
दिलायरी : ३०/०१/२०२५ || Dilaayari : 30/01/2025

लिखने की बिलकुल ही इच्छा है नहीं, तबियत थोड़ी नरम है। सुबह से काम तो कुछ किया नहीं है, बस बैठा रहा ऑफिस पर और दोपहर को घ…
लिखने की बिलकुल ही इच्छा है नहीं, तबियत थोड़ी नरम है। सुबह से काम तो कुछ किया नहीं है, बस बैठा रहा ऑफिस पर और दोपहर को घ…
धुंध, दाल-बाटी और शादी की फिजूलखर्ची अभी बज रहे है, २२:५५.. बस डिपो जाकर लौटा हूँ अभी अभी..! दिनभर तो आज गर्मी थी,…
दिलायरी का विस्तृतीकरण और प्रियंवदा की नाराज़गी चलो आज दिलायरी का थोड़ा विस्तृतीकरण करते है। मेरे साथ हंमेशा से ऐसा…
स्थायीत्व की मिथ्या कल्पना दुनिया में स्थायी कुछ भी नहीं है प्रियंवदा..! सब समय के साथ बदल जाते है। और नहीं बदलना …
सोमवार की सुबह और ऑफिस का खालीपन आज हर सोमवार की तरह सुबह सुबह ऑफिस पहुंचा, सरदार था नहीं। काम भी उतना कुछ था नहीं, लगे…
"મીઠા તાલોમાં મનમોહક ક્ષણો – ગીતોની ગૂંજીતી ગાથા" આનંદની ક્ષણો.. ખરેખર.. આનંદની ક્ષણો તો ગીતો સાંભળવામાં જ ઉભ…
सर्द रविवार की धीमी शुरुआत सर्दियों में सुबह सुबह न जागने की तीव्र इच्छा न हो तो क्या ख़ाक सर्दियाँ है? रविवार का द…
शनिवार का ऑफिस — गजे की गैरहाज़री में नमकीन और शॉर्ट्स प्रतिदिन की भांति ऑफिस सुबह साढ़े नौ तक पहुंच गया था। शनिवार…
डांडिया समारोह और पुराने मित्र की झलक कल रात १ बजे घर के लिए रवाना हुआ था डांडिया-रास में से । डांडिया-रास में ख़…
प्रियंवदा के नाम – रूठे रिश्तों का भार प्रियंवदा ! संसार में सुखी रह पाना तलवार की धार पर चलने जैसा है। कोई ऐसा भी…
फ्रीडम एट मिडनाइट और डायरेक्ट एक्शन का संदर्भ आज से फिर से एकबार नियत समयानुसार ऑफिस पहुँचाना शुरू हो चूका है। सुब…
ऑफिस की दुपहरी, दाबेली की गर्माहट और फाइलों की बारिश फिर से एक बार वही ऑफिस-नौकरी वाले जीवन में आ चूका हूँ। सुबह उ…
देर से जागा समय, हाथघड़ी की साजिश आज सुबह ऑफिस पहुंचा तब साढ़े दस बज चुके थे। कल रात को लगभग २ बजे घर पहुँच गया था।…