बरसात, सपने और सरफिरा: एक दफ्तर की थकान में लिखी दिलायरी || दिलायरी : १८/०६/२०२५

0

बरसात, सपने और ऑफिस की दास्तान: प्रियंवदा को लिखी एक दिलायरी



जब कम्पनी ने पगार वसूली: दफ्तर की एक आम दोपहर

    आज कम्पनी ने मेरा पगार वसूला है प्रियंवदा ! दोपहर से शाम कब हुई है कुछ नही पता। लगातार थोथे से कैलकुलेटर, और कैलकुलेटर से कलम.. इन तीनो ने अंक ही बोए है। बारिश बरस चुकी है न, इस कारण। बारिश के बाद खेती में बीज बोए जाते है। नफा-नुकसान तो बाद की बात है। सुबह सुबह ऑफिस पहुंचकर आज तो दिलायरी लिखी है। कल कहाँ लिख पाया था? मुअनजोदड़ो पढ़ते पढ़ते सो गया था। उधर ओम जी लाड़काणा पहुंचे, इधर में सपनो में। अरे यह सपने तो लिख दिए, वास्तव में मुझे स्वप्न आते ही नही। हाँ, कभी जागने के बाद कुछ देर और पड़ा रहूं तो कुछ कुछ यादगिरी बन जाती है।


Déjà vu या अनुभव जो दोहराए लगते हैं

    या तो मुझे सपने आते ही नही है, या फिर याद नही रहते। क्योंकि कई बार ऐसा भी होता है कि कुछ काम करते हुए अचानक से यह अनुभूति होती है, कि यह तो मैं पहले कर चुका हूँ, या इस काम को करते हुए मैंने अपने आप को सपने में देखा था। इस प्रसंग के लिए अंग्रेजी में एक अच्छा शब्द है, जो मुझे अभी याद नही आ रहा। बहुतों के साथ होता है ऐसा, जैसे सपना वास्तविकता में उतर आया। वो कुछ सेकंड या मिली सेकंड बड़ी रोमांचकारी होती है। कभी कभी कुछ नए लोग मिलते है, तब भी यह लगता है, जैसे यह तो सपने में देखा था। पता नही, मतिभ्रम है, या कुछ और..! लेकिन होता है। 


बारिश के बाद कीचड़ के फूल और कर्मठ साहब के हाइवे

    प्रियंवदा ! बरसात ने चारों ओर अपने चमन खिलाए है। कीचड़ के चमन..! जहां नजर पड़े, हाइवे.. कर्मठ साहब के हाइवे, वैसे तो पेचवर्क कर दिया गया था, लेकिन तब भी, छोटे छोटे गढ्ढे जन्म चुके है। अब धीरे धीरे बड़े होंगे। और फिर एक और वर्षा होगी, गढ्ढे पानी मे गरकाव होंगे, और लोग धड़ाधड़ गिरेंगे। धोखा हो जाता है न, पानी में क्या है वह हमारी आंखे देख नही पाती। जैसे अभी अभी एक धोखा हुआ। जिओ हॉटस्टार पर सरफिरा देख रहा था, तभी नोटिफिकेशन आयी, सब्सक्रिप्शन लो, वरना देख नही पाओगे। बड़ी मजेदार कहानी है। है तो साउथ की ही कॉपी, लेकिन इसमें थोड़े अपने पुराने चावल है।


थकान, नींद और किताबें जो समय मांगती हैं

    क्या लिखा जाए और तो प्रियंवदा ! आज कोई बात समझ नही आ रही है। वर्षा की ठंडक और गर्मी के बीच यह जो संधि है, वह उतनी अच्छी नही है जितना कोई एक पक्ष हो। जैसे गठबंधन उतना अच्छा नही, जितना एक पक्षीय सरकार हो। गठबंधन के कारण दोनो में से कोई भी, एक स्पष्ट निर्णय नही दे पाता। वैसे आज भी वह बुक पढ़ने का समय नही मिल पाया। क्योंकि अभी समय हो चुका ग्यारह और नींद घेरने लगी है। दिनभर ऑफिस में भरपूर नौकरी की है। बैठे बैठे ही सही, लेकिन दिमागी काम मे भी थकान तो महसूस होती है। जैसे शारीरिक श्रम में होती है।


शुभरात्रि।

(१८/०६/२०२५)

***

"क्या आपके भी सपने याद नहीं रहते?
या कभी किसी मोड़ पर लगा कि यह सब पहले भी जी चुके हैं?

***

#Dilayari #BarishDiaries #OfficeLife #DreamsAndReality #SarfiraReview #RainyThoughts #DesiDiary #HindiBlog

***

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)