दिलायरी : ३०/०१/२०२५ || Dilaayari : 30/01/2025
January 31, 2025
लिखने की बिलकुल ही इच्छा है नहीं, तबियत थोड़ी नरम है। सुबह से काम तो कुछ किया नहीं है, बस बैठा रहा ऑफिस पर और दोपहर को घ…
DILAWARSINH
January 31, 2025
लिखने की बिलकुल ही इच्छा है नहीं, तबियत थोड़ी नरम है। सुबह से काम तो कुछ किया नहीं है, बस बैठा रहा ऑफिस पर और दोपहर को घ…
DILAWARSINH
January 30, 2025
धुंध, दाल-बाटी और शादी की फिजूलखर्ची अभी बज रहे है, २२:५५.. बस डिपो जाकर लौटा हूँ अभी अभी..! दिनभर तो आज गर्मी थी,…
DILAWARSINH
January 29, 2025
दिलायरी का विस्तृतीकरण और प्रियंवदा की नाराज़गी चलो आज दिलायरी का थोड़ा विस्तृतीकरण करते है। मेरे साथ हंमेशा से ऐसा…
DILAWARSINH
January 28, 2025
स्थायीत्व की मिथ्या कल्पना दुनिया में स्थायी कुछ भी नहीं है प्रियंवदा..! सब समय के साथ बदल जाते है। और नहीं बदलना …
DILAWARSINH
January 28, 2025
सोमवार की सुबह और ऑफिस का खालीपन आज हर सोमवार की तरह सुबह सुबह ऑफिस पहुंचा, सरदार था नहीं। काम भी उतना कुछ था नहीं, लगे…
DILAWARSINH
January 27, 2025
"મીઠા તાલોમાં મનમોહક ક્ષણો – ગીતોની ગૂંજીતી ગાથા" આનંદની ક્ષણો.. ખરેખર.. આનંદની ક્ષણો તો ગીતો સાંભળવામાં જ ઉભ…
DILAWARSINH
January 27, 2025
सर्द रविवार की धीमी शुरुआत सर्दियों में सुबह सुबह न जागने की तीव्र इच्छा न हो तो क्या ख़ाक सर्दियाँ है? रविवार का द…
DILAWARSINH
January 26, 2025
शनिवार का ऑफिस — गजे की गैरहाज़री में नमकीन और शॉर्ट्स प्रतिदिन की भांति ऑफिस सुबह साढ़े नौ तक पहुंच गया था। शनिवार…
DILAWARSINH
January 25, 2025
डांडिया समारोह और पुराने मित्र की झलक कल रात १ बजे घर के लिए रवाना हुआ था डांडिया-रास में से । डांडिया-रास में ख़…
DILAWARSINH
January 24, 2025
प्रियंवदा के नाम – रूठे रिश्तों का भार प्रियंवदा ! संसार में सुखी रह पाना तलवार की धार पर चलने जैसा है। कोई ऐसा भी…
DILAWARSINH
January 24, 2025
फ्रीडम एट मिडनाइट और डायरेक्ट एक्शन का संदर्भ आज से फिर से एकबार नियत समयानुसार ऑफिस पहुँचाना शुरू हो चूका है। सुब…
DILAWARSINH
January 23, 2025
ऑफिस की दुपहरी, दाबेली की गर्माहट और फाइलों की बारिश फिर से एक बार वही ऑफिस-नौकरी वाले जीवन में आ चूका हूँ। सुबह उ…
DILAWARSINH
January 22, 2025
देर से जागा समय, हाथघड़ी की साजिश आज सुबह ऑफिस पहुंचा तब साढ़े दस बज चुके थे। कल रात को लगभग २ बजे घर पहुँच गया था।…
31 दिनों की डायरी, 31 भावनात्मक मुलाक़ातें... यह किताब उन अनकहे एहसासों की आवाज़ है जो हर किसी के दिल में कहीं न कहीं दबे होते हैं। अगर आपने कभी अकेले में अपने आप से बात की हो, तो ये किताब आपके बहुत क़रीब लगेगी।
📖 अब पढ़ें Kindle पर#दिलायरी #HindiDiaryBook #Kindleपर #DilSeLikhiGayi