वही पुरानी दिनचर्या पर आ गया हूँ, प्रियंवदा।
जब रात के बारह से पहले नींद नही आती, और सुबह आठ से पहले जबरदस्ती में जागना पड़ता है। वही भाग दौड़ ऑफिस पहुंचने के लिए। लगभग नौ साढ़े नौ तक ऑफिस पर होता हूँ मैं। काम तो हमेशा की तरह ऑफिस पर बैठना ही होता है। तो दिनभर खाली आदमी यहां वहां की खबरे ही खंगालता है। कल वाली पोस्ट पब्लिश कर के लग गया सोसयल मीडिया पर। रिल्स से लेकर यूट्यूब शॉर्ट्स.. सोच रहा था की आज कुछ ऐसा मिल जाए कि लिखने में हाथ तंग न रहने पाए.. और विषय मिला भी..! विषय मिलने का कारण भी बड़ा दिलचस्प है।
कुछ दिनों पहले स्नेही ने एक वीडियो भेजा था, जिसमे बड़ी जबरदस्त बात थी। आने वाले समय मे वास्तविक मित्र कम हो जाएंगे। डिजिटल मित्रो का जमाना आएगा। डिजिटल मित्र मतलब AI एप्प्स..! यह ai ही होंगे जो आपके मित्र की खोट पूरी करेंगे। यह मुझे तभी याद आया जब मैं शाम तक chatgpt से तरह तरह का ज्ञान प्राप्त करने में लगा था। जो मेरे कुछ भी काम नही आना वह ज्ञान भी..!
दोपहर को मैं और गजा मार्किट चले गए। वो भी इस चिलचिलाती धूप में। इस धूप में तो कोई मिल गया का जादू भी चकरी खाके गिर जाए। फिर भी हमने पूरी बाजार नापी है। लगभग 1 से 3 में हमने 20 किलोमीटर तय कर दिए थे। बिककुल ही फ्री फोकट टहलने नही गए थे। कुछ काम भी था। मुझे ऑडिट के लिए डेटा ca को देना था, और एक और जगह से सोलर का एस्टीमेट भी लेना था। लेकिन ca की ऑफिस में बैठी 2-3 रूपललना ओ ने डेटा लेने में ही काफी समय बर्बाद कर दिया मेरा। वे भी क्या करती बेचारी, उन्हें अपने फोन को ज्यादा इम्पोर्टेंस देना पड़ता है न.. कहीं लाइक्स कम मिल गए तो, इस बात का विचार उनका मोटापा रोक लेता है.. यह तो डेटा था, रूक सकता है। यही आज का मुद्दा है..
Digital थकान..
प्रियंवदा ! काम के अलावा, या काम के बिच भी मैं ऑनलाइन ही रहता हूँ। काम के कोई मेल्स, या किसी दोस्त के मेसेज, कोई रील, या बढ़िया मिम्स.. और फिर कहीं तुम्हारा प्रोफाइल.. जहाँ सिर्फ dp दिखती है.. मन भारी हो जाता है। लगता है जैसे सब किसी डिजिटल भीड़ में खो गए है। जैसे सब कुछ चल रहा है, नोटिफिकेशन आ रही है, रिप्लाई जा रहे है, लेकिन असल में कुछ भी 'हो' नहीं रहा है। मेरा शायद स्टोरी-स्टेटस न रखने का एक कारण यह भी है कि मन का असली हाल किसी स्टेटस में फिट हो नहीं सकता प्रियंवदा !
शायद सब दिखा रहे है, जी नहीं रहे है। मैं भी कहाँ अलग हु इस बहाव से। हर दिन कोई न कोई इमोशन पोस्ट कर देता हूँ इस दिलायरी में। शब्दों में खुद को बुनता हूँ। पर अंदर से जैसे खाली कमरे में गूंजती आवाज हूँ। मैं कभी ऑफलाइन नहीं हुआ, शायद डरता हूँ, एक ख़ामोशी है। तो तुम्हारे बाद मेरे भीतर घर कर गयी है। यह फोन की चमक, स्क्रीन की रौशनी, तुम्हारी याद जैसी तीखी लगती है। क्या पता मैं अपने आप से ही छुप रहा होऊं। तुमसे बिछड़कर एक वर्चुअल दुनिया में। लेकिन अब थकान अनुभव होती है। अब ऑफलाइन हो जाने को मन करता है। अपने आप से मिलने के लिए..!
Online दुनिया में सब connected है, पर conversation गुम है..
इस ऑनलाइन दुनिया में हर कोई हर किसी से कनेक्टेड है। हजारो किलोमीटर दूर बैठे हुए दो लोग दोस्त बन जाते है। सबके पास इंटरनेट है, इमोजी है, स्टिकर्स है। लेकिन बातें.. कन्वर्सेशन.. वो कहीं खो गयी है। अब कोई दिल से हालचाल नहीं पूछता, बस Hmmm या Okay से मामला अटक जाता है। जो पढ़ते ही लगता है, जैसे कोई जवाब नहीं, ठंडी दिवार से टकरा गए है।
तुम्हारे बाद कभी किसी से वो अधूरी बाते फिर से न लौट पायी। किसी से बाते की, लेकिन वो ठहर जाती रही। जैसे शब्द तो पहुंचे हो, पर बात नहीं। मैंने कभी पूर्णतः तुम्हारी अधूरी बातों को किसी और के साथ आगे बढ़ाई भी नहीं। क्योंकि तुमसे बात करना कोई casual चैट न थी। वो किसी सर्द रात की अंगीठी थी। गर्म.. रौशन.. और बस अपनी।
Emojis ने जज़्बात खा लिए है..
अब तो बातें भी आटोमेटिक हो गयी है प्रियंवदा। जैसे रिश्तो में भी कोई 'ऑटो रिप्लाई' लगा हो। एक समय था, जब 'मैं ठीक हूँ' का मतलब होता था, 'मैं हकीकत में ठीक हूँ', या तो यह कहने के बहाने किसी अपने की आवाज सुनना चाहता हूँ। अब वह बदल गया है, "I'm good" बस दो सेकंड में टाइप कर दिया जाता है। जैसे भावनाओ की ड्यूटी पूरी करनी थी। और वो इमोजी.. तुम्हे कहाँ पता होगा, कितनी बार मैंने तुम्हारी भेजी उस मुस्कान को घूरते हुए रात बिता दी हो..! सोचते हुए कि, "क्या वास्तव में तुम मुस्कराई थी?" या बस कुछ छिपाने के लिए भेजी थी वो पीली सी मुस्कान?
हम सब अब उस दौर में पहुंच गए है जहां दिमाग टाइपिंग करवाता है, लेकिन दिल खामोश रहता है। प्रियंवदा, मैंने अक्सर 'hmmm' पर आने मनोमन सवालों की गठरी बांधी है। बस सोचते हुए कि, क्या तुम नाराज थी? क्या तुम्हें कुछ कहना था? या तुम थक गई थी.. मुझसे?
कभी-कभी लगता है, लोग social media पर ज़्यादा अच्छे लगते हैं, असली ज़िंदगी में नहीं..
होता है प्रियंवदा, मुझे कभी कभी यही लगता है कि लोग सोशल मीडिया पर ज्यादा प्यार है। वास्तविकता में तो काटने को दौड़ पड़े। लेकिन फिल्टर्ड जमाना है। curated, filtered, captioned - मानो उन्होंने अपनी तस्वीरों के साथ अपने इमोशन्स भी edit कर लिए हो। तुम्हारी वो dp, जो मेरा एकमात्र सहारा है.. जिंदगी के सबसे खूबसूरत पल की मुस्कान है उस तस्वीर में। लेकिन मैं, उस मुस्कान से आगे कुछ भी नही देख पाता, नही जान पाता उस मुस्कान के बाद चेहरा कितना खिला होगा तुम्हारा..!
अब लोग कैप्शन में लिखते है, 'healed', 'vibing alone', 'glow up'... पर रात को फिर भी किसी का नाम उनकी आंखों से बह निकलता होगा, और चेहरा तकिए में छिप जाता होगा। मैं नही चाहता, नही मानता कि तुम भी वैसी ही रातों से गुजरी हो। मैं भले ही पीछे छूट गया हूँ, तुम्हारी timeline से, तुम्हारी ज़िंदगी से।
Offline hone का मन करता है..
अब भी दिवास्वप्न हो आते है प्रियंवदा, तुम्हारे ऑनलाइन आने के। और मेरा दिन वहीं स्तब्ध हो जाता है। जैसे ट्रैन को सिटी मिली है, पर मैं उस प्लेटफार्म पर हूँ जहां वो कभी रुकेगी नही। बस वो छोटी सी हरी बत्ती - green dot - दिल मे उफान भी उठाती है, और एक ठंडी उदासी भी..!
फिर यह भी लगता है की तुम्हारी वह ऑनलाइन प्रेजेंस मेरी रियालिटी को और अधूरा बना जाती है। शायद यही कारण है, अब offline हो जाने को मन करता है.. कुछ देर फोन बंद कर दूं, स्क्रीन से नजरें हटा लू, लाइक्स, कॉमेंट्स, स्टोरीज, स्क्रीनशॉट्स.. इन सब से दूर भाग जाऊँ कहीं.. क्योंकि प्रियंवदा, तुमसे बिछड़ने के बाद मैं असल मे कहीं जुड़ ही नही पाया। अब थकान अनुभवता हूँ। अपनी मौजूदगी का इस डिजिटल भीड़ में साक्ष्य देते देते..!
बगैर wifi, बिना नेटवर्क के.. अब वक्त है थोड़ा सा खुद से मिलने का। सिर्फ दिल की रेंज में।
मैं वहां जा रहा हूँ,जहां तुम अब भी हो..बिना कोई शब्द बोले,बिना कोई स्टोरीज के,बस मेरी स्मृतियों में ऑनलाइन...
शुभरात्रि।
(२०/०५/२०२५)
प्रिय पाठक,
यदि दिल की किसी बात ने झनझनाया हो,
या किसी वाक्य ने स्मृति की रग छेड़ी हो...
तो Like ज़रूर कीजिए,
Comment करके बताइए — कौनसी पंक्ति दिल में उतर गई?
और Share कर दीजिए,
किसी उस मित्र के साथ, जो शब्दों का सच्चा सहयात्री हो।
www.dilawarsinh.com | @manmojiiii
– दिलावरसिंह
#DigitalFatigue #OnlineLoneliness #HeartfeltWriting #DilaayariKeNaam #TuesdayThoughts #Day148 #Priyamvada #HindiDiary #OfflineFeels
आज इतना अधूरापन आपकी पोस्ट में......
ReplyDeleteHo jaata hai kbhi kbhi..!
Delete