"नींद, सफर और व्यस्तता – एक रात की कारयात्रा की दिलायरी" || दिलायरी : २७/०२/२०२५ || Dilaayari : 27/02/2025
February 28, 2025
व्यस्तता की मिठास – क्यों काम में उलझना अच्छा लगता है आज थोड़ा व्यस्त दिवस है। अच्छा है। मुझे व्यस्तता पसंद है। मन …
DILAWARSINH
February 28, 2025
व्यस्तता की मिठास – क्यों काम में उलझना अच्छा लगता है आज थोड़ा व्यस्त दिवस है। अच्छा है। मुझे व्यस्तता पसंद है। मन …
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February 27, 2025
शिवरात्रि की सुबह और मंदिर का अनुभव अरे भाई गजब ही हो गया.. कल तो दिलायरी ही लिखना भूल गया..! शिवरात्रि का पर्व था…
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February 27, 2025
जब विवाह निर्णय नहीं, दबाव बन जाए उसने खुद को लिखा.. प्रियंवदा.. फिर से एक गंभीर सोच में पड़ चुका हूं। सामाजि…
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February 26, 2025
जब बहीखातों में दिन बिता आज का दिन कुछ खास नही था। सुबह ऑफिस पहुंचा, कुछ देर बाद सरदार भी आ गया था। ले आया था वही,…
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February 25, 2025
जब समय था, पर मन नहीं वही शाम के पौने सात बज रहे है प्रतिदिन की भाँती.! समय ही समय था आज, फिर भी लिखने की इच्छा,…
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February 24, 2025
जब रविवार ने ऑफिस के कपड़े पहन लिए दिलायरी तो लिखना ही भूल गया था कल। क्योंकि थोड़ी जिम्मेदारी का बोझ बढ़ा है। यही ज…
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February 23, 2025
जब बाइक स्टार्ट नहीं हुई और नींद टूटी चलो फिर शुरू करते है दिलायरी..! आज तो शुरुआत हुई सुबह साढ़े चार को..! सवेरे स…
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February 22, 2025
ऑफिस में अकेलेपन से दिन की शुरुआत समय शाम के बज रहे है सात पर दस मिनिट..! टोपी बहादुर से मस्त कड़क चाय बनवाई है। सर…
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February 21, 2025
दोहरी ज़िंदगी: सोशल मीडिया और असली चेहरा प्रियंवदा.. क्या बताऊं तुम्हे अब..! अभी कुछ देर पहले ही दिलायरी में लिखा …
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February 21, 2025
जब रील्स और गूगल मैप्स ने दिन निगल लिया शाम के सात बजकर सात मिनिट हुये है। और नवीनतम कुछ भी नहीं हो रहा है जीवन मे…
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February 20, 2025
समय के भरोसे जीवन? अगर आप समय के अनुसार चल रहे है, फिर भी आप पीछे रहे जाते हो उसका अर्थ यह नहीं है की आपने मेहनत क…
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February 19, 2025
प्रियंवदा, वही मैदान और मच्छर आज कई दिनों.. नही महीनों बाद उस खुले मैदान में आकर बैठा हूँ, जहां से प्रियंवदा से सं…
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February 19, 2025
विवाह, विडंबना और विचार: एक ओवरथिंकर की डायरी 'बड़े सपने अक्सर समझौते मांग लेते है।' एक पॉडकास्ट सुन रहा था…
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February 18, 2025
सिद्धांत और भूख – दो कटु सत्य 'सिद्धांतो पे जीने की बातें वो करते है जिनके पेट भरे होते है।' है ना कड़क बात…
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February 17, 2025
गर्मियों की दस्तक और कार की धूल यह लिखने बैठा हूँ तब समय हो रहा है २०:४५..! वैसे आज का दिवस कुल मिलाकर अच्छा, सिख …
31 दिनों की डायरी, 31 भावनात्मक मुलाक़ातें... यह किताब उन अनकहे एहसासों की आवाज़ है जो हर किसी के दिल में कहीं न कहीं दबे होते हैं। अगर आपने कभी अकेले में अपने आप से बात की हो, तो ये किताब आपके बहुत क़रीब लगेगी।
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