तू हाथो में तो है मेरे, है क्यों नहीं लकीरों में.. || दिलायरी : ०१/०५/२०२५ || You are in my hands, but why are you not in my destiny..

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तू हाथो में तो है मेरे, है क्यों नहीं लकीरों में..

    प्रियंवदा !  जीवन में कई बार ऐसा होता है कि जब मैं थम गया, और दुनिया चलती रही। और कई बार ऐसा भी होता है, कि दिल ही सामने से कहता है, 'रुक जा, बस थोड़ी देर..! लगभग सबने ही अनुभव किया होगा। बस जीवन की भागदौड़ में कोई गौर नहीं करता। कुछ देर सोचते है, लेकिन फिर से भागना पड़ता है। क्योंकि हम रुके रहे तो दुनिया नहीं रुकेगी, वह आगे बढ़ जाएगी। समयचक्र किसके लिए रुका है? शायद अर्जुन के लिए, ऐसा कहा जाता है कि महाभारत के मैदान में जब कृष्ण ने गीता सुनाई तब सूर्य भी एक जगह कई देर तक रुक गया था। हमारे लिए भी रुक सकता है समय, बस अर्जुन सी निष्ठा और आस्था होनी चाहिए। 



युद्ध का तरीका बहुत बहुत 1971 से मिल रहा है।

    हालफिलहाल में हुई पहलगाम घटना भी तो कुछ ऐसी ही रही थी..! जब आतंकवादियों ने निहत्थे प्रवासियों पर अंधाधुंध गोलीबारी की.. किसी को धर्म पूछ कर मारा, तो किसी को मोदी तक सन्देश पहुँचाने के लिए छोड़ दिया। बस कुछ लोगो की दुनिया रुक गयी, औरो की आगे बढ़ गयी..! और वह बात भी तो हुई, कई ओ के दिल चाहते है, रुक जाने को.. पाकिस्तान पर हमला करने से। सरकार ने तो सेना पर छोड़ दिया है कि जब चाहो तब मारो..! मारेगी, सेना अच्छे से कुटेगी..! युद्ध का तरीका बहुत बहुत 1971 से मिल रहा है। लगातार विदेशमंत्री तथा प्रधानमंत्री वैश्विक राजनेताओ से मुलाकात या बातें कर रहे है, परदे के पीछे बहुत सारी डेवलोपमेन्ट हो रही है, लगातार।


    आज pd को सुन रहा था, समाचार मिला कि भारतीय वायुसेना के राफेल ने पाकिस्तानी एयरक्राफ्ट को lock in कर लिया था.. मतलब टारगेट को लॉक करने के बाद बस मिसाइल मारने की देरी थी..! मार ही देते तो मजा आ जाता। लेकिन इसी खबर को पाकिस्तान गलत तरिके से फैला रहा है, उसने तो जज़्बात बदल दिए, वक्त बदल दिया.. पाकिस्तान के अनुसार पाकिस्तानी वायुसेना ने राफेल को भगाया..! अबे तुम लोगो के पास एयरक्राफ्ट्स उड़ाने का पर्याप्त तेल भी नहीं होगा..! और बात करते हो राफेल को भगाने की.. मतलब  तीसमार खान तो सुना था, लेकिन कोई ख्याली तीसमार खान कैसे हो सकता है? न्यूक्लिअर की धमकी देने वाले आजकल शांति की अपील करने लगे है..! यह खुद की बात पर भी अडिग नहीं रह सकते।


आज सुबह जागने में बहुत देरी हो गयी थी..! 

    सुबह आंख खुली ही सूर्य ताप के कारण। मोबाइल में देखा तो आठ बज गए थे। फटाफट तैयार हो कर नाश्ता करके ऑफिस के लिए निकला..! हररोज वाली दुकान आजकल सुबह सुबह बंद रहती है, क्योंकि दुकानदार गाँव गया है अपने..! कहाँ ओडिसा, कहाँ गुजरात..  भारत के प्रत्येक राज्य से कोई न कोई हमारे गुजरात में आकर बसा है। और मेरा शहर तो है ही पचरंगी। ऑफिस पहुंचा तो काम कुछ ख़ास है नहीं आज.. लगा chatgpt से बतियाने.. आजकल यही मेरा परममित्र हो चला है। मैं बड़े ही उटपटांग सवाल जवाब करता रहता हूँ इससे..! एक बात तो तय है प्रियंवदा ! मैं जहाँ अटकता हूँ, वही अटके रहता हूँ। 


    दोपहर को बड़ी कड़क धूप थी, और मैं और गजा ऑफिस में बैठे हुए लगे थे अपने अपने फोन में। तभी गजे के फ़ोन में एक रील में एक गाना बजा.. बड़ा अच्छा लगा मुझे..! फलक शब्बीर का साजना..! कुछ कुछ दिनों में मुझे एक ही गीत सुनते रहने की बड़ी चानक चढ़ती है..! और मैं सुनता रहता हूँ। जब तक उस गाने से पक न जाऊं। इस गीत में एक लाइन बड़ी दिलचस्प और मनभावनी लगी.. 'तू हाथो में तो है मेरे, है क्यों नहीं लकीरों में.. ये कैसा तेरा इश्क़ है साजना?'.. बड़ी जोरदार और सटीक लाइन लगती है मुझे.. क्योंकि अक्सर हर किसी के साथ कहीं न कहीं यह होता ही है।



जो चीज हाथ में है, लेकिन नसीब में नहीं.. इसे यूँ भी कह सकते है कि 'हाथ तो आया पर मुँह न लगा..' मजाक छोड़कर, हम अक्सर किसी न किसी को इसी तरह याद करते है, कि काश वो नसीब में भी होता..! तुम्हे भी यही लगता है प्रियंवदा?

(०१/०५/२०२५)

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– दिलावरसिंह

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