
रविवार की दास्तान: मॉल की खरीदारी, बाइक पर सफर और पंचायत की चौथी रुत || दिलायरी : 29/06/2025

रविवार की दास्तान: मॉल की खरीदारी, बाइक पर सफर और पंचायत की चौथी रुत सुबह का श्रम और आलस का संगम बताओ, काना बहरे क…
रविवार की दास्तान: मॉल की खरीदारी, बाइक पर सफर और पंचायत की चौथी रुत सुबह का श्रम और आलस का संगम बताओ, काना बहरे क…
अधिकार भाव – प्रेम या बोझ? प्रियंवदा ! अधिकार भाव कितना सहज है.. हम अपनी वस्तु से लेकर अपने साथी तक पर अधिकार भाव …
आषाढ़ी बीज की एक सांझ: रथयात्रा, उमस, मच्छर और उड़ते विचार आषाढ़ी बीज पर ऑफिस की एक व्यस्त दास्तान समय हो चूका सायं…
आज की दिलायरी – मौसम, मन और मौन प्रियंवदा ! दो दिन से बारिश बंद है, लेकिन गर्मी बहुत ज्यादा है। जैसे छुट्टियों से …
देर रात की गलतफहमी और सुबह की बेचैनी पाप या पुण्य? कल रात ऑफिस पर ही साढ़े दस बज गए थे। गलती से ही बजा दिए थे, गलतफ…
मंगलवार की शुरुआत: भीड़, रंगरोगन और दर्शन मंगलवार तो बड़ा ही भारी निकला प्रियंवदा ! सोचा नहीं था कि दिनभर में इतनी …
प्रियंवदा के नाम – एक भावनात्मक शुरुआत पहले कौन.. चुम्बक या चुम्बन? प्रियंवदा ! हम फिर से आ गइल बानी, तोहार छाया …
गुजराती मानसून की ‘चिंथड़े हाल’ बारिश मुअनजोदड़ो पढ़ते दिलावरसिंह..! गजब की बारिश हुई है। गुजराती में एक प्रसिद्ध कह…
कम्फर्टज़ोन: एक मीठा बंधन या भविष्य की देरी? मौसम तो ऐसा है प्रियंवदा ! दिल गार्डन गार्डन हो रिया है। सुबह से लेकर…
"प्रियंवदा! आज विचारों ने हड़ताल कर दी है" ऐसा है, दो दिन से अपनी ही पुरानी पोस्ट्स पढ़कर, कुछ खुद के भीत…
एक मनमौजी की दुनिया में ३६० डिग्री का मोड़ कभी कभी आदमी ३६० डिग्री घूम जाता है, लेकिन उसे पता नहीं चलता। जब कोई टप…
बरसात, सपने और ऑफिस की दास्तान: प्रियंवदा को लिखी एक दिलायरी जब कम्पनी ने पगार वसूली: दफ्तर की एक आम दोपहर आज कम्प…