
"नींद, सफर और व्यस्तता – एक रात की कारयात्रा की दिलायरी" || दिलायरी : २७/०२/२०२५ || Dilaayari : 27/02/2025

व्यस्तता की मिठास – क्यों काम में उलझना अच्छा लगता है आज थोड़ा व्यस्त दिवस है। अच्छा है। मुझे व्यस्तता पसंद है। मन …
व्यस्तता की मिठास – क्यों काम में उलझना अच्छा लगता है आज थोड़ा व्यस्त दिवस है। अच्छा है। मुझे व्यस्तता पसंद है। मन …
शिवरात्रि की सुबह और मंदिर का अनुभव अरे भाई गजब ही हो गया.. कल तो दिलायरी ही लिखना भूल गया..! शिवरात्रि का पर्व था…
जब विवाह निर्णय नहीं, दबाव बन जाए उसने खुद को लिखा.. प्रियंवदा.. फिर से एक गंभीर सोच में पड़ चुका हूं। सामाजि…
जब बहीखातों में दिन बिता आज का दिन कुछ खास नही था। सुबह ऑफिस पहुंचा, कुछ देर बाद सरदार भी आ गया था। ले आया था वही,…
जब समय था, पर मन नहीं वही शाम के पौने सात बज रहे है प्रतिदिन की भाँती.! समय ही समय था आज, फिर भी लिखने की इच्छा,…
जब रविवार ने ऑफिस के कपड़े पहन लिए दिलायरी तो लिखना ही भूल गया था कल। क्योंकि थोड़ी जिम्मेदारी का बोझ बढ़ा है। यही ज…
जब बाइक स्टार्ट नहीं हुई और नींद टूटी चलो फिर शुरू करते है दिलायरी..! आज तो शुरुआत हुई सुबह साढ़े चार को..! सवेरे स…
ऑफिस में अकेलेपन से दिन की शुरुआत समय शाम के बज रहे है सात पर दस मिनिट..! टोपी बहादुर से मस्त कड़क चाय बनवाई है। सर…
दोहरी ज़िंदगी: सोशल मीडिया और असली चेहरा प्रियंवदा.. क्या बताऊं तुम्हे अब..! अभी कुछ देर पहले ही दिलायरी में लिखा …
जब रील्स और गूगल मैप्स ने दिन निगल लिया शाम के सात बजकर सात मिनिट हुये है। और नवीनतम कुछ भी नहीं हो रहा है जीवन मे…
समय के भरोसे जीवन? अगर आप समय के अनुसार चल रहे है, फिर भी आप पीछे रहे जाते हो उसका अर्थ यह नहीं है की आपने मेहनत क…
प्रियंवदा, वही मैदान और मच्छर आज कई दिनों.. नही महीनों बाद उस खुले मैदान में आकर बैठा हूँ, जहां से प्रियंवदा से सं…
विवाह, विडंबना और विचार: एक ओवरथिंकर की डायरी 'बड़े सपने अक्सर समझौते मांग लेते है।' एक पॉडकास्ट सुन रहा था…
सिद्धांत और भूख – दो कटु सत्य 'सिद्धांतो पे जीने की बातें वो करते है जिनके पेट भरे होते है।' है ना कड़क बात…
गर्मियों की दस्तक और कार की धूल यह लिखने बैठा हूँ तब समय हो रहा है २०:४५..! वैसे आज का दिवस कुल मिलाकर अच्छा, सिख …