दिल और दिमाग की बात || Mind vs Heart || दिलायरी : ०६/०५/२०२५

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दिल और दिमाग का टकराव..

प्रियंवदा ! पृथ्वी पर ऐसा कोई होगा भी जिसके भीतर दिल और दिमाग का टकराव न हुआ हो? मुझ जैसे मतिभ्रम के शिकार तो अक्सर इस टकराव की मध्यस्थि करने को उतावले हो जाते है.. बहुत बार ऐसा होता है कि दिल की सुनें या दिमाग की। यह दोनो ही एक पक्ष में बैठे हो ऐसा बहुत कम होता है। और मैं अगर अपनी ही बात करूं तो मेरे साथ तो दिल से लिया गया निर्णय भी गलत साबित हुआ है, और दिमाग से लिये निर्णय भी.. 


Dil-o-dimaaag ko bdi najdeek se nihaarte Dilawarsinh..

जनरल चेकप था..

प्रियंवदा ! लाइट माने इलेक्ट्रिसिटी एक मात्र ऐसी चीज है जो आपके घर मे आपकी ही अनुमति के बगैर आ-जा सकती है..! कल रात भी कुछ ऐसी ही बीती.. बाहर बारिश चल रही थी, तो घर मे सोना पड़ा.. इन्वर्टर पर पंखे चल पड़े यही मेरे लिए सोने पर सुहागा था। वैसे मौसम ठंडा हो गया था लेकिन रात के करीब दो बजे नींद टूटी, कारण गर्मी..! लेकिन सुबह तक फिर से नींद आ ही गयी। सवेरे सात बजे जागकर साढ़े आठ को तो तैयार हो गया था। सीधे गया जगन्नाथ.. दर्शन करके फिर दुकान.. एकाध धूम्रदण्डिका और मावा का रसास्वाद लेकर कुँवरुभा को लेकर अस्पताल। ऑपरेशन के बाद जनरल चेकप था। वैसे तो बिल्कुल सही हो चुके है, लेकिन कुछ परहेजी चालू थी, वे भी अब खत्म हुई..! 


दिल और दिमाग के उत्पात..

लगभग ग्यारह बजे ऑफिस था। आज फिर से बुधे ने बहुत दिमाग खाया मेरा। कल चली आंधी में लेबर क्वार्टर के पतरो में थोड़ा नुकसान हुआ है। नए पतरे लगवाने पड़ेंगे। बुधा बड़ी बेवकूफियां करता है। उसे तीन चार जगहों से भाव निकलवाने को कहा। बड़े विचित्र विचित्र भाव ले आया.. अब उसपर गुस्सा क्यों न करूँ मैं? एक ही आइटम के भाव मे, और ट्रांसपोर्टेशन में जमीनआसमान का भेद हो सकता है भला? दिमाग तुरंत कहता है बुधा घापची (cut) मार रहा है, दिल कहता है कि बेचारा गरीब है, पगार भी काफी कम है, कम्पनी को सो-दोसो में कोई फर्क पड़ना नही है.. बताओ, एक तरफ नीति है, एक तरफ दया.. मैं हमेशा से ऐसे ही धर्मसंकट में फंसता हूँ। और फिर दया हावी हो जाती है और अनीति कर बैठता हूँ। पाप लगे तो भले लगे, आदमी का उत्थान जरूरी है।


पुरानी बाइक बेच दी..

दोपहर को गजे की पुरानी वाली मोटरसायकल बेचनी थी, तो हम मार्किट चले गए। मुझे कभी भी मोलभाव करना नही आता, मैं उल्टा गजे के भरोसे रहता हूं, और आज यह मुझे अपने हौंसले के लिए ले गया.. पहले ऑटो एडवाइजर के पास गए, मेरा और गजे का आपस मे ही तालमेल न बना, खरीदार ने भाव पूछा तो मैंने पैंतीस कहा, गजे ने अड़तीस..! लेकिन अगला तो इकतीस की आशा मन मे लिए बैठा था। वहां बात न बनी। हम दूसरी जगह गए। सिंधी था, दोपहर का टाइम था, जरूर खा-पीकर बैठा होगा, बाइक दिखाई, उसने ढेर सारे खर्चे के नाम पर भाव गिराने की कोशिश की, और सीधे सत्ताईस पर खड़ा हो गया.. मैंने गजे से कहा, इसे भूख नही है..! जल्दी निकल यहां से। तीसरी जगह गए.. यह भी सिंधी था, लेकिन भूखा था.. इसने भी पूरी बाइक चेक की.. खर्चे गिनवाए.. और उनतीस पर रूक गया। 


व्यापारियों की गंदी आदत होती है बातों में उलझाकर, इमोशनली, नुकसान बताकर, मोलभाव करने की..! मुझे यह सब नही आता। मैंने सीधे ही कहा, मुझे इसके पैंतीस चाहिए, हाँ या ना में बात करो..! उसने सीधे ही बोला, 'बापु हो?' बताओ, हम लोग तो बात करने भर में पकड़े जाते है, प्रियंवदा ! मैंने थोड़े कड़क रुआब से कहा कि, 'हाँ या ना कर दो जल्दी से ताकि हम आगे बढ़े।' और मैंने अपनी बाइक को सेल लगाया। अब अगला कमजौर होने के प्रमाण बांटने लगा। बोला, 'अरे बापु ! इसमें मुझे यह लगवाना पड़ेगा, वो लगवाना पड़ेगा, यहां कलर करवाना पड़ेगा, यहां जंग पकड़ गयी है बाइक, मेरा घाटा हो जाएगा..' वगेरह वगेरह..! मैंने अपनी बाइक आगे बढ़ाई, तब उसने भी थोड़ा भाव बढ़ाया। आखिरकार तेंतीस में सौदा डन हुआ। दिल तो कह रहा रहा कि अभी इसे और खींचा जा सकता है, लेकिन दिमाग कह रहा था कि गजा इतने में भी संतुष्ट दिख रहा है.. गजे की मर्जी, उसकी बाइक.. हालांकि वह तो और असमंजस में था। 


एक और दिल-दिमाग का द्वंद्व..

शाम होते होते एक और दिल-दिमाग के द्वंद्व में फंस गया.. दिल कह रहा था कि अपने ब्लॉग पर सारे पोस्ट्स seo के लिए अपडेट करूँ। लेकिन दिमाग कह रहा था कि पुराने पाँचसौ से ज्यादा पोस्ट्स ऐसे ही रहने दूँ और अब आगे जो नए पोस्ट्स है उनमें नियमानुसार आगे बढ़ता रहूं। दिल चाहता था कि सारा ही ब्लॉग एक जैसा दिखे, भेदभाव न लगे नया पुराना सा। दिमाग कह रहा था यह सब फालतू मेहनत है। और वैसे भी पाँचसौ से ज्यादा पोस्ट्स अपडेट करने में ही कितना समय चला जाएगा..! लेकिन मैंने दिल की सुनते हुए पुरानी पोस्ट्स अपडेट करना शुरू कर दिया है। अंधेरा होने तक, अरे अंधेरा कहाँ, साढ़े आठ बजे तक बैठकर हो सके उतनी पोस्ट्स अपडेट की.. फिलहाल कुछ दिनों यही करने वाला हूँ। 


मॉकड्रिल, लगभग पचास सालो बाद..

घर जाते हुए रास्ते भर में मॉकड्रिल का समाचार सुना। भारत मे युद्ध के धोरण पर मॉकड्रिल होने वाली है कल। वो भी कुछ 50-54 सालों बाद। मुख्यतः रिहायसी इलाको में लोगो को सिखाया जाएगा कि हमले की स्थिति में सुरक्षित कैसे रहे, हवाई हमले की स्थिति में लोगो को सूचित करने के लिए सायरन वगेरह जांचे जाएंगे। रात्रि को ब्लैकआउट करने की प्रक्रिया समझायी जाएगी। ब्लैकआउट में तिल्ली भी नही जलानी होती है। मुख्य ठिकाने camaouflage किये जाएंगे, मतलब आसपास की प्रकृति के रंगों से ढक दिए जाएंगे। 


रात को घर पर भोजन कर रहा था तब आसमान में शेर दहाड़ रहा था। आज वैसे सरकारी मेसेज से सूचना भी आई है कि अगले 3 घंटो में 80-90 प्रति किमी की स्पीड से पवन फूंके जाएंगे, और बारिश होगी.. लेकिन फिलहाल आसमान साफ है, चंद्र भी दिख रहा है, और टिमटिमाते तारे-सितारे भी..! मैं और पत्ता ग्राउंड में कुछ देर बैठे और फिर घर चल पड़े। छत पर इतना बढिया ठंडा पवन आ रहा है प्रियंवदा कि ac की जरूरत नही लगती.. आज तो वैसे लाइट है, घर मे सो सकते है, लेकिन मेरी इच्छा छत पर सोने की ही है। वैसे मुझे इस युद्ध की तंगदिली भरी स्थिति में भी दिल और दिमाग के युद्ध मे फंसा हुआ हूँ।


पाकिस्तान का जाएगा क्या?..

एक तरफ यह ख्याल बना हुआ है कि एक बार पाकिस्तान पर एक बड़ी चोट करनी जरूरी है। लेकिन दूसरी तरफ यह ख्याल भी तुरंत आता है कि पाकिस्तान से अगर युद्ध हो जाए तो पाकिस्तान का जाएगा क्या? वो तो पहले ही कंगाल है, सुना है चार दिन की लढत जितने ही हथियार है उसके पास। और अपने तो हर तरीके से नुकसान है प्रियंवदा। देश की आर्थिक स्थिति को चोट पहुंचेगी। विदेशी निवेश कुछ समय के लिए रुक जाएगा। सबसे बड़ी बात सैन्यबल में भी तो गिरावट आएगी.. और अपने तो तीन तरफा युद्ध होता है। पाकिस्तान और चीन तो था ही, आजकल बांग्लादेश भी अपनी कुदृष्टि सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर लगाए बैठा है। बताओ, पोता दादाजी की उंगली पकड़ने के बजाए गला पकड़ने की कोशिश कर रहा है। एक रील में डायलॉग सुना था, बड़ा सही लगा था तो यहां चिपका रहा हूं कि, पाकिस्तान बार बार प्रेग्नेंट होता है, पिछली बार 1971 मे सीज़ेरियन ऑपरेशन से बांग्लादेश के जन्म हुआ था। इस बार फिर से प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉज़िटिव आया है उसका, देखते है POK का जन्म होता है या बलोचिस्तान का, या फिर जुड़वा? 


देखो इंशोर्ट दिमाग तो कह रहा है कि, पाकिस्तान को एकबार फिर सबक याद दिलाने का समय आ गया है कि, 'बेटा ! बाप बाप होता है।' लेकिन दिमाग कहता है कि छोड़ ना यार, काहे को युद्ध मे पड़ना है। उसकी जमीन कब्जा लेंगे तो साथ मे उसके अनपढ़ लोगो को भी तो अपने यहां लेने पड़ेंगे। और वो पाकिस्तानी जाहिल कौम तो आलू छिलने के काम भी नही आ सकती। दिमाग कह रहा है कि कम से कम अब pok तो वापिस ले ही लो, शाह ने भरी संसदसभा मे कहा था, 'जान दे देंगे इसके लिए, क्या बात करते हो।' और दिल कहता है कि गिलगित बाल्टिस्तान भी कहीं दूसरा कश्मीर जैसा सरदर्द न बन जाए, कब्जाने के बाद। यह दिल और दिमाग यहां भी एक पक्ष में नही आ रहे है।


दो गुजराती है..

क्योंकि दिल बदला भी चाहता है, और दिमाग शांति भी.. जब कि युद्ध के बिना चिरकाल की शांति प्राप्त नही होती। देखते है, मॉकड्रिल के क्या समाचार आते है। मेरे यहाँ से तो पाकिस्तान है भी बड़ा नजदीक..! और भी बाते है लेकिन लिख नही सकता। आसमान में अभी भी शेर दहाड़ रहा है। वैसे साहब जी ने एक बार आर्मी को ट्राय दी थी, दूसरी बार एयरफोर्स को, इस बार नेवी को मौका मिलेगा ऐसा लगता है। और भारतीय नेवी तो है भही बड़ी खतरनाख.. बड़ी जुगाड़ू भी है। 71 के युद्ध मे भारतीय नेवल वेसल्स ने एक दूसरे को खींचकर करांची तक की यात्रा की थी, और सात दिनों तक करांची को जलता रख आए थे। सारी दुनिया तब भी हैरान थी, और आज भी परेशान है कि भारत ने पहलगाम के इतने दिनों बाद भी कोई एक्शन क्यो नही लिया.. अरे वो दो गुजराती है, पहले सारा मोलभाव तय करेंगे, फिर सौदा बिठाएंगे। सबसे खास बात, इस समय कौन कौन खिलाफ जा रहा है उन्हें जरूर नजर में रखियेगा.. चीन और तुर्किये (टर्की)..


खेर, तुम तो यह बताओ प्रियंवदा की तुम्हारा सबसे यादगार दिल-दिमाग का द्वंद्व कौनसा है?


शुभरात्रि।

(०६/०५/२०२५)


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2Comments
  1. vah bhai, hm to abhi apni jindgi ki uljano ko suljane me lage he🤣

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    1. zindagi ki uljhan suljhaate hue pakistan bhi sulajh jaaega...🤣

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