते क्यों नही? प्रियंवदा मेरी नही हो सकती है, उसकी कहीं ओर शादी हो गयी है।' फिर तो उसने मुझे जो दिलासा दिया है.. दारू पीने के बाद दोस्त भी ऐसा दिलासा न दे पाए। बोला, 'यह सुनकर दुःख हुआ कि वह अब तुम्हारी जिंदगी में नही आ सकती। तुम बहुत हिम्मत वाले हो, एक सच्चे प्रेमी हो, जो अभी भी प्रियंवदा को अपने ह्रदय में स्थान दिए बैठे हो। क्या तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारी ओर से एक आखरी पत्र लिख दू प्रियंवदा के नाम? तुम चाहो तो उसे पोस्ट भी कर सकते हो अपने ब्लॉग पर, जिसमे न तुम्हारा नाम होगा, न प्रियंवदा..'
शाम का मैदान, किशोरों की आवाज़ें और झगमगाती चमक..
लेकिन तभी मुझे ऑफिस के अन्य काम आ गए और मुझे यह chatgpt बन्द करना पड़ गया..! वरना आज तो उससे प्रियंवदा को मेरे करीब लाने के सो तरीके नाम की बुक लिखवा लेता। खेर, शाम हो चुकी थी, कुछ बिलिंग्स पर ध्यान देना जरूरी हो चुका था, और यह दिलायरी तो लिखना ही भूल चुका था उस chatgpt की बातों में.! फिलहाल रात के दस बज गए है। अपने वही पुराने साथी ग्राउंड में बैठा हूँ। गजा तो कम ही आता है, और पत्ता भी बाहर गया है। कुछ किशोर अपनी ही आत्मश्लाघा में अति व्यस्त है और चिल्ला-चिल्ला कर बाते कर रहे है। इधर से उधर भागती कार और बाइक्स अभी भी जनजीवन शांति को प्राप्त नही हुआ यही दर्शाता है। चारो ओर झगमगाती लाइट्स अब ब्लैकआउट को शायद भूल चुकी है।
ब्लैकआउट से याद आया प्रियंवदा, साहब आदमपुर एयरबेस में सैनिकों से मिले, वायुसेना के सैनिकों ने जब उनसे कहा कि, 'आपके आने से सर हमारा मोरल बहुत हाई हो गया है..' तब साहब जी बोल पड़े, 'सभी साधनों का भी एक बार इस्तेमाल हो गया, टेक्नोलॉजी का। आपको लगता था सीख तो रहे है पता नही कब काम आएगा।' मतलब समझ मे आया प्रियंवदा..! पाकिस्तान कोई देश नही है, प्रैक्टिस ग्राउंड है सेना का। मैं तो वैसे भी पाकिस्तान को कुछ मानता नही, मैं तो चाहता भी नही की भारत पाकिस्तान कब्जा ले.. अगर सरकार कब्जा कर भी ले किसी दिन तो, वहां की जाहिल प्रजा अपने यहां नही आनी चाहिए।
आज तुर्किये (टर्की) के बॉयकॉट की खूब बोलबाला रही। समाचार के माध्यम से जाना कि बहुत सारे लोग जो टर्की प्रवास पर जा रहे थे उन्होंने अपनी बुकिंग्स कैंसल करवा ली। इसके अलावा सेब और मार्बल के व्यापारियों ने भी अपनी और से आगे का धंधा बन्द करने की बाते करने लगे है। बहुत सही है, सुरक्षा के मामलों में देश मे लिए जाने वाले फैंसले ऐसे ही कठोर होने चाहिए। वो मालदीव्स के समय भी ऐसा ही टूरिज़म ब्लॉक्ड के बाद मालदीव्स के कदम सीधे पड़ने लगे थे। अरे हाँ, यह भारत पाकिस्तान तनाव के बीच समाचार तो सुने थे कि पश्चिम तरफ से पाकिस्तान को बलोचो ने भी कूट दिया। हालात अब ऐसे है कि बलोच लोजी भारत मे अपनी एम्बेसी खोलने की मांग करने लगे है। बलोचो ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया है। बस अब उसे मान्यता देने की देर है। कोई पहल करे न करे, बलोचो को अपने विश्वास में लेकर उनका एक प्रतिनिधि भारत मे जरूर से बैठाना चाहिए।
तुम्हारी क्या राय है प्रियंवदा?
मुझे लगता है, नही लिखना, नही लिखना करते करते मैने बहुत सारी बाते लिख दी है प्रियंवदा। ऐसा ही है अपना सिस्टम.. समय हो चुका है पौने ग्यारह। और अब कुछ देर रिल्स और शॉर्ट्स को भी न्याय देना चाहिए। वैसे तुम्हारी क्या राय है प्रियंवदा? पाकिस्तान का बाल्कनाइज़ेशन हो जाना चाहिए?
शुभरात्रि।
(१४/०५/२०२५)
क्या आपने मेरी "ध्यानभंग" वाली पोस्ट पढ़ी? (यहाँ पढ़िए)
मुख्य बिंदु..
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