
बारिश, रविवार और यादें | दिलायरी डायरी : 07/09/2025

मानसिक असंतुलन भरा रविवार बड़ा ही मानसिक असंतुलन भरा रविवार था प्रियंवदा। सवेरे सवेरे दिमाग हिल गया था, फिर तो पूरे…
मानसिक असंतुलन भरा रविवार बड़ा ही मानसिक असंतुलन भरा रविवार था प्रियंवदा। सवेरे सवेरे दिमाग हिल गया था, फिर तो पूरे…
बारिश और बिजली का किस्सा प्रियंवदा ! कल बहुत बढ़िया बारिश हुई है। मौसम इतना ठंडा हो गया था, कि चद्दर ओढ़नी पड़े। एक त…
अचानक शुरू हुई बारिश और शहर की मुश्किलें कहीं जाना होता है, तभी यह बारिश शुरू हो जाती है। घर पर आना था, और दिनभर ह…
आसमान का पीला रंग प्रियंवदा ! अभी कुछ देर पहले ही आसमान से ऊपर, कोई अप्सरा नहाकर निकली होगी, उसके कपाल से रिसता हु…
नौकरी और लेखनी का संघर्ष प्रियंवदा ! पिछली किसी दिलायरी मे मैंने लिखा था, कि कुछ दिनों में जिम्मेदारियों का एक और …
Google और हमारा रिश्ता प्रियंवदा ! लोग ख़ामख्वा प्यार के अधूरे रह जाने की फरियादें करते है। मुझे लगता है कि दुनिया …
अतिशयोक्ति – बातों बातों में अनहद विस्तार अतिशयोक्ति..! प्रियंवदा ! अतिशयोक्ति..! कुछ लोग कर जाते है, बातो बातों म…
31 दिनों की डायरी, 31 भावनात्मक मुलाक़ातें... यह किताब उन अनकहे एहसासों की आवाज़ है जो हर किसी के दिल में कहीं न कहीं दबे होते हैं। अगर आपने कभी अकेले में अपने आप से बात की हो, तो ये किताब आपके बहुत क़रीब लगेगी।
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