
प्रेम की प्रताड़ना, मोह का वर्तुल और थेपला वाली फ्लाइट — एक दिलायरी || Today I read some very powerful lines..

प्रेम, प्रताड़ना और मोह – जब समर्पण विवेक हर ले प्रियंवदा, प्रताड़ना शाश्वत है..! प्रताड़ना प्रेम है, प्रेम आकर्षण है…
प्रेम, प्रताड़ना और मोह – जब समर्पण विवेक हर ले प्रियंवदा, प्रताड़ना शाश्वत है..! प्रताड़ना प्रेम है, प्रेम आकर्षण है…
ना कह पाने की मुश्किल – रिश्तों की कुल्हाड़ी दुनिया से भयंकर दुनियादारी है प्रियंवदा..! और इसे तो टाल भी नही सकते।…
कुम्भ का बुलावा और ब्रह्मांड की शरारतें अब क्या बताऊँ प्रियंवदा..! आज तो सुबह सुबह ऑफिस पहुँचते ही, सिक्युरिटी गार…
जब नाम से किसी की आहट हो – संयोग और संदेह कितना आश्चर्य और सुखद होता है वो क्षण जब हमारे मुंह से किसी का नाम निकले…
दिलायरी की डींगें – हर सुबह एक कहानी पधारिए प्रभु, दिलायरी की डींगें जरा ध्यान से पढियेगा। हररोज तो सुबह से ह…
दिलायरी | जब बैगन से बैर हुआ और प्रयागराज बुलाने लगा प्रियंवदा ! तुम्हे पता है मैं तुम्हारे नाम से ही शुरुआत क्यों…
उपनिवेशवाद से नव-उपनिवेशवाद की यात्रा नव उपनिवेशवाद। उपनिवेशवाद की व्याख्या तो सीधी सी है कि कोई एक देश किसी अन्य …
24 दिसंबर की दिलायरी – जब दर्जी लंच पे था और भाषा की क्लास चालू थी आजके दिन की तो क्या कहूँ प्रियंवदा... सुबह बड़ी …
રાતના તાપણાંની ઉજાસ શિયાળાની સવાર એમ ને મોટા..! નહીં બાકીની સવાર 'ને શિયાળાની સવારમાં શું તફાવત ભાળ્યો તમે મોટા? કે…
प्रियंवदा ! ठुमरी, कचौड़ी और चाय – मेरी सर्दियों की डायरी प्रियंवदा ! सोमवार की अस्तव्यस्त शुरुआत और ठुमरी की संगत…
चार्वाक का दर्शन और वर्तमान की विडंबना पीत्वा पीत्वा पुनः पीत्वा, यावत् पतति भूतले। उत्थाय च पुनः प…
जब बातें थमती हैं "hmmm" पर एक बात तो माननी पड़ेगी.. आरम्भ है उसका अंत है। कोई भी कैसी भी चर्चा हो, वह अन…