देव दीपावली और थकान का सच | मोटिवेशन के छोटे पल || दिलायरी : 05/11/2025

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देव दीपावली की शुभकामनाएँ और एक खाली दोपहर

    प्रियम्वदा !

    देव दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं।


“देव दीपावली की सुबह, ओड़िया महिलाएँ गीत गा रही हैं, और लेखक आत्मसंवाद में डूबा है – दिलायरी 5 नवंबर 2025।”

    आज काफी खाली समय मिला। दोपहर बाद सारा ही - खाली समय। और इस खाली समय मे मैंने बारह दिन की पेंडिंग दिलायरियाँ एक साथ पब्लिश कर दी। अब फिर से डे बाय डे दिलायरी वाला सिस्टम शुरू हो जाएगा।


जगन्नाथ मंदिर में सुबह का अनुभव

    सवेरे जगन्नाथ पर आज काफी भीड़ थी। पिले वस्त्रो में ओड़िया महिलाएं उनकी भाषा मे कुछ तो गा रहीं थी। उनके गीतों का लय बहुत ज्यादा अलग होता है। मैं अपना दर्शन करके निकल पड़ा ऑफिस के लिए। आज गुरु नानक जयंती भी है। इस कारण सरकारी छुट्टी भी थी। तो सरकारी कामकाज बंद रहता है। तो हमारे भी कुछ काम रूक जाते है। सवेरे से थोथे उठा लिए थे। लगभग निपटा दिए है। फिर भी यह कलम रुक नही सकती। दो महीने की एंट्रीज मगझ के तमाम तारे झनझना जाती है। बार बार पन्ने पलटो, हाइलाइट करो, लिखते रहो..! दोपहर तक मे तो सरदर्द होने लगा था। 


काम, थकान और थोड़ा सा आलस

    सोचा तो था, कि दोपहर को आसपास में कहीं चक्कर काट आऊं.. लेकिन आलस होने लगी। इतनी ज्यादा, कि ऑफिस में रखे सोफे पर मैं पसरा, और कुछ देर में खर्राटे लेने लगा। यह शायद वॉलीबॉल इफ़ेक्ट है। कल से तो कुँवरुभा के स्कूल फिर से चालू हो रहे है। इस कारण कल से तो जल्दी जागना अनिवार्य है। साढ़े ग्यारह बज रहे है, और मुझे यह दिलायरी पूरी करनी है। टॉपिक कुछ सूझ नहीं रहा है। ऑफिस पर अब तो जरा भी समय नही मिलता है। सारा दिन काम मे ही निकल जाता है। मैं भी गलत पंगो में हाथ डालते रहता हूँ। खामखा मैंने वह एक्स्ट्रा काम के लिए हामी भर ली।


जब मोटिवेशन गायब हो जाता है

    सचमे कभी कभी दिन ही ऐसे आते है, जब शरीर मना कर देता है, दिल भी, दिमाग भी कहता है आज नहीं। तब धक्का देकर शरीर से काम तो ले सकतें है, लेकिन वह काम बेमन से किया हुआ दिखता है। कईं बार सुबह की चाय भी ताज़गी नहीं दे पाती। मोटिवेशन कहाँ से आएगा? नही आ पाता। लेकिन ऐसे दिन में मोटिवेशन हमें खुद को ही बनाना पड़ता है, छोटी छोटी क्रियाओं से। पूरा दिन जीत लेने की जरूरत नही होती है। बस एक कोशिश काफी होती है। एक छोटा सा धक्का। बिस्तर से खड़ा हो जाना, चेहरा धो लेना, किसी भी एक काम को शुरू कर देना ही पहला मोटिवेशन बन जाता है।


छोटे-छोटे कदमों से बड़ी शुरुआत

    अपने आप से पूछना भी जरूरी है, कि आज क्यों थका हूँ? शरीर से या मन से। क्योंकि कारण मिल जाता है, तो उसका समाधान भी। बहुत कम प्रश्न ऐसे होते है, जिनका उत्तर कठीन हो। कईं बार हम बस कारण नही खोजते है, और खुद को और धक्का लगाने में ऊर्जा गंवाने लगते है। अगर असल कारण मिल जाए, फिर उस अनुसार उसका समाधान लगाया जाए, तो यह समाधान भी एक मोटिवेशन है। धीरे धीरे जागृति लौट आती है, जब मन प्रवृत हो जाता है, समाधान के साथ व्यस्त हो जाता है। शरीर या मन, चेतना और प्रवृति, सब ही सही दिशा में अपने आप काम करने लगते है। जैसे किसी बंद कार को चालू होने के लिए बस एक धक्के की जरूरत होती है। 


मन से थकान का समाधान

    मैं इन थोथों मे जब भी मुश्केलियाँ अनुभता हूँ, थकान महसूस करता हूँ, तब कोई पॉडकास्ट, या कोई भाषण सुनने लगता हूँ। क्योंकि यह मन को एक और दिशा देता है, सतत एक ही दिशा में भ्रमण करते मन को थकान बहुत जल्द और ज्यादा अनुभव होती है। नीरसता भे आने लगती है। जरूरी नहीं है, कि लंबे लंबे भाषण या प्रवचन सुने जाएज़ मोटिवेशनल स्पीकरों के गलाफ़ाड़ से संभाषण सुने जाए। एक सूफी गाना काफी होता है, ऐसे समय पर। और वह गाना खुद भी गुनगुनाते है, तब हकन जैसे छूमन्तर हो जाती है। मन भी दूसरी कितनी सारी कल्पनाओं में घूम आने से, जैसे बोझमुक्त हो जाता है। और फिर उसके बाद फिर से उसी काम पर लग जाने से, एक नई ऊर्जा का साथ अनुभव होने लगता है। 


शुभरात्रि — एक नई ऊर्जा के साथ

    लेकिन हाँ ! कईं बार हमें खुद पर नरमी भी बरतनी चाहिए। अपने दिन का 100% देना जरूरी नहीं है। कभी कभी खुद को थोड़ा आराम दे देना ज्यादा प्रोडक्टिव होता है। क्योंकि आराम ले लेने के बाद हमारी बैटरी रिचार्ज होकर फिर से नए पन के साथ, नए दृष्टिकोण भी देती है। वैसे यह बात भी सही है, जरूरी भी, कि थकान ही तो है, जो हमें याद दिलाती है, कि हम कोई मशीन नहीं है। इंसान है। हमारी अपनी कुछ क्षमता है, तो कुछ मर्यादा भी। यह बात समझ आ जाती है, फिर किसी मोटिवेशन की जरूरत नहीं रहती है। लेकिन ज्यादातर प्रसंगों में हम अपने आप को खींचते है, बहुत अधिक खिंचाव के कारण ऊर्जा खत्म हो जाती है। और फिर काबिलियत भी। यही सबसे बड़ा मोटिवेशन है, अपने भीतर की इंसानियत को पहचानना। और उसे साथ रखकर आगे बढ़ते रहना।


    शुभरात्रि।

    ०५/११/२०२५

|| अस्तु ||


प्रिय पाठक !

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