
आज एक बड़ी जबरजस्त पंक्तियाँ पढ़ने में आई... || Today I read some very powerful lines..

प्रियंवदा, प्रताड़ना शाश्वत है..! प्रताड़ना प्रेम है, प्रेम आकर्षण है, आकर्षण अंधा है, और अंधा जगत है। जगत अँधा इस लिए है…
प्रियंवदा, प्रताड़ना शाश्वत है..! प्रताड़ना प्रेम है, प्रेम आकर्षण है, आकर्षण अंधा है, और अंधा जगत है। जगत अँधा इस लिए है…
दुनिया से भयंकर दुनियादारी है प्रियंवदा..! और इसे तो टाल भी नही सकते। एक और वस्तु बड़ी कठिन है वो है 'ना' कहना। …
अब क्या बताऊँ प्रियंवदा..! आज तो सुबह सुबह ऑफिस पहुँचते ही, सिक्युरिटी गार्ड ने बताया कि प्रयागराज के लिए गाडी आया है। …
कितना आश्चर्य और सुखद होता है वो क्षण जब हमारे मुंह से किसी का नाम निकले और वह व्यक्ति प्रकट हो जाए, या उनकी कोई खबर मि…
पधारिए प्रभु, दिलायरी की डींगें जरा ध्यान से पढियेगा। हररोज तो सुबह से ही शुभस्य शुरुआत होती है, आज थोड़ी और जल्दी करते …
प्रियंवदा ! तुम्हे पता है मैं तुम्हारे नाम से ही शुरुआत क्यों करता हूँ? क्योंकि यह किरणों सी कलम का प्रेरणास्त्रोत आदित…
नव उपनिवेशवाद। उपनिवेशवाद की व्याख्या तो सीधी सी है कि कोई एक देश किसी अन्य देश पर शासन करते हुए उस देश के समस्त संसाधन…
आजके दिन की तो क्या कहूँ प्रियंवदा... सुबह बड़ी अच्छी गुजरी दोपहर तक एक भाषाकीय चर्चा में व्यस्त रहा। लेकिन दोपहर के बाद…
શિયાળાની સવાર એમ ને મોટા..! નહીં બાકીની સવાર 'ને શિયાળાની સવારમાં શું તફાવત ભાળ્યો તમે મોટા? કે પછી મોટાભાભી એ સવાર…
प्रियंवदा ! आज दिनभर फरीद अय्याज़ को सुनता रहा। लगभग गीत सुन लिए। बहुत दिनों पहले एक रील देखी थी, उसमे वह ठुमरी गीत था। …
पीत्वा पीत्वा पुनः पीत्वा, यावत् पतति भूतले। उत्थाय च पुनः पीत्वा, पुनर्जन्म न विद्यते।। चारवाक का यह दर्शन कहता है कि,…
एक बात तो माननी पड़ेगी.. आरम्भ है उसका अंत है। कोई भी कैसी भी चर्चा हो, वह अनंत तक कभी नहीं चल सकती, बाधाएं आती है, रूका…
कुछ स्वप्नों पर शायद हमारा अधिकार नहीं होता प्रियंवदा..! या शायद वे स्वप्न जो असंभव हो उनसे कैसे मुँह मोड़ा जाए? समझ नही…
प्रियंवदा.. शीतलहर बह रही है बाहर, भीतर तब भी तुम्हारी लहर ही अविरत अखंड है। यह प्रकृति भी बड़ी अजीब है, तुम भी। प्रकृति…
प्रियंवदा ! कुछ बाते ऐसी होती है जो कभी मिटती नहीं। कुछ कहानिया, कुछ इतिहास, नष्ट नहीं होते। कर्णोपकर्ण चलते जाते है। भ…
कुछ बाते, चीजे ऐसी हो जाती है, जिन्हे आगे बढ़ाई जाए, तो पहले जैसी नहीं होती.. या फिर पहली बार के आकर्षण जैसा दूसरा अनुभव…
प्रियंवदा ! हंमेशा की तरह व्यस्त ही होगी तुम? मैं नहीं हूँ.. सर्दियाँ, चाय, ठण्ड, अंगीठी और व्हिस्की...! यह सर्दियाँ सद…