भारत की डिजिटल निर्भरता: सोशल मीडिया, ईमेल, ऐप्स और आत्मनिर्भरता की ज़रूरत || दिलायरी : 15/09/2025

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खेल और देशभक्ति का टकराव

    हमने हैंडशेक नहीं किया.. पाकिस्तानी खिलाड़ियों से..! हममे एक स्पोर्ट्समैन स्पिरिट है, लेकिन साथ ही साथ देशभक्ति भी..! मैं नहीं कह रहा प्रियम्वदा, रीलिये जंतु जस्टिफिकेशन दे रहे है। सवेरे से तीन चार रील्स देखि.. जिसमे यही बात मुख्य थी, कि भारतीय खिलाड़ियों ने हस्तधूनन (हैंडशेक) नहीं किया। मतलब खाना खा लिया, मुखवास नहीं खाया। पहली बार वैसे बहुत सारे ऐसे प्रतिसाद भी मिले है, कि मैच ही नहीं देखेंगे। उससे क्या फर्क पड़ेगा..? मुझे यह गणित ही समझ नहीं आ रहा है।  पैसा बोलता है.. 


“भारत की डिजिटल निर्भरता: सोशल मीडिया, ऐप्स और ईमेल में विदेशी प्रभाव के बावजूद आत्मनिर्भरता की आवश्यकता”


राजनीति और ओवैसी का बयान

    असदुद्दीन ओवैसी अच्छा कद पा रहा है आजकल। सीधा बोलता है, यह दोगलापन है, कि यूँ तो दुश्मन देश है, लेकिन क्रिकेट में दुष्मनावट को एक तरफ रख दी जाए। वहां खेलदिली की भावना से खेल खेलना चाहिए। वैसे यह ओवैसी वही है, जो पंद्रह मिनिट को आज भी याद दिलाता है। लेकिन फ़िलहाल उसका जो कहना है, वह एकदम सही है। 


भारतीय सोशल मीडिया और उनके विकल्प

    प्रियम्वदा ! मुझे आजकल यह भी प्रश्न हो रहा है, कि जिस हिसाब से यह गधा-छाप पार्टी का प्रतिनिधि भारत पर टेरिफ और सेंक्शन लगाए जा रहा है। किसी दिन उस देश इन डिजिटल सेवाओं पर प्रतिबंद लग जाएगा, तो क्या होगा..? मैं यदि अपनी ही बात करूँ, तो सबसे पहला तो मेरा फ़ोन ही थम जाएगा। क्योंकि एंड्राइड गूगल का है, गूगल उसका है। हमारे पास अपना सोसियल मिडिया कौनसा है? koo था, लेकिन वह चला नहीं। moj है, लेकिन रील जितना पॉपुलर नहीं है। sharechat है, लेकिन यूजर कम है। 


सबसे बड़ा खतरा : अगर कल सब बंद हो जाए

    सोचिये, किसी दिन सवेरे उठे, और गूगल नहीं चल रहा। जीमेल पर आते बैंकिंग स्टेटमेंट्स नहीं आएँगे। व्हाट्सप्प और फेसबुक, इंस्टाग्राम यह सब ने अपनी भारत में सर्विसेज रोक दी है। कितना बड़ा कम्युनिकेशन गैप आ जाएगा..? यूटूबर अपनी इनकम खो देंगे। कितना बड़ा डिजिटल झटका लगेगा? मेरा यह ब्लॉग भी तो गूगल के ब्लॉगर पर है। भारत का अपना ईमेल सर्विस सिस्टम है कोई? reddifmail कौन चलाता है? मुझे भी नहीं पता था कि यह एक इंडियन कम्पनी है। हमारे पास व्हाट्सप्प का कोई विकल्प है? हैं न, 'सन्देश'.. लेकिन चलाता कौन है? facebook वाले sharechat पर क्यों शिफ्ट होंगे? कभी गूगल करना, यूट्यूब का कोई विकल्प है हमारे पास? अजीब अजीब नाम आते है, इंडियन है, लेकिन हम ही नहीं जानते। 


ईमेल और क्लाउड सर्विसेज

    क्लाउड सर्विसेज में JioCloud है, लेकिन वही बात है, बहुत कम यूजर है उसके पास भी। हम लोग प्यासे होने पर ही कुआ खोदेंगे। ईमेल आज बेसिक चीज हो गयी है डिजिटल दुनिया में। वह तो कम से कम भारतीय होना चाहिए। क्योंकि ईमेल - बैंकिंग से लेकर तमाम सोसियल मीडिया एप्प्स के लिए प्रारंभिक पहचान है। लेकिन हर जगह गूगल, माइक्रोसॉफ्ट ने कब्ज़ा रखी है। यह जिस पर मैं ब्लॉग लिख रहा हूँ, यह कंप्यूटर की ऑपरेटिंग सिस्टम भी भारतीय नहीं है। क्या होगा किसी दिन माइक्रोसॉफ्ट पर वह गधा-प्रतिनिधि दबाव बनाए, कि भारत से अपनी सर्विसेज लिमिटेड कर दो.. कितना कुछ रुक जाएगा..! 


सबसे बड़ा खतरा : अगर कल सब बंद हो जाए

    कोई भी भारतीय सर्च इंजन नहीं है। और न ही ऑपरेटिंग सिस्टम है (BharOS पता है?)। microchips और सेमीकंडक्टर्स पर अभी भी हमारे यहाँ हाँ / ना हो रही है। इ-कॉमर्स में हमारे पास Tata Neu, JioMart वगैरह है, लेकिन मैंने भी अपने पिछले कुछ ऑर्डर्स फ्लिपकार्ट से इस लिए मंगवाए, क्योंकि मुझे लगा था वह इंडियन ब्रांड है। लेकिन फ्लिपकार्ट भी अमरीकन वालमार्ट का हो चूका है। एक और महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जहाँ भारत है ही नहीं। एप्प स्टोर.. फ़ोन में इतने सारे ऍप्लिकेशन्स है, लेकिन उन्हें डाउनलोड करने के लिए प्लेस्टोर पर ही जाना पड़ता है। डिजिटल एडवरटाइजिंग के मामले में भी या तो गूगल एड्स, या मेटा एड्स.. भारतीय विकल्प है? और है तो पता नहीं। 


Operating System और App Store की कमी

    प्रधानमंत्री जी तो लालकिले से भाषण दे देते है, लेकिन इस क्षेत्र में आगे कौन कूदे? क्योंकि यहाँ तो मुँह की खाने वाला हाल है। ऊपर से हम भारतीय.. जहां तक सुई से काम चलता है, हम तलवार को म्यान ही रखते है। अभी तक तो सब सही चल ही रहा है, कहाँ जरूरत है भारतीयकरण करने की..! तजा उदहारण है, रशिया यूक्रेन युद्ध में रशिया से सभी अमरीकी कंपनियों ने अपना बोरिया बिस्तर भर लिया। हम तो upi पेमेंट्स में भी Gpay को पहचानते है। लेकिन जब जीमेल ही नहीं चलेगा, तो gpay कैसे होगा? एंड्राइड ही नहीं चलेगा तो फोन ही कैसा?


त्यौहारों की छाँव और जीवन का संतुलन

    खेर, आज सवेरे काफी देर से उठा था मैं। श्राद्ध महीना चल रहा है। खीर और पूरी। सवेरे नाश्ते में पूरी, दोपहर को लंच में एक और जगह श्राद्ध खाने गया, वहां भी खीर पूरी। एसिडिटी हो जाती है। और दिनभर डकारें चलती है। यह भी कुछ दिनों की बात है। फिर शुरू हो जाएगी नवरात्री। कितना सही सिस्टम है न। वर्षा ऋतु के आते ही त्यौहारों की भी बारिश हो जाती है। वैसे फ़िलहाल भादो चल रहा है। और भादो प्रसिद्द है अपनी तीक्ष्ण गर्मी के लिए। दिनभर कड़क धूप होती है, और रात को ठण्ड..! 


    सवेरे कुछ और ड्राफ्ट्स पोस्ट लिखकर रख दी है मैंने..! और काफी सारी हो चुकी है अब तो। और भी बढ़ती जा रही है। कभी कुछ पब्लिश करने को न होगा, उस दिन काम आएंगी। फ़िलहाल मेरा फोकस बना हुआ है छुट्टी लेने पर। दिवाली नजदीक आती जा रही है, और मैंने अभी तक छुट्टी के लिए कहा ही नहीं है सरदार से। एक कारण यह भी है, कि अब कम्पनी का भी भार मैं लिए चल रहा हूँ। दस दिन सरदार चला जाए तो चले, लेकिन मैं चला जाऊं तो मुझे यह डेस्कटॉप सेटप भी साथ लेकर जाना पड़े। किसी एक ही कम्पनी में जब आप बहुत पुराने हो जाते हो, तो यह हाल होता है। आप अपनी मनचाही नहीं कर सकते। 


    देखेंगे.. कुछ तो जुगाड़ निकाला जाए,
    फेंक जहाँ तक भाला जाए..!

    शुभरात्रि। 

    १५/०९/२०२५

|| अस्तु ||


प्रिय पाठक !

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