Showing posts from February, 2025

"नींद, सफर और व्यस्तता – एक रात की कारयात्रा की दिलायरी" || दिलायरी : २७/०२/२०२५ || Dilaayari : 27/02/2025

शिवरात्रि, भांग और झिझक की बातें || दिलायरी : २६/०२/२०२५ || Dilaayari : 26/02/2025

"उसने खुद को लिखा: एक टूटे हुए पुरुष की अधूरी दास्ताँ" || He wrote to himself..

जब लिखने का मन नहीं, फिर भी दिन दर्ज किया || दिलायरी : २४/०२/२०२५ || Dilaayari : 24/02/2025

जब रविवार भी ऑफिस में बीता || दिलायरी : २३/०२/२०२५ || Dilaayari : 23/02/2025

सुबह चार बजे से कुम्भ यात्रा तक – एक दिन, अनेक दृश्य || दिलायरी : २२/०२/२०२५ || Dilaayari : 22/02/2025

"ट्रक, चालान और दंड — एक ऑफिस डे की महागाथा" || दिलायरी : २१/०२/२०२५ || Dilaayari : 21/02/2025

“घूंघट, दोहरापन और स्वतंत्रता: एक ओवरथिंकर की वैचारिक दिलायरी” || If the woman is Sita then there is also Shurpanakha..

"जब कुछ नहीं हुआ — और वो भी याद रह गया" || दिलायरी : २०/०२/२०२५ || Dilaayari : 20/02/2025

"पीछे चलती घड़ियाँ और योगानुयोग का फ़लसफ़ा" || दिलायरी : १९/०२/२०२५ || Dilaayari : 19/02/2025

खुले मैदान में फिर अकेले: मच्छर, मैप्स और प्रियंवदा || दिलायरी : १८/०२/२०२५ || Dilaayari : 18/02/2025

“समय, कॉमेडी और विवाह: आज के रिश्तों की विसंगतियाँ और विडंबनाएं” || Big dreams often require compromises..

शादी करनी चाहिए या नहीं? – एक अकेले आदमी की दिलायरी || दिलायरी : १७/०२/२०२५ || Dilaayari : 18/02/2025

D Mart की ट्रॉली, छुरीवाले का सच और सफरजन की कहानी || दिलायरी : १६/०२/२०२५ || Dilaayari : 16/02/2025