"इंस्पेक्टर अविनाश वेब सीरीज़: शॉर्ट्स से शुरू हुई ये लंबी सिनेमाई शाम" || दिलायरी : 09/07/2025

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दिन की शुरुआत और शॉर्ट्स की चुगली

Inspector Avinash dekhte Dilawarsinh..!

    प्रियंवदा ! दिनभर आज तो एक वेब सीरीज़ देखता रहा हूँ। 'इंस्पेक्टर अविनाश'..! अब क्या बताऊँ तुम्हे यार, यह जो यूट्यूब का शॉर्ट्स सेक्शन है न, बड़ा ही चुगली बाज़ है। मतलब इसकी चुगली की आज तो हद्द ही हो गयी। सवेरे ऑफिस आया, वही नियत नौ बजे। और लगा अपनी कल वाली पोस्ट को शेयर करने। पढ़ी की नहीं? जरा मेहरबान होइए।(यहाँ पढ़िए) तो ऐसा है, यूट्यूब के शॉर्ट्स में एक ही फार्मूला काम करता है। अगर आपने कोई विडिओ एकाध बार देख लिया, फिर उसी से मिलता झूलता एक और देख लिया, तब तो यह लाइन लगा देता है, उसी टॉपिक की। 


'इंस्पेक्टर अविनाश' से पहली मुलाक़ात

    २-३ दिन से, सतत इंस्पेक्टर अविनाश वेब सीरीज़ के शॉर्ट्स मेरे फीड में आ रहे थे। उनका यही इंटरेस्ट होता है, कि कैसी किसी आदमी का समय खाना। तो शॉर्ट्स देखने के कारण मैंने भी वेब सीरीज़ का नाम खोजा..! अब सर्च करते ही यूट्यूब ने पूरी की पूरी सीरीज़ मेरे सामने रख दी। मैं तो आज वो बुक पढ़ने वाला था। राहुल सांकृत्यायन की यात्रा वाली.. लेकिन यह तो रसास्वाद की बात है प्रियंवदा। मन लग गया तो लग गया। फिर वो कहाँ उखड़ने वाला ठहरा? लगभग साढ़े पांच घंटे की पूरी सीरीज़ आज ही ख़त्म कर दी। 


रणदीप हूडा और बाकी कलाकारों का अभिनय

    ऐसा नहीं है, कि मुझे ऑफिस पर कुछ भी काम ही नहीं था। काम तो बहुत थे। पर कोई ऐसा काम नहीं था, जो मुझे यह देखने से रोक पाए। वैसे है तो सत्य घटना पर आधारित। लेकिन अपने को सत्य पता नहीं है। तो बस फिल्म देखने के ही दृष्टिकोण से देखी है। लगता है, इसका सीजन 2 भी आएगा। क्योंकि लास्ट में एक अनसॉल्व मैटर छोड़ दी है। खेर, अभिनय की बात करें, तो रणदीप हूडा ने हमेशा की तरह, कमाल किया है। मुझे बड़ा पसंद आया। कैरेक्टर भी क्या खूब है। और दिग्दर्शन भी। 


मारकाट, गाली-गलौज और शोणित का संसार

    वो अभिमन्यु सिंह ने तो इसमें अर्धनारी का रॉल किया है। और क्या बढ़िया निभाया भी है। काफी सीन्स ऐसे भी थे, जहाँ एक लॉन्ग कट मारकर, देखने वाले के लिए खुद की कल्पनाओं पर जोर डालना छोड़ा है। मारकाट और गाली-गलौज में कोई कमी छोड़ी नहीं है। और शोणित-धारा बहाने में भी। कुछ सीन्स बड़े बीभत्स है। और गृहमंत्री जी भी हद्द ही कर रहे है इस वेब सीरीज़ में। बाली बने है आखिर में। ओवरॉल मैंने इस साढ़े पांच घंटे की व्यस्तता पर यह जरूर अनुभव किया है, कि इतना समय व्यर्थ तो नहीं ही गया है। उल्टा बड़ा मजेदार बीता। 


ऑफिस का काम और बेमन का मन

    दोपहर को ककड़ी आरोगकर मार्किट गए। भारी ट्रैफिक था। और हाँ, बादल लोग बोरिया-बिस्तरा बांधे पूर्व की और प्रस्थान करते दिखे थे। आसमान के समस्त समरांगण पर सूर्यदेव ने पुनः अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया। बारिश न होने से, और सूर्य देव की कृपा से, रोड पर सूखापन लौट आया। लेकिन साथ ही साथ वायुदेव ने मस्ती में आकर क्या धुल उड़ाई है। जरुरी काम न होता, तो आज ट्रको के टायरो में परिभ्रमण की हुई, धूल से स्नान करने की मेरी कोई मंशा न थी। लेकिन आँखों ने सुरमा के बदले धुल आंजकर हम फिर भी मार्किट गए। काम निपटाकर सकुशल लौट भी आए। 


शाम का सिनेमाई सिलसिला

    मार्केट से लौटकर मैं तो फिर से अपनी उस वेब सीरीज़ में लग गया। और शाम होते होते याद आया, एक और फिल्म की खूब तारीफें सुनी है, तो लगे हाथ उसे भी देख ली जाए। अब यह इंस्पेक्टर अविनाश पूरी होते होते फोन की बैटरी भी हिचकियाँ लेने लगी, और समय भी हो चूका था साढ़े सात। तो तय हुआ वो दूसरी वाली को कल न्याय दिया जाएगा। ठीक है फिर, आज की शाम तो ढल गयी। आज इतना ही था। बाकी कल की कल हां..!


    शुभरात्रि।

    (०९/०७/२०२५)

|| अस्तु ||

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– दिलावरसिंह


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